महंगाई भत्ता बचाओ-रेलवे बचाओ- कर्मचारी बचाओ अभियान के तहत रेलवे कर्मचारीपों ने किया रोष प्रदर्षण

महंगाई व नाइट ड्यूटी भत्ते पर रोक बर्दाश्त नहीं- खालसा

हुसैनपुर (समाज वीकली) (कौड़ा)- इंडियन रेलवे एम्पलाइज फेडरेशन के आह्वान पर 1 जुलाई से 15 जुलाई तक चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी जन अभियान के तहत आज आरसीएफ एम्पलाईज यूनियन द्वारा बाबा साहब डा भीमराव अंबेडकर चौक पर रोष भरपूर नारेबाजी कर कर्मचारियों की आवाज बुलंद की गई। कोविड-19 नियमों की पालना करते हुए बड़ी संख्या में हाजिर कर्मचारियों को संबोधित करते हुए साथी परमजीत सिंह खालसा, अध्यक्ष, आर सी एफ‌ ई यू ने कहा कि जैसे-जैसे कर्मचारियों व मेहनतकश लोगों के अधिकार छीने जा रहे हैं वैसे वैसे पूंजीपतियों की दौलत बढ़ती जा रही है।

ऐसे हालात में जब एक तरफ करोना की दहशत फैल रही है और लोग आम जिंदगी दूर किए जा रहे हैं सरकारें न देश के कर्मचारियों, मजदूरों, किसानों, नौजवानों आदि के खिलाफ हमले तेज कर पूंजीपतियों की चहेती बन रही है। उन्होंने कहा कि इंडियन रेलवे एम्पलाईज फेडरेशन के दिशा निर्देशों के तहत यूनियन ने अपना फर्ज समझते हुए 15 मुख्य मांगों पर जन जागरण अभियान चलाया है।

परमजीत सिंह खालसा ने कहा कि हमारी मुख्य मांगे महंगाई भत्ते की तीनों किस्तें बकाए समेत जारी की जाएं, नाइट ड्यूटी एलाउंस को बहाल किया जाए, रेलवे व देश के सार्वजनिक क्षेत्र का निगमीकरण/निजीकरण रोका जाए, नई पेंशन स्कीम रद्द कर पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाए, ठेकेदारी, आउटसोर्सिंग बंद की जाए, रेलवे में नौजवानों की तुरंत भर्ती की जाए, रेलवे कर्मचारियों को करोना युद्धा घोषित कर ₹50 लाख एक्स ग्रेशिया दिया जाए तथा उनका 50 लाख रुपए का निशुल्क बीमा किया जाए, श्रम कानूनों में किए जा रहे बदलाव किए रद्द किए जाएं, कृषि कानूनों को रद्द किया जाए तथा महंगाई पर अंकुश लगाया जाए आदि प्रमुख हैं।

आर.सी.एफ के मुद्दों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से यात्री ट्रेनें बंद पड़ी है और हमारे महाप्रबंधक साहब उत्पादन बढ़ाने की बातें कर रहे हैं और बेहद घटिया गुणवत्ता का मेटेरियल कोचों में लगावाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीन-तीन बार एनसीआर भरी जाने के बावजूद मटेरियल को कोचों में लगावाया कर यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

अमरीक सिंह, प्रेस सचिव ने कहा कि सरकार रेलवे में तानाशाही ढंग से कर्मचारियों की भर्ती से इंकार कर निजीकरण के रास्ते चल रही है, 44 श्रम कानूनों को चार कोड में बदलकर मजदूरों द्वारा सदियों लंबे संघर्षों से प्राप्त अधिकारों पर डाका डाला मार रही है, नई पेंशन स्कीम लागू कर हमारा बुढ़ापा अंधकार में बनाया जा चुका है, हमारे भत्तों को छीना जा रहा है, बहाना एक ही है कि कर्मचारी महंगे पड़ते हैं और सरकार के पास पैसा और संसाधन नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि जब करोना संकट के दौरान 23 करोड और लोग गरीबी रेखा से नीचे धकेल दिए गए, जब करोड़ों मजदूरों से रोजगार छिन गया, जब देश में हर चीज का उत्पादन घट गया था, जब देश में जीडीपी 8.2 फीसदी घाटे में चली गई थी तो चंद पूंजीपति 35 फ़ीसदी से ज़्यादा मुनाफा कैसे कमा गए? उन्होंने कहा गौतम अडानी और मुकेश अंबानी की दौलत 449 करोड़ 385 करोड रुपए प्रतिदिन कैसे बढ़ गई?

अमरीक सिंह ने कहा कि आर.सी.एफ एम्पलाईज यूनियन रेलवे के निजीकरण की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध करती है। साथ ही हम देश की 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीयों के निगमीकरण का भी पुरजोर विरोध करते हैं और ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीयों के बहादुर कर्मचारियों के संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर साथ हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों तथा ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन द्वारा हमें जो भी दिशा निर्देश मिलेंगे आरसीएफ एंप्लाइज यूनियन उसे पूरी ताकत के साथ लागू करेगी। स्टेज सचिव की भूमिका तलविंदर सिंह ने बहुत बढ़िया तरीके से निभाई। रोष प्रदर्शन में मुख्य रूप में साथी सर्वजीत सिंह, बचितर सिंह, मनजीत सिंह बाजवा, दलजीत सिंह थिंद, बाबा अजैब सिंह, सुखविंदर सिंह सुखी, शरणजीत सिंह, नरेंद्र कुमार, गुरतेज सिंह, प्रदीप सिंह, भरत राज बूटा राम, परमजीत सिंह, विनोद कुमार, कुलवंत सिंह मनजीत सिंह एसपी सिंह रणबीर सिंह, रघुवीर सिंह, प्रभजोत सिंह, चंद्रभान, बाबा गुरचरण सिंह, रामदास, संदीप कुमार, आदेश कुमार, अश्विनी कुमार, अवतार सिंह, धर्मपाल आदि विशेष में हाजिर थे।

 

 

 

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