आई आर ई एफ ने विवेक देवराय के बयान को किया सिरे से ख़ारिज

पुरानी पेंशन बहाली संबंधी झूठी बयानबाजी कर देश को गुमराह किया जा रहा है- सर्वजीत सिंह

कपूरथला (ਸਮਾਜ ਵੀਕਲੀ) (कौड़ा)- देश भर के लाखों केंद्रीय व राज्य सरकार के अधीन आते कर्मचारी नई पेंशन योजना के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। जिसके फलस्वरूप पुरानी पेंशन का मुद्दा लगभग सभी राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। वही दूसरी ओर केंद्र सरकार और कॉर्पोरेट संस्थानों के इशारे पर, मीडिया संगठनों और तथाकथित अर्थशास्त्रियों ने पुरानी पेंशन बहाली को अव्यावहारिक और देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ बताते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर दिया है और अब जहां भारतीय रिजर्व बैंक भी इस खेल में शामिल हो ग‌ई है वहीं प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ विवेक देवराय ने बेतुका व अर्थहीन बयानबाजी करते हुए कि जो राज्य पुरानी पेंशन स्कीम बहाल कर रहे हैं वह 2030 तक दिवालिया हो जाएंगे! विवेक देवराय के इस बयान का इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन ने जोरदार शब्दों में खंडन किया है।

प्रेस बयान जारी करते हुए इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन के महामंत्री कामरेड सर्वजीत सिंह व राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड मनोज पांडे ने संयुक्त रूप में कहा कि हमारे समय में अजीबोगरीब घटनाएं घटित हो रही हैं। एक तरफ देश की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां नवउदारवादी एजेंडे पर एकमत हैं और तेजी से उस पर काम कर रही हैं। दूसरी तरफ वो नवउदारवादी नीतियों के फैलाव तथा सामने आ रहे बुरे नतीजों के कारण इन नीतियों के उल्टा स्टैंड लेने पर मजबूर हो रही हैं। इसकी ताजा उदाहरण पांच राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना की बहाली है, जिसमें उन्हें नई/राष्ट्रीय पेंशन नीति के खिलाफ खड़े होने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। क्योंकि पुरानी पेंशन का विषय न केवल कर्मचारियों के लिए एक भावनात्मक विषय है, बल्कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद कम पेंशन मिलने से बुढ़ापा अंधकारमय होने का डर भी परेशान कर रहा है, इसका मुख्य कारण है एनपीएस का खोखला वैचारिक आधार।

प्रैस को जानकारी देते हुए अमरीक सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष एफ ए एन पी एस आर, प्रधान आर सी एफ इम्पलाईज यूनियन एवं संयुक्त सचिव एनएमओपीएस ने कहा कि देश के पांच राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने कारपोरेट जगत के इशारे पर अपनी पूरी मशीनरी को मैदान में उतार दिया है, जिसमें प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ विवेक देवराय व प्रमुख रुप में योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, भाजपा नेता सुशील मोदी जो यह कह रहे हैं कि 2030 तक जो राज्य सरकारें पुरानी पेंशन बहाल कर रही हैं वह दिवालिया हो जाएंगी, पुरानी पेंशन के भूत को मत जगाओ! देश की स्थिति श्रीलंका जैसी हो जाएगी! इत्यादि-इत्यादि।

इस पर आई आर ई एफ के नेताओं ने कहा कि यह सभी खुद लगभग 4-4 पेंशन लेने वाले कॉर्पोरेट घरानों के दलाल कर्मचारियों की पेंशन की व्यवहारिकता पर सवाल उठा रहे हैं? लेकिन दूसरी तरफ कारपोरेट इतिहास के सबसे बड़े फ्रॉड कर देश के आम लोगों के लगभग 20 लाख करोड़ रुपए शेयर मार्केट में डुबो देने वाले अदानी के इस महा घोटाले को लेकर सभी मौन धरे हुए हैं, इसी तरह पिछले सालों में कारपोरेट जगत के भारत सरकार द्वारा 10 लाख करोड रुपए से अधिक के लोन एनपीए में डालने पर भी यह अर्थशास्त्री/अनर्थशास्त्री मौन अवस्था में है।

IREF के नेताओं ने जोरदार तरीके से कहा कि एनपीएस के अंतर्गत आते कर्मचारियों के वेतन में से भारी कटौती कर उस पैसे को पीएफआरडीए/भारत सरकार द्वारा शेयर मार्केट में इन्वेस्ट किया जाता है और उसी पैसे में से बड़ी मात्रा में पैसा अदानी ग्रुपों के शेयर में LIC, SBI इत्यादि द्वारा लगवाया गया है, जिसमें प्रतिदिन भारी गिरावट के साथ एनपीएस धारकों का हजारों करोड़ रुपए डूब चुके है। जिसके ऊपर इन तथाकथित अर्थशास्त्रियों का कोई भी बयान नहीं आया है और ना ही आएगा! एनपीएस के तहत कर्मचारियों की अल्प पेंशन, उजड़ता बुढ़ापा और पहाड़ जैसी चिंताओं पर कोई बात करने को तैयार नहीं है।

इसलिए इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार कमेटी के अध्यक्ष डॉ विवेक विवेक देवराय के उपरोक्त बयान का जोरदार शब्दों में खंडन करते हुए देश के सभी कर्मचारियों से आह्वान करते हैं कि नई पेंशन स्कीम/पुरानी पेंशन स्कीम संबंधी फैलाए जा रहे झूठे षड्यंत्र का पर्दाफाश करते हुए आने वाले समय में इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन की तरफ से बड़े संघर्ष का आह्वान किया जाएगा जिसमें देश की मेहनतकश जनता सरकार के झूठे प्रचार से सतर्क व जागरूक रहते हुए संघर्ष का झंडा बुलंद करें। वह देश के इन तथाकथित अनर्थशास्त्रियों को चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपने इन बेतुकी बयान बाजी से बाहर निकले व देश के तमाम कर्मचारियों की दुख पीड़ा को समझते हुए उनकी बात रखने की कोशिश करें। खुद 4-4 पेंशन का लाभ लेकर अपना बुढ़ापा काटने वाले यह लोग दूसरों को झूठ का पाठ ना ही पढ़ाएं तो बेहतर होगा नहीं तो इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन को मजबूरन इनके खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजाना पड़ेगा।

 

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