ऐतिहासिक स्थल अंबेडकर भवन में माता सावित्री बाई फुले की जयंती मनाई गई
अंबेडकरी आन्दोलन में महिलाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण – डाॅ. सावरकर
जालंधर (समाज वीकली): अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) द्वारा अंबेडकर भवन ट्रस्ट और ऑल इंडिया समता सैनिक दल, पंजाब इकाई के सहयोग से अंबेडकर भवन के रमा बाई अंबेडकर यादगार हॉल में ‘ अंबेडकरी आंदोलन में महिलाओं का योगदान’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन कर भारत की प्रथम महिला शिक्षिका माता सावित्री बाई फुले की जयंती मनाई गई। इस सेमिनार में डॉ. महाराष्ट्र की डॉ. बी. आर. अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय औरंगाबाद के इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनीता सावरकर मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुईं और उन्होंने ‘अंबेडकरी आंदोलन में महिलाओं का योगदान’ विषय पर एक विद्वत्तापूर्ण, ज्ञानवर्धक भाषण दिया।
डॉ. सावरकर ने भारत के सामाजिक आंदोलन में दलित महिलाओं की भूमिका को तथागत बुद्ध की श्रमण संस्कृति से जोड़कर मध्य युग से लेकर ब्रिटिश शासन तक महाराष्ट्र की चमार, महार, ढोर और मातंग जातियों की महिलाओं की चेतना का एक ऐतिहासिक चित्र प्रस्तुत किया । उन्होंने कहा कि 19वीं सदी में माता सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख ने दलित महिलाओं को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई। 20वीं सदी में बाबा साहब डॉ. अंबेडकर के अथक प्रयासों से महिलाएँ सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ने और अधिकार प्राप्त करने के लिए आयोजित सम्मेलनों में आने लगीं। डॉ. सावरकर ने कहा कि 1920 में पहली बार एक कार्यक्रम में दो लड़कियों द्वारा डॉ. अंबेडकर के सम्मान में एक स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया, जिसमें दलित अधिकारों के लिए बाबा साहब के संघर्ष की सराहना की गई।1928 में सभी महिलाओं के पहले बड़े सम्मेलन में बाबा साहब का जन्मदिन मनाने के लिए महिला मंडलों की स्थापना की गई और उसके बाद हजारों महिलाएं महाराष्ट्र में अंबेडकरी आंदोलन में संघर्ष करती रहीं। दलित महिला लेखकों ने सामाजिक चेतना, समानता, स्वतंत्रता और सामुदायिक एकता पैदा करने के लिए तथागत बुद्ध की विचारधारा पर आधारित रचनाएँ लिखना शुरू किया, जो भारत की स्वतंत्रता के बाद आज भी जारी है। उन्होंने इस सामाजिक चेतना के लिए महिलाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों को दस्तावेजीकृत करने के लिए अपने द्वारा किए जा रहे प्रयासों का भी उल्लेख किया। याद रखें कि डॉ. सावरकर ने इस सन्दर्भ में मराठी भाषा में तीन ज्ञानवर्धक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। उन्होंने सेमिनार में शामिल लेखकों से आग्रह किया कि पंजाब के सामाजिक आंदोलनों में महिलाओं के योगदान के इतिहासलेखन को कलमबद्ध करने के लिए भी विशेष प्रयास किये जाने चाहिए।
अंबेडकर भवन ट्रस्ट के महासचिव डाॅ. जी. सी. कौल ने दर्शकों का स्वागत करते हुए और मुख्य अतिथि डॉ. सुनीता सावरकर का परिचय देते हुए कहा कि 1964 में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के ऑल इंडिया फ्रंट में पंजाब भर से बड़ी संख्या में महिलाओं ने अंबेडकरी आंदोलन में योगदान दिया था। इनमें विशेष रूप से बीबी मलावी देवी, बीबी बंती (ताजपुर की), बीबी राओ पत्नी सेठ मेला राम ‘रिखी’, बीबी प्रकाश कौर, बीबी दरशो, बीबी जय कौर, बीबी अजीत बाली, बीबी भोली, बीबी सवरनी और बीबी प्रकाशो पत्नी शहीद राम प्रकाश शामिल हैं। अंबेडकर मिशन सोसायटी के अध्यक्ष चरण दास संधू ने अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.), अंबेडकर भवन ट्रस्ट और ऑल इंडिया समता सैनिक दल की ओर से सभी को धन्यवाद दिया और कहा कि अंबेडकर भवन ट्रस्ट कई बाधाओं के बावजूद 50 वर्षों से अधिक समय से निरोल अंबेडकर मिशन का प्रचार-प्रसार कर रहा है और भविष्य में भी ऐसा करता रहेगा।
मंच का संचालन सोसायटी के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने शानदार ढंग से किया। इस अवसर पर सर्वश्री परमिंदर सिंह खुतन, जसविंदर वरियाणा, तिलक राज, प्रो. बलबीर, सोहनलाल पूर्व डीपीआई। (कॉलेजों), डॉ. महेंद्र संधू, एडवोकेट हरभजन सांपला, एडवोकेट कुलदीप भट्टी, सन्नी थापर, ज्योति प्रकाश, निर्मल बिनजी, डाॅ. आर. एल. जस्सी पूर्व एडीजीपी (जम्मू-कश्मीर), मदन लाल, तरसेम जालंधरी, प्रो. अश्वनी जस्सल, ओम प्रकाश, प्रिंसिपल परमजीत जस्सल, बलदेव जस्सल, हरी सिंह थिंद, मलकीत सिंह, मास्टर जीत राम, बरजेश कुमार, राजेश विरदी, गुरदेव खोखर, हरी राम ओएसडी, शाम लाल जस्सल, गौतम बौद्ध, कविता धांडे, गुरदयाल जस्सल और हरभजन निम्ता आदि मौजूद थे। यह जानकारी अंबेडकर मिशनसोसायटी पंजाब (रजि.) के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।
बलदेव राज भारद्वाज
महासचिव
अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.)
2. अंबेडकर भवन में माता सावित्री बाई फुले के जन्मदिन समारोह की कुछ झलकियाँ।