खोरी गांव  निवासी: पीड़ित हैं, ‘अवैध अतिक्रमणदार’ नहीं

14 जुलाई से, लगातार वर्षों से रह रहे खोरी निवासियों के घरों को हरियाणा सरकार के बुलडोजर “[तबाह कर रहे हैं। लोग पुलिस के अपमानजनक और हिंसक तरीकों को झेल रहे हैं।

(समाज वीकली)- 7 जून को आये सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के लगभग 5 हफ्तों के बाद हरियाणा सरकार ने एक ड्राफ्ट पुनर्वास नीति घोषित की जो कि अपना सर्वस्व गंवा बैठे खोरी निवासियों के साथ अन्याय और मजाक है। ड्राफ्ट पुनर्वास नीति पर सर्वोच्च न्यायालय ने उनके पास गए वादियों से अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए कहा। हमने खोरी निवासियों के की स्थिति और उनके लिए क्या हो सकता है इन सब बातों को जोड़ते हुए सरकार को पुनर्वास के संबंध में एक अपनी प्रतिक्रिया भेजी है।

हम मानते हैं कि फरीदाबाद नगर निगम द्वारा खोरी गांव के लिए मसौदा पुनर्वास योजना कमजोर है क्योंकि यह निवासियों द्वारा झेले गए ऐतिहासिक अन्याय, बेदखली और विध्वंस के कारण हुई क्रूर हिंसा और मानवाधिकारों के हनन और उनकी वैकल्पिक आवास, वित्तीय और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की तत्काल आवश्यकता को संबोधित नहीं करती है। पुनर्वास योजना के हमारे सुझावों में, हम एक व्यापक पुनर्वास पैकेज की अनुशंसा करते हैं

प्रक्रिया: आवास के अधिकार में आजीविका का अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, स्वच्छ पेयजल का अधिकार, स्वच्छता और परिवहन सुविधाओं का अधिकार शामिल है। इसलिए हम हरियाणा सरकार से खोरी गांव के निवासियों के साथ उनकी जरूरतों और चिंताओं को समझने और इस प्रक्रिया के माध्यम से एक पुनर्वास नीति तैयार करने के लिए एक उचित परामर्श प्रक्रिया अपनाने का आग्रह करते हैं। एक शिकायत निवारण प्रकोष्ठ भी स्थापित किया जाना चाहिए।

‘अवैध अतिक्रमणदार’ नहीं पीड़ित हैं : नीति को यह स्वीकार करना चाहिए कि खोरी गांव के निवासी अवैध नहीं हैं बल्कि वँहा चल रहे भूमि रैकेट के शिकार हैं। भू-माफियाओं का जिक्र 2011 से सरकार की दलीलों में किया गया है। हालांकि, इस समस्या से निपटने के लिए बहुत कम प्रयास किए गए। दूसरी बात की खोरी निवासी हरियाणा राज्य में पीएलपीए वन भूमि के खराब कार्यान्वयन के शिकार हैं। खोरी गांव में वन भूमि का कोई सीमांकन नहीं किया गया है जो आम लोगों के लिए दृश्यमान और समझने योग्य है। तीसरा, कई निवासियों को विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा पहचान दस्तावेज प्रदान किए गए थे। साथ ही समय-समय पर सर्वे भी किया गये है। इसलिए, सरकार यह स्टैंड नहीं ले सकती कि वह खोरी गांव के अस्तित्व से अनजान थी। इसलिए, पात्रता मानदंड को पूरा करने वाले सभी निवासियों को लाभार्थी को बिना किसी कीमत के फ्री-होल्ड फ्लैट प्रदान किए जाने चाहिए।

पात्रता मापदंड:

  1. वैकल्पिक आवास के लिए निवासियों की पात्रता निर्धारित करने के लिए 3,00,000 रुपये की आय सीमा स्व-घोषणा के आधार पर होना चाहिए।
  2. निवासियों को भारत में कहीं से भी मतदाता पहचान पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी जानी चाहिए, जब तक कि उनके पास खोरी गांव में निवास का प्रमाण है।
  3. राज्य द्वारा अनुमोदित खोरी गांव के पते वाले किसी भी पहचान निवास साबित करने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए। यह वोटर आईडी, स्कूल एडमिशन/बच्चों के स्कूल पेपर, किसी भी राज्य सरकार की आईडी, बिजली कनेक्शन, आधार कार्ड, यशी कंसल्टिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 2019 में किया गया संपत्ति सर्वेक्षण नंबर, भूमि खरीद समझौता, बैंक खाता, राशन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र हो सकता है।
  4. परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड द्वारा बिजली कनेक्शन की मांग पहचान और पता साबित करने के लिए एक अतिरिक्त दस्तावेज ही हो सकता है मगर सिर्फ वही नहीं हो सकता है।
  5. नीति में उन लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए जिन्होंने जमीन खरीदी लेकिन घर नहीं बना सके और इसलिए खोरी गांव में नहीं रह रहे थे।

अस्थायी आश्रय और मुआवजा: 2,000 रुपये का प्रस्तावित किराया मूल्य पर्याप्त हो भी सकता है और नहीं भी। इसलिए खोरी गांव के आसपास के क्षेत्र में 30 वर्ग मीटर के आवास का मूल्य निवासियों को तब तक प्रदान किया जाना चाहिए जब तक कि सरकार द्वारा वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने में समय लगता है। और यदि किराया उपलब्ध नहीं है, तो सरकार को सभी पात्र निवासियों को पुनर्वास प्रदान किए जाने तक भोजन, पीने के पानी, दवाओं और अन्य बुनियादी सुविधाओं के साथ पारगमन आवास प्रदान करना चाहिए। पुनर्वास पैकेज में बेदखली के दौरान भौतिक नुकसान, शारीरिक चोट और आघात के लिए मुआवजा प्रदान करने की आवश्यकता है।

सहयोग में,

इशिता चटर्जी, नीलेश कुमार (9313794336), मंजू मेनन, विमल भाई (9718479517) व साथी,

कंसर्न सिटीजंस फॉर खोरी गांव

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय

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