लोहे की कलम से पत्थरों पर लिखा हुआ महान सम्राट अशोक का गौरवशाली इतिहास

लोहे की कलम से पत्थरों पर लिखा हुआ महान सम्राट अशोक का गौरवशाली इतिहास

समाज वीकली-

सम्राट असोक के अभिलेखों का पता लगाना कठिन कार्य रहा है।
▪️कारण ये कि अभिलेख दुर्गम जंगलों, पहाड़ों एवं वीरानों में कहीं पड़े हुए थे।
▪️सर्वप्रथम पैड्रे टीफैनथेलर ने 1750 में दिल्ली – मेरठ स्तंभ की खोज की थी। फिर तो यह सिलसिला चल पड़ा।
▪️फिर दिल्ली – टोपरा स्तंभ की खोज हुई। इसे खोजने का श्रेय 1785 में कैप्टन पोलियर को है।
▪️जे. एच. हेरिंगटन ने इसी वर्ष 1785 में गया के निकट बराबर की पहाड़ियों में गुहा – लेख की खोज की थी। फिलहाल यह स्थान बिहार के जहानाबाद जिले में है।
▪️गुजरात प्रांत में जूनागढ़ के समीप गिरनार की पहाड़ी है। यहीं से 1822 में कर्नल टाड ने असोक के गिरनार शिलालेख का पता लगाया था।
फिर जेम्स प्रिंसेप ने 1838 ई. में सर्वप्रथम ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढ़ने में सफलता प्राप्त की, तब जाकर इतिहास के महान राजा सम्राट असोक को दुनिया ने पहली बार जाना।
🌿🙏🏼विश्व-धम्म-विजय सिरि विश्वसम्राट असोक महान 🌏 🇮🇳

Previous articleਸੱਚ ਦੇ ਵਣਜਾਰੇ
Next articleਹਾਸ ਵਿਅੰਗ