(समाज वीकली)
जीवन में , कभी, ऐसा हो सकता है:
आपको साजिशन दोषी घोषित किया जाऐ
और आप बेबस है:
उन्मादी भीड़ के सामने
रुढ़िवादीओ के दरबार में
राजनिति के अखाड़े में
बदतंत्र के जाल में
तो क्या करें ?
वह करें, जो वो कहें
वह बोलें, जो वो बोलें
यह मशवरा नहीं,
यह तो एक दांव है:
बस, बच निकलने का ।।
जिन्दा रहना है, उस लक्षय के लिए
जो पूरा करना है अभी, इस जीवन में
कट्रवादी लोग नहीं छोड़ेगे
आपकी छोटी सी गलती को भी
वह तो हमेशा इसी फ़िराक में रहते है कि
कैसे आपको भेदा जाए
सदीयों से यही तो होता चला आया है।।
एक अनुभव है:
गरम हवा से बचना है तो झुक जाओ !
जब आपको आभास हो कि
आपको भेदने की चाल चली जा रही है
तो आपको बच कर निकल जाना चाहिए
अपनी तरफ आते हुए तीर को देख कर:
झुक जाओ !
तीर आपके ऊपर से निकल जाएगा
आप बच तो जाएंगे, लेकिन कुछ लोग
ऐसे बच निकलने के दांव को
कायरता कहने की गलती करेंगे।।
क्योंकि वह नहीं समझते:
चाल और दांव के संग्राम को
युदध तो युदध है :
अगर वो जीतना चाहते हैं तो
हम क्यों नहीं !