प्लास्टिक की खपत कम करने के लिए आदतों के साथ मानसिकता में भी बदलाव जरूरी है।

3 जुलाई अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस पर विशेष।

(समाज वीकली)

लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कि प्लास्टिक बैग मुक्त दुनिया संभव है, 3 जुलाई को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस मनाया जाता है। एकल-उपयोग पॉलिथीन या प्लास्टिक बैग को कपड़े के बैग या पेपर बैग से बदला जा सकता है। 3 जुलाई के इस दिन, ‘पॉलिथीन बैग फ्री’ का उद्देश्य दुनिया को एकल उपयोग वाले प्लास्टिक बैग से छुटकारा दिलाना और पर्यावरण संरक्षण और शुद्धिकरण को बढ़ावा देना है। सभी को लोगों को प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग बंद करने और इसके बजाय अधिक पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस दिन का मुख्य लक्ष्य इस गैर-बायोडिग्रेडेबल पदार्थ के उपयोग से पर्यावरण को होने वाले बढ़ते नुकसान के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यह जानना चिंताजनक है कि एक प्लास्टिक बैग को लैंडफिल में विघटित होने में लगभग 1,000 साल लगते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि पिछले 15 वर्षों में ठोस प्रयासों से अब तक प्लास्टिक के प्रभाव को शून्य तक कम नहीं किया जा सका है। इस दिन की शुरुआत के बाद से यह भी देखा जा रहा है कि कई देशों के लोग जागरूक हो रहे हैं और प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल कम करने लगे हैं। लेकिन अभी भी कई देश ऐसे हैं जहां प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है।
पहला अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस 3 जुलाई 2008 को मनाया गया था, जब जीरो वेस्ट यूरोप (ZWE) के सदस्य  ने इसे लॉन्च किया था। अपने प्रारंभिक वर्ष में यह दिन केवल कैटेलोनिया में मनाया जाता था। हालाँकि, एक साल बाद, ज़ीरो वेस्ट यूरोप (ZWE) ने यूरोपीय संघ में अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस शुरू किया।
प्रारंभ में संगठन को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में संगठन कई देशों पर एकल-उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के प्रयास करने के लिए दबाव डालने में सफल रहा। यूरोपीय संघ ने 2018 तक प्लास्टिक बैग की खपत को 90 बैग प्रति व्यक्ति तक कम करने के लिए कदम उठाने के इरादे से 2015 में प्लास्टिक बैग दिशानिर्देश पारित किए। निदेशक को उम्मीद है कि 2025 तक प्रति व्यक्ति प्लास्टिक बैग की संख्या कम होकर 40 हो जाएगी।
इस दिन लोगों को प्लास्टिक का कम उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। साथ ही प्लास्टिक से धरती को होने वाले नुकसान के बारे में भी जानकारी दी जाती है। प्लास्टिक के इस्तेमाल से पूरी दुनिया में प्रदूषण फैल रहा है, जिससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो रही हैं।
दैनिक जीवन में लोग प्लास्टिक थैलियों का बहुतात से उपयोग करते हैं और उपयोग के बाद इन्हें कूड़े में फेंक देते हैं। इस प्लास्टिक बैग को पूरी तरह से विघटित होने में सैकड़ों से हजारों साल लग जाते हैं। यह प्लास्टिक बैग पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता है।प्लास्टिक हमारे जीवन में एक स्थायी तत्व बन गया है। यह हर जगह है: उत्पाद पैकेजिंग, कॉस्मेटिक सामग्री, कपड़ा, मोबाइल फोन, खरीदारी के लिए उपयोग किए जाने वाले पॉलिथीन बैग, बिस्किट पैकेट, दूध पैकेट इत्यादि। हर साल, लगभग 80 मिलियन टन प्लास्टिक हमारी पृथ्वी की नहरों और महासागरों में फेंक दिया जाता है। यूनाइटेड राष्ट्रों का कहना है कि हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक समुद्र में फेंक दिया जाता है, जिससे समुंद्री वन्य जीवन नष्ट हो जाता है। प्लास्टिक प्रदूषण से हर साल लगभग 1 लाख समुद्री पक्षी और 100,000 समुद्री स्तनधारी मर जाते हैं। व्हेल, मछली और कछुए जैसे समुद्री जानवर प्लास्टिक कचरे को शिकार समझ लेते हैं।  ये जीव जल्दी मर जाते हैं क्योंकि इनका पेट प्लास्टिक से भरा होता है।
   इसलिए इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग न करके पर्यावरण को बचाने के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करना और लोगों को एकल उपयोग वाले प्लास्टिक लिफाफों के बजाय कपड़े के थैलों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है। वैसे, हमारे देश भारत में भी 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जो एक बड़ी पहल थी, लेकिन कुछ कारणों से इसके पूर्ण कार्यान्वयन में कुछ कठिनाइयाँ  आ रही हैं। अब फिर से भारत के विभिन्न राज्यों और जिलों में कई संगठन इसके नकारात्मक प्रभावों का हवाला देते हुए अक्सर इस सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने की सलाह देते हैं। मलेरकोटला जिले के एक छोटे से कस्बे मंडी अहमदगढ़ में भी नारी शक्ति ने ‘न्यू इनिशिएटिव क्लब’ एक नई पहल क्लब बनाकर सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलिथीन लिफाफों के इस्तेमाल को कम करने का प्रयास किया है। उन्होंने बांके बिहारी चैरिटेबल ट्रस्ट अहमदगढ़ (मलेरकोटला) के बच्चों से कपड़े के थैले बनवाकर लोगों को बांटे हैं ताकि जब भी वे राशन लेने के लिए घर से निकलें तो कपड़े का थैला अपने साथ ले जा सकें । प्लास्टिक की खपत कम करने के लिए न केवल आदतों में बदलाव की जरूरत है, बल्कि मानसिकता में भी बदलाव की जरूरत है। बहुत से लोग राशन लाने के लिए घर से कपड़े का थैला ले जाना अपना अधिकार समझते हैं। कुछ लोग कपड़े वाला बैग अथवा थैला ले जाने में शर्म महसूस करते हैं। हमें अपनी इन आदतों और मानसिकता को बदलना होगा। हमें गंभीरता से यह समझने की आवश्यकता है कि प्लास्टिक हमारे पृथ्वी ग्रह के लिए एक गंभीर सिरदर्द है। इसलिए खरीदारी के लिए जाते समय घर से एक कपड़े वाला बैग अथवा थैला  लेकर जाएं। आपके इस छोटे से प्रयास से 20 से 30 प्रतिशत प्लास्टिक का निस्तारण हो जायेगा और प्लास्टिक बैग मुक्त विश्व का नारा भी साकार हो सकेगा।
ललित गुप्ता अहमदगढ़
(लैक्चरर भौतिक विज्ञान
 मण्डी अहमदगढ़।
 9781590500
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