बच्चों में बढ़ती अनुशासनहीनता

शाम लाल कौशल

(ਸਮਾਜ ਵੀਕਲੀ)

आज से 50 या 60 साल पहले बच्चों के हंसते, खेलते, मुस्कुराते, मासूम, भोले भाले चेहरे देखकर मन खुश हो जाया करता था! गर्भवती माताएं कृष्ण जी के बचपन की फोटो अपने शयन कक्ष में लगाकर श्री कृष्ण जी की तरह नटखट और गुणी संतान पैदा होने के ख्वाब देखा करती थी और वैसे भी बचपन मनुष्य के जीवन का वह सुनहरी मांजर है जब चिंता , फिक्र, डर नाम की कोई चीज नहीं सताती। माता पिता तथा बड़ों के होते हुए बच्चे मौज करते हैं। लेकिन आजकल बच्चों में ऊपर लिखी गई बातें कहीं भी देखने को नहीं मिलती।

आजकल के बच्चे गुस्सैल, ज़िद्दी, मनमानी करने वाले, कामचोर, चालाक, झूठे, बेईमान, फिजूल खर्च, लापरवाह तथा माता पिता तथा मित्रों से बातें छुपाने वाले देखने को मिलते हैं। लगभग हर मां को अपने बच्चे के बारे में यह शिकायत जरूर सुनने को मिलती है….. मेरे बच्चे को गुस्सा बहुत आता है….. मेरा बच्चा मेरे कहने से बाहर है….. आदि आदि! बच्चों में जो अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है उसे देखकर लगता तो नहीं ऐसे बच्चे बड़े होकर समाज या देश हित के लिए कोई काम करेंगे , कर्तव्यनिष्ठ तथा इमानदार होंगे। क्या हमारे देश का भविष्य इस प्रकार के बच्चों के बड़ा होने पर सुरक्षित समझा जा सकता है? इस बात पर शक है।

अब पूछा जा सकता है कि आज के समय में बच्चों में अनुशासनहीनता, आपराधिक प्रवृत्ति, हिंसा, झूठ, कपट, फिजूलखर्ची आदि बातें क्यों बढ़ती जा रही हैं! आज का बच्चा मासूम, भोला, मुस्कुराते हुए चेहरे वाला क्यों नहीं है! अगर इस कटु सत्य का विश्लेषण किया जाए तो शायद हमारे में से अधिकांश माता पिता या बुजुर्ग मन ही मन में इसको मानतो लेंगे लेकिन अब सुधार के लिए बहुत देर हो चुकी है! यह बात सर्वविदित है कि घर को ही नागरिक जीवन की प्रथम पाठशाला कहा जाता है। बच्चा बचपन से ही जिस तरह अपने माता-पिता, बड़े भाई बहनों आदि को जैसा व्यवहार करते हुए देखता है उसकी छाप उसके दिमाग पर पड़ जाती है और वह उसी तरह करने लग जाता है। अधिकांश घरों मैं आजकल पति पत्नी एक दूसरे के साथ ईगो की लड़ाई लड़ रहे हैं, एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हुए हैं, एक दूसरे पर विश्वास नहीं करते, बहुत बार दोनों में हाथापाई भी हो जाती है, गाली गलौज, पत्नी का रूठ कर मायके चले जाने की धमकी और पति का अन्य औरत के साथ गैरकानूनी रिश्ता आदि बातें आम होने लगी हैं।

पति पत्नी एक दूजे का कहना नहीं मानते। एक दूसरे से झूठ बोलते हैं, बहुत सारी बातें एक दूसरे से छुपाते हैं। अगर पति पत्नी दोनों कामकाजी हैं तो कमाई हुई आमदनी को अपने अपने बैंक खाते में जमा रखते हैं, उन दोनों में एक दूसरे का सम्मान करना, अपने आप को संयम में रखना, एक दूसरे के रिश्तेदारों का मान सम्मान करना, घर में काम में एक दूसरे की सहायता करना आदि बातें देखने को नहीं मिलती। अब जब बच्चे अपने घर में ही इन बातों को देखते हैं तो उन पर इनका असर हुए बिना नहीं रह सकता। कई बार पति पत्नी की आपस में नाराजगी होती है, जो कि वह निकाल नहीं सकते। उनके मन में एक दूसरे के प्रति क्रोध तथा ईर्ष्या होती है जिसके कारण बच्चों को वो बिना कारण के पीट देते हैं। बच्चा समझता है कि उसका कोई कसूर नहीं था फिर भी उसकी पिटाई हो गई। इसी कारण उसके मन में भी हिंसक प्रवृत्ति के बीज बोए जाते हैं। बच्चों की अनुशासनहीनता का मुख्य कारण घर का वातावरण ही होता है।

इसके अलावा बच्चा जब अपने स्कूल में जाता है तो वह बहुत सारे बिगड़ैल बच्चों के संपर्क में आता है जोकि चोरी करते हैं झूठ बोलते हैं, होमवर्क ना करने के बहाने बनाते हैं, अपने माता-पिता की उनकी हैसियत को ध्यान में रखकर शिक्षकों का मान सम्मान नहीं करते बल्कि उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। कई बार बच्चों में अनुशासनहीनता इसलिए भी आती है क्योंकि कुछ अध्यापक बच्चों के साथ व्यवहार करने में तथा उनको नंबर देने में भेदभाव करते हैं। इससे बच्चे के मन में अध्यापक के प्रति दुर्भावना पैदा हो जाती है और कई बार वह अनुशासन को भूलकर दुर्व्यवहार कर बैठता है। इतना ही नहीं आजकल के कुछ बच्चे गलत सोहबत में पड़कर अपराधिक गतिविधियां तथा मादक पदार्थों का सेवन भी करने लगे हैं जिससे बड़े होकर उनके पथभ्रष्ट होने का रास्ता खुल जाता है।

बच्चों में अनुशासनहीनता तथा पथभ्रष्ट होने का एक मुख्य कारण मोबाइल फोन की बढ़ती रुचि भी है। आज जिसे भी देखो मोबाइल मैं व्यस्त है। कोरोना काल में अधिकांश शिक्षा संस्थाएं बंद थी। लेकिन बच्चों की पढ़ाई मोबाइल के द्वारा ऑनलाइन तरीके से हुआ करती थी। इसके अनुसार माता पिता के लिए बच्चों को एंड्राइड मोबाइल उपलब्ध कराना जरूरी हो गया। आजकल तो स्कूल वाले बच्चों के द्वारा किए जाने वाले होमवर्क को भी मोबाइल की मार्फत भेजने लगे हैं, इतना ही नहीं मोबाइल के द्वारा बच्चों की ऑनलाइन परीक्षाएं भी होने लगी हैं और परीक्षा परिणाम भी भेजे जाने लगे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में मोबाइल का घर जाना बच्चों के लिए इतना उपयोगी नहीं जितना कि उनमें अनुशासनहीनता तथा मोबाइल में बच्चों के लिए वर्जित ऐप खोलकर दिमागी उथल-पुथल पैदा करने वाली चीजें देखने से सत्यानाश करना होता है। बच्चे घंटो घंटो मोबाइल में व्यस्त रहते हैं, बच्चों के लिए वर्जित सामग्री देखते हैं, गेम खेलते हैं, इस बीच अगर उनसे मोबाइल ले लिया जाए तो वह ऐसे समझते हैं जैसे कि उनके साथ बहुत बड़ी बे इंसाफी कर दी गई हो। वह ऐसे में माता पिता के साथ बहुत ही बदतमीजी से पेश आते हैं और उनमें अनुशासनहीनता देखी जा सकती है।

आजकल के बच्चों में अनुशासनहीनता का एक कारण समाज मे फैली अनैतिकता, स्वार्थ सिद्धि, पाखंड, धोखा, फरेब, हेरा फेरी, बेईमानी, राजनीतिक आदि बातें भी जिम्मेवार हैं। बच्चा समाज में जो कुछ देखता है उसका प्रभाव और उसकी सोच तथा गतिविधियों पर पड़ता है। आज के बच्चे समय से पहले ही परिपक्व हो जाते हैं और सभी बातें समझने लगते हैं। जब सब तरफ अनुशासनहीनता, बेईमानी, भ्रष्टाचार, हत्या, हिंसा, बलात्कार, राहजनी, छीना झपटी आदि बातें हो रही होंगी बच्चा इनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। ऐसे में माता-पिता की उम्र भर की कमाई इनके ऊपर खर्च करने से बर्बाद तो जाती ही है, उनकी बच्चों से अपेक्षाएं कभी पूरी हो पाती और बच्चे भी पथभ्रष्ट होकर गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं।

आखिरकार बच्चे तो बच्चे ही होते हैं। इन्हें हम अनुशासनहीनता के कुएं में कैसे गिरने दे सकते हैं। वक्त रहते इन्हें संभालना, समझाना तथा बल प्रयोग आदि तरीके इस्तेमाल करने होंगे। अगर माता पिता स्वयं बच्चे के सामने आदर्श चरित्र पेश करेंगे तो बच्चे श्री रामचंद्र जी, श्रवण कुमार आदि के तौर पर आचरण करेंगे, अगर राजनेता, व्यापारी, उत्पादक, अध्यापक, समाजसेवी लोग, धार्मिक गुरु आदि माता पिता तथा बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाएंगे, ईमानदारी, परिश्रम, कर्तव्यनिष्ठता, आज्ञाकारी होने, कानून की पालना करने आदि पाठ पढ़ाएंगे तो बच्चों में धीरे-धीरे अनुशासन का पाठ पढ़ना ही नहीं बल्कि उस पर अमल करने की आदत भी शुरू हो जाएगी। और बच्चों को आप पहले की तरह मासूम, भोला, मुस्कुराते चेहरे वाला, ईमानदार तथा आज्ञाकारी ही पाएंगे! पढ़ाई के समय पढ़ाई और खेलने के समय बच्चों को खेलने देना चाहिए! इंडोर गेम ही नहीं बल्कि आउट डोर

गेम खेलने से भी बच्चों में अनुशासन की भावना पैदा होती है!

प्रोफेसर शाम लाल कौशल
मोबाइल-9416359045
रोहतक-124001( हरियाणा)

 

 

 

 

 

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