फिरकाप्रस्ती की जंजीरों से बाहर निकल कर सब को एकजुट करेंगे तभी बचेंगे- अमरीक सिंह
यह कर्मकांड या रस्म-अदायगी करने का दिन नहीं, यह अपने हक अधिकारों को बचाने के लिए संकल्प लेने का दिन है – परमजीत सिंह खालसा
कपूरथला (ਸਮਾਜ ਵੀਕਲੀ) (कौड़ा)- मजदूर दिवस पर आर.सी.एफ की सभी यूनियन व एसोसिएशन द्वारा संयुक्त रुप से एक मई के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए झंडा फहराने की रस्म अदा की गई। इस मौके पर गुरजीन्दर सिंह, बूटा राम व संजय कुमार द्वारा इंक़लाबी व मेहनतकश मज़दूरों के गाने पेश कर सरकार की नीतियों से पर्दा उठाने की कोशिश की गई। इसके साथ ही कर्मचारियों द्वारा “मई दिवस के शहीदों को लाल सलाम” व “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे लगाते हुए मजदूर दिवस पर मजदूर वर्ग के हक अधिकारों के लिए लड़ने का प्रण लिया गया।
शिकागो के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आरसीएफ इंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष का. अमरीक सिंह ने कहा कि हम आज उन्हें याद करने के लिए एकत्रित हुए हैं जिन्होंने हमारे उज्जवल भविष्य के लिए अपनी कुर्बानिया दी, भारत के मजदूरों की 1857 की क्रांति तथा 1862 में कोलकाता रेल मजदूरों की हड़ताल से सीख लेते हुए अमेरिका के लाखों मजदूरों ने संगठन बनाकर अपने अधिकारों तथा सरमाएदारी सिस्टम के खिलाफ आवाज बुलंद की, जिसकी बदौलत पूरी दुनिया के मजदूरों को बहुत सारे हक प्राप्त हुआ। लेकिन आज देश की मोदी सरकार हम मजदूर कर्मचारियों को जात-पात, धर्म, भाषा, लिंग, क्षेत्र इत्यादि के आधार पर आपस में लड़ा कर 41 श्रम कानूनों को चार लेबर कोड में मर्ज कर हमारे हक अधिकारों पर बुलडोजर चलाने की तैयारियां करी बैठी है। इसलिए आज समय की जरूरत है कि हम अपने छुटपुट मतभेदों को पीछे छोड़ते हुए, छोटी-छोटी मांगों को एक तरफ रखते हुए एकजुटता के साथ सभी कर्मचारियों को एक मंच पर संगठित करने का कार्य कर, मोदी सरकार की इन देश व आमजन विरोधी नीतियों का मुंहतोड़ जवाब दें।
आरसीएफ इंप्लाइज यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष व आई आर टी एस ऐ के जोनल अध्यक्ष दर्शन लाल आई आर ई एफ के सरपरस्त, परमजीत सिंह खालसा, आर सी एफ इंप्लाइज यूनियन के ऑर्गेनाइजर सेक्रेटरी भरत राज ने कहा कि पहली मई को मज़दूरों का सबसे बड़ा दिन, सबसे बड़ा त्यौहार–अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस – दुनिया के कोने-कोने में जोशो-खरोश से मनाया जा रहा है। यह किसी प्रकार का कर्मकांड या रस्म-अदायगी करने का दिन नहीं हैं। पहली मई को सारे संसार के मज़दूर सम्मेलन, रैलियाँ, हड़तालें, प्रदर्शन करके महान मज़दूर शहीदों को याद कर उनके विचारों, संघर्षों, कुर्बानियों से प्रेरणा लेने का दिन है। मौजूदा समय में जब दुनिया-भर में मज़दूरों-मेहनतकशों का पूँजीवादी-साम्राज्यवादी शोषण बेहद तेज हो चुका है।
मज़दूर एकता के न होने से कुर्बानियों भरे संघर्षों की बदौलत हासिल किए गए अधिकार हुक्मरानों द्वारा एक-एक करके छीने जा रहे हैं। श्रम अधिकारों पर बड़ा डाका डालते हुए मोदी सरकार ने पुराने श्रम क़ानूनों की जगह चार नए श्रम क़ानून (लेबर कोड) बना दिए हैं, जिसके ज़रिए कर्मचारियों/मज़दूरों को पूँजीपतियों/सरमायदारों की पहले से कहीं अधिक गुलामी के गढ्ढे में धकेल कर इतिहास को वापिस 19 वी सदी की गुलामी में ले जाने की साजिश हो रही है। इसलिए ऐसे घनघोर अँधेरे समय में मज़दूर वर्ग के लिए अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस की क्रांतिकारी विरासत का महत्व बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है। यह ज़रूरी है कि हम मई दिवस की विरासत को आत्मसात करते हुए अपने कर्मचारियों/मज़दूरों को जागरूक करें व अपने अधिकारों के लिए संघर्ष तेज़ करें।
ओबीसी एसोसिएशन से अरविंद कुमार ने कहा कि देश में सभी पार्टियों की सरकारों ने मज़दूरों और अन्य मेहनतकशों के शोषण के लिए पूरा ज़ोर लगाया है। मौजूदा समय में हमारे सामने एन. पी. एस को रद्द करवाकर पुरानी पेंशन बहाल करवाने, नई भर्ती करवाने, रेलवे के निगमीकरण निजीकरण की साजिशों पर रोक लगवाने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को रद्द करवाने व शरमाई डारी सिस्टम द्वारा देश के आम जन के छीने जा रहे हक अधिकारों इत्यादि के खिलाफ सब को एकजुट कर संघर्ष के मैदान में आना होगा। इसके लिए हमें अपने महान इतिहास से सीखकर न सिर्फ़ अपने हक़ अधिकारों के छीने जाने के खिलाफ़ लड़ाई लड़नी है बल्कि दूसरे मेहनतकश, मजदूरों, किसानों, कर्मचारियों, नौजवानों, महिलाओं इत्यादि को साथ में लेते हुए, उनका नेतृत्व करते हुए मज़दूर वर्ग को संगठित करते हुए इन सरमायदारी नीतियों को जड़ से उखाड़ फेंकना है।
मजदूर दिवस पर शिकागो के शहीदों को याद करने के लिए आरसीएफ के तमाम संगठन जिसमें आरसीएफ इंप्लाइज यूनियन, आरसीएफ मैंस यूनियन, आईआरटीएसए, ओबीसी एसोसिएशन, एससी एवं एसटी एसोसिएशन इत्यादि अपने-अपने कैडर के साथ शामिल हुए।
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