80+ से अधिक वकीलों व विधि शोधकर्ताओं द्वारा ओडिशा के राज्यपाल के समक्ष दर्ज याचिका
रायगड़ा जिले में प्रभावित समुदायों पर चल रही दमन, गिरफ्तारियों और छापों के बीच वेदांता द्वारा प्रस्तावित बॉक्साइट खदान के लिए प्रस्तावित ‘जन सुनवाई’ को रोकने की गुहार
(समाज वीकली) 25 सितंबर 2023: 80 से अधिक वकीलों, कानूनी शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने आज ओड़िशा के राज्यपाल को पत्र लिखकर वेदांता लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित सिजीमाली बॉक्साइट खदान के लिए आगामी सार्वजनिक सुनवाई की प्रत्याशा में रायगडा जिले से लगभग २ दर्जन लोगों की अवैध गिरफ्तारियों और हिरासत के बारे में गंभीर चिंता जताई। यह सार्वजनिक सुनवाई संविधान की V अनुसूची के अंतर्गत के आने वाले 1549 हेक्टेयर क्षेत्र को खाली करने के लिए आयोजित की जा रही है | प्रोफ़ेसर कल्पना कन्नाबिरन, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, गौतम भाटिया, जैसे कानूनी विशेषज्ञों ने इस पत्र में प्रभावित समुदायों की स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति के अधिकार का उल्लंघन करने के लिए राज्यपाल से सार्वजनिक सुनवाई को तत्काल रोकने की मांग की है। पत्र में बताया गया है कि पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996 और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), 2006 के तहत उचित परामर्श करने के बजाय, राज्य सरकार ने मंजूरी हासिल करने के लिए जबरदस्ती का माध्यम और दमन का दृष्टिकोण अपनाया है।
अगस्त की शुरुआत से, पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने काशीपुर गांव के लोगों के खिलाफ आधी रात को छापेमारी, अवैध हिरासत और गिरफ्तारियां की हैं । नियमगिरि सुरक्षा समिति के नौ प्रमुख कार्यकर्ताओं, जिनमें लाडा सिकाका, द्रेंजू सिकाका, लिंगराज आजाद और कवि लेनिन कुमार शामिल हैं, का भी नाम गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दाखिल एफआईआर में दर्ज किया गया है | अगस्त २०२३ में गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार 2017 के विजेता, प्रफुल्ल सामंतरा का चेहरा ढंककर और हाथ बांधकर अपहरण करके उन्हें रायगड़ा से उनके गृहनगर ले जाया गया। इसके अलावा, पुलिस के साथ-साथ मेसर्स वेदांता लिमिटेड से संबंधित माइथ्री लिमिटेड के एक अधिकारी द्वारा भी कई एफआईआर दर्ज की गई है जिनमे कुल मिलाकर लगभग सौ व्यक्तियों के साथ-साथ सैकड़ों अन्य अज्ञात लोगों को नामित किया है। ऐसे में, गिरफ्तार किए गए लोगों के परिजन अपनी जमानत सुरक्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, साथ ही इन खुली एफआईआर के तहत आगे उत्पीड़न का खतरा भी मंडरा रहा है।
जहाँ एक तरफ प्रमुख नेता जेल में हैं या उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, वहीँ राज्य सरकार सविंधान की पांचवीं अनुसूची, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, वन अधिकार अधिनियम और पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 में दी गयी कानूनी आवश्यकताओं का अनुपालन किए बिना, सार्वजनिक सुनवाई पर जोर दे रही है। गौरतलब है की परियोजना के लिए आशय पत्र को इस साल मार्च में ही मंजूरी दे दी गई थी, और प्रभावित समुदायों के स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति के अधिकार की परवाह किए बिना मंजूरी प्रक्रिया बेवजह तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि बॉक्साइट खदान 1500 हेक्टेयर से अधिक वर्षावनों में प्रस्तावित है जो बड़ी जैव विविधता, जल निकायों और स्थानीय आजीविका का जीवनाधार हैं।यह सभी स्वतंत्र, पर्याप्त और पारदर्शी पर्यावरणीय और सामाजिक मूल्यांकन के अभाव में गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।
पत्र में राज्यपाल से अगस्त 2023 से जेल में बंद लोगों को रिहा करने और यूएपीए के तहत सभी आपराधिक कार्यवाही वापस लेने का आह्वान किया गया है, ताकि उनके स्वतंत्र रूप से परामर्श में भाग लेने के अधिकार को बरकरार रखा जा सके।पत्र में राज्यपाल से यह सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया गया है कि प्रस्तावित बॉक्साइट खदान के बारे में सभी जानकारी कानून के अनुपालन में विधिवत उपलब्ध कराई जाए, और सार्वजनिक सुनवाई को तब तक रोक दिया जाए जब तक कि स्वतंत्र और खुली लोकतांत्रिक भागीदारी का माहौल सुनिश्चित न हो जाए।