हुसैनपुर (समाज वीकली) (कौड़ा)– रेल कोच फैक्ट्री, में लगातार बढ़ रहे कोच उत्पादन के मद्दे नजर आर सी एफ ने कोचों की शॉवर टेस्टिंग के लिए दो और शॉवर टेस्टिंग रिगों का इंस्टालेशन किया है। इनका उद्वघाटन आर सी एफ के महाप्रबन्धक श्री रवीन्द्र गुप्ता ने फिनिशिंग शॉप में किया। इस अवसर पर सभी अधिकारी और बड़ी तादार में कर्मचारी उपस्थित थे।
इन दो रिगों की स्थापना से आर सी एफ में रिगों की संख्या 5 हो गई है और छठी रिग का निर्माण कार्य जारी है। कोच के निर्माण का अंतिम पड़ाव शॉवर टेस्टिंग होता है जिसमें कोच को रिग में ले जाकर तेज पानी के शॉवर के नीचे लीकेज आदि के लिए टेस्ट किया जाता है। आर सी एफ में पहले शॉवर टेस्टिंग की क्षमता 9 कोच प्रति दिन तक सीमित थी जो अब 15 कोच प्रतिदिन हो गई है तथा तीसरे नए रिग के निर्माण से यह क्षमता 18 कोच प्रतिदिन तक पहुँच जायेगी।
प्रत्येक रिग में शॉवर टेस्टिंग के लिए नॉन ए सी कोच को 15 मिनट लगते हैं जबकि ए सी कोच के लिए 25 मिनट का समय लगता है। प्रत्येक रिग में पानी के छिड़काव के लिए 450 नोजलें लगीं हैं। इनको 6 फुट X 2.5 फुट x 3 फुट के आकार के टेंक से जोड़ा गया है जिसमें पानी एकत्र करने की क्षमता 50 हजार लीटर है। शॉवर टेस्टिंग के बाद इस्तेमाल किये गये पानी को री – साइकिल करने की सुविधा दी है।
नए निर्मित रिगों की विशेषता यह है कि इनके ऊपर चढ़ने के लिए अधिक सुविधाजनक सीढ़ी और चौढ़े प्लेटफार्म बनाये गये हैं। जिससे होने वाली दुर्घटना से बचाव संभव होगा। शॉवर टेस्टिंग के समय कोच के भीतर 2-3 कर्मचारी कोच की अंदरूनी छत और दिवारों का गहन निरीक्षण करते हैं ताकि किसी लीकेज का पता लगाया जा सके। यह टेस्टिंग कोच निर्माण की अत्यंत महत्वपूर्ण और जरूरी कड़ी है।
इस अवसर पर आर सी एफ के महाप्रबन्धक श्री रवीन्द्र गुप्ता ने कहा कि बढ़ते हुए कोच निर्माण के मद्देनजर सामान की र्निविघन सप्लाई के साथ साथ कोच निर्माण के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर का होना अत्यंत जरूरी है। इन रिगों को सिर्फ 4 महीने से भी कम समय में आर सी एफ ने तैयार किया है जोकि बेहद प्रशंसनीय है।
उल्लेखनीय है कि इस महीने आर सी एफ ने कोच शैल बनाने की क्षमता को बढ़ाने के लिए अपने 13वें कोच असैंबली जीग का खुद निर्माण तथा कमीशन किया। आर सी एफ हर स्तर पर अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर उत्पादन दर बढ़ाने के लिए तीव्र गति से अग्रसर है। उत्पादन को बढ़ाने से केवल आर सी एफ में ही नही बल्कि आस पास की कई सहायक औद्योगिक ईकाईयों में रोजगार के अवसर पैदा होगें तथा क्षेत्र का आर्थिक विकास भी होगा।