बिहार में आकार लेता शिक्षा से परिवर्तन फुले अंबेडकरी मिशन
(संदर्भ छात्रवृत्ति, मार्गदर्शन एवं पुस्तक वितरण समारोह 2023)
(समाज वीकली)
जब भीड़ पढ़ने के लिये हो
आगे बढ़ने के लिये हो
कुछ कर गुजरने के लिये हो
अशिक्षा से लड़ने के लिये हो
शिखर पर पहुंचने के लिये हो
तब समझ लिजियेगा कि बहुजन महापुरूषों के सपनों ने धरातल पर उतरकर शनै-शनै लक्ष्य के करीब जाने का मन बना लिया है और बिहार में इसे अमलीजामा पहनाने की जिम्मेवारी मान्यवर डॉ0 नरेन्द्र सिंह साहब, बिहार के नेतृत्व में फुले अंबेडकर शिक्षण संस्थान, पटना तथा एजुकेशन फॉर चेंज, मुजफ्फरपुर ने ले ली है । जिसका एक उदाहरण दिनांक 24 अक्टूबर 2023 को गेट पब्लिक लाइब्रेरी, गर्दनीबाग, पटना में छात्रवृत्ति( ₹10000 की 50 स्कॉलरशिप), मार्गदर्शन एवं पुस्तक वितरण समारोह 2023 के दौरान देखने को मिला जब पूरे बिहार एवं झारखंड के अनुसूचित जाति, जन जाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं ई.डब्लू.एस. के छात्र-छात्राओं ने भारी संख्या में उपस्थित होकर इस शैक्षणिक मुहिम को गति देने का प्रयास किया। इस कार्यक्रम में उच्चकोटि के शिक्षाविद यथा कुलपति, पूर्वकुलपति, आई.ए.एस, आई.पी.एस, डॉक्टर, प्रोफेसर, लेखक, चिंतक, विचारक, सलाहकार ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया साथ ही साथ 10 -10 हजार के 50 छात्रवृत्ति (उन मेधावी छात्र-छात्राओं को जिन्होंने 2023 में मैट्रिक, इंटरमिडिएट, स्नातक, परस्नातक, पीएचडी की परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त किया है) बहुजन समाज के इन 10 विभुतियों के नाम पर दिया– 1. माता सावित्री बाई फुले, 2. माता रमाबाई, 3.माता झलकारी बाई, 4. माता फातिमा शेख, 5. गुरू गोबिन्द सिंह 6.बाबा गाडगे, 7.महानायक बिरसा मुंडा, 8.शहीद जगदेव प्रसाद, 9.पर्वत पूरूष दशरथ मांझी, 10.मा0 मैकू राम 11. आर एल चंदापुरी।
कार्यक्रम की शुरूआत बुद्ध वंदना से हुई जिसे छोटे बच्चों ने गाया और वहां उपस्थित जनसमूह ने उनका साथ दिया । सारे अनर्थ अविद्या ने किये – ज्योतिबा फुले की कथन को चरितार्थ करते पद्मश्री सुधा वर्गीज ने कहा कि आज विशेष कर मुसहर जाति की महिलाएं अपने बच्चों को सरकारी छोड़ प्राइवेट स्कूलों में भी पढ़ाने को तैयार है क्योंकि वह जानती है कि अशिक्षित होने के कारण उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इसी को विस्तार देते हुए एग्रीकल्चर महाविद्यालय भागलपुर से आए डॉक्टर संतोष गौतम ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र कृषि है और अगर इसे वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो देश और तेजी से प्रगति करेगा। उन्होंने इच्छुक बच्चों को एग्रीकल्चर के क्षेत्र में भी करियर बनाने की सलाह दी।
अपनी बेहतरीन बोलने की कला से समृद्ध विजय कुमार साहब रिटायर्ड प्रिंसिपल और वर्तमान सीनियर कंसल्टेंट इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ होटल मैनेजमेंट, शिलांग मेघालय विशेष रूप से इस कार्यक्रम के लिए पटना पधारे थे। उनके अनुसार होटल मैनेजमेंट वर्तमान समय में करियर का एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां असीमित संभावनाएं हैं आप अपने सपनों को हकीकत में बदलते हुए देख सकते हैं। वर्तमान में डॉक्टर इंजीनियर बनने की जो भाग दौड़ मची है उससे अलग भी आप अपने भविष्य को संवार सकते हैं तथा अपने परिवार अपने समाज में एक रोल मॉडल बनकर सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र में सेवा कर सकते हैं। इसमें छोटी अवधि से बड़ी अवधि के कई कोर्स मौजूद है। उन्होंने इस विषय पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी साझा किया जिससे बच्चों में होटल मैनेजमेंट के प्रति दिल्चस्पी दिखाई पड़ी।
जिनकी पाठशाला से 400 से अधिक आईएएस आईपीएस एवं अन्य राज्य सेवाओं में पदाधिकारी निकले हो और वह मार्गदर्शन करने पटना में आए तो बच्चों का उत्साह चरम पर होना लाजमी है। बात हो रही है मा0 दीपक कदम सर की जो महारष्ट्र से यहा पधारे थे। बिहार झारखंड के बच्चों को आईएएस आईपीएस एवं अन्य राज्य सेवाओं में पदाधिकारी कैसे बना जा सकता है उस पर महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया एवं मंच से यह आह्वान किया कि जो विद्यार्थी इन सेवाओं की तैयारी करना चाहता है उन्हें वह अपने संस्थान महाराष्ट्र में मुफ्त में तैयारी करवायेंगे।
पद प्रतिष्ठा मान सम्मान हासिल करना हर व्यक्ति का सपना होता है और उस सपने को हकीकत में बदलने का गुर जब मा0 सत्येन्द्र कुमार, एम्बेसडर सीनियर काउंसलेट रिटायर्ड इंडियन फॉरेन सर्विसेज बताने वाले हों तो क्या कहना। सिविल सर्विसेज की परीक्षा पर इनसे अधिक तथ्यपरक जानकारी कोई और दे नहीं सकता था। इन्होंने असाधारण विषय को बहुत ही साधारण शब्दों में बच्चों को समझा दिया।
भारत का संविधान लिखने वाले डॉक्टर बी आर अंबेडकर एक वकील थे भारत के पहले प्रधानमंत्री एक वकील थे भारत के पहले राष्ट्रपति भी एक वकील थे इन्हीं सब बातों को लेकर इस कार्यक्रम में दो जजों मा0 सदन लाल प्रियदर्शी पटना तथा मा0 अनिल राम कटिहार ने न्यायपालिका में करियर पर विस्तार से चर्चा की तथा न्यायपालिका में बहुजनों की कम संख्या पर चिंता भी जताई और वहां उपस्थित बच्चों को न्यायपालिका में अपना भविष्य बनाने के लिये उपयोगी टिप्स भी दिये।
अकाट्य तर्क, तथागत बुद्ध तथा बहुजन विभूतियां पर अनेकों शोध, बौद्ध विरासत को दिन-ब-दिन परत-दर-परत जमीन से खोदकर हमारे बीच लाने वाले प्रोफेसर डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद सिंह के लिए कार्यक्रम का समय कम पड़ जाता है क्योंकि उनको सुनाने वाले घंटों उन्हें सुनने को तैयार रहते हैं। उनका जोर कि बच्चें इतिहासकर, भाषा वैाज्ञानिक बन कर भी अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं साथ ही साथ गलत तरह से लिखे इतिहास को सुधारने में भी अपनी महती भूमिका निभा सकते हैं ।
माता सावित्रीबाई फुले को आदर्श मानने वाली मृदुभाषी चेहरे पर मुस्कान लिये झारखंड के एक छोटे से गांव से निकलकर सिद्धू कान्हू यूनिवर्सिटी में कुलपति के पद तक का सफर तय करने वाली आदरणीया प्रो0 सोन झरिया मिंज एक जीता-जागता उदाहरण है कि अगर लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाए तो लक्ष्य छोटा हो जाता है। पिछले साल की भांति इस साल भी मैडम ने अपने उद्बोधन से पूरे जन समूह का मन मोह लिया विशेषकर बच्चों के अंदर से गणित और विज्ञान का डर समाप्त कर दिया।
आंकड़ों की समझ सभी को नहीं होती पर वैसे आंकड़े जो आपको अंदर तक हिला कर रख दे, आपको सोचने को मजबूर कर दे तब उसे समझाने वाले सहज ही आपका ध्यान अपनी और आकर्षित कर लेंगे वह भी जब बात कैरियर गाइडेंस की हो रोजगार की हो। प्रोफेसर डॉ राजकुमार दिल्ली यूनिवर्सिटी, जो लगातर पटना के सभी कार्यक्रमों में आते रहे हैं जब उन्होंने एक विस्तृत विवरण के साथ यह कहा कि आज भी लाखों पद शिक्षा के क्षेत्र में अनेक विश्वविद्यालय में खाली है तो मन में कौतूहल होना स्वाभाविक है। उन्होंने बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में जाने को मागदर्शित किया।
मा0 करियानंद पासवान, पूर्व कुलपति, मगध महाविद्यालय, बोधगया ने बच्चों और शिक्षक के बीच का संबंध तथा वर्तमान समय में बच्चों द्वारा जिस तरह टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग किया जा रहा है उसे पर गहरी चिंता व्यक्त की तथा टेक्नोलॉजी को सकारात्मक रूप में इस्तेमाल करने की सलाह दी।
अपने चिर परिचित अंदाज में बच्चों को विषय की बारीकियां को समझाते समझाते उन्हें प्रेरणादायक बातों से प्रेरित करने वाले प्रोफेसर आर.एस. राव नेताजी सुभाष चंद्र टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी नई दिल्ली ने बच्चों में जैसा ऊर्जा का संचार किया उसका स्तर देखते ही बन रहा था।
कुछ बच्चे जो पारिवारिक समस्या अथवा संसाधन की कमी से उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते उनके लिए भी रिटायर्ड अपर सचिव, भारतीय रेल विजयी राम साहब ने भारतीय रेल जो सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी देने वाला विभाग है उसमें ग्रुप ‘डी’ से से लेकर टेक्निकल तथा नॉन टेक्निकल पदों पर नियुक्ति तथा उसकी तैयारी संबंधी सारी बारीकियों से बच्चों को परिचय कराया।
मंच संचालन के लिए विशेष रूप से जालंधर से आई उपासिका चंचल बौद्ध प्राचार्य बोधिसत्व डॉक्टर बी आर अंबेडकर स्कूल अपनी सहयोगी जया यशपाल प्राचार्य सावित्रीबाई फुले स्कूल पटना के साथ बेहतरीन तालमेल से मंच संचालित किया जिससे वहां उपस्थित सभी लोग समय-समय पर तालियों के साथ उनका हौसला बढ़ाते रहे।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब पटना का बहुत बड़ा योगदान रहा है जिन्होंने अपनी ओर से 1500 लोगों के लिये नाश्ते में घी का हलवा एवं छोला तथा 2000 लोगों के लिये भोजन (दाल, चवल सब्जी) निशुल्क मुहैया करवाई।
विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत पर एनसीईआरटी की किताबें और 70 प्रतिशत पर प्रतियोगी परीक्षा एवं अन्य किताबें मुहैया करायी गईं ।
आपको जानकार आश्यर्च होगा कि बिहार झारखंड के बच्चों के लिये स्कालरशिप की 90 फिसदी धनराशि उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, ग्रेटर नोएडा, पंजाब, इंग्लैंड व अन्य जगहों से आई है।
छात्रवृत्ति के लिये कुल 698 आवेदन प्राप्त हुये थे जिसमें से 50 मेधावी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान किया गया।
इस कार्यक्रम के सूत्रधार मान्यवर डॉक्टर नरेंद्र सिंह साहब के कुशल नेतृत्व एवं संवैधानिक दायरे में रहकर 24×7 की कार्यशैली ने इस कार्यक्रम सहित विगत 2 वर्षों से बिहार में हो रहे विभिन्न बहुजन विभूतियों के कार्यक्रम जैसे बुद्ध पूर्णिमा, रविदास जयंती झांकी, संत कबीर जयंती शर्बत एवं हलवा वितरण आदि विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बौद्ध विरासत की जड़ों को सिंचित करना शुरू किया है जिससे अब बिहार में भी फुले अंबेडकरी मिशन तथा बौद्ध विरासत फलता फूलता दिखाई पड़ रहा है।
जय भीम नमो बुद्धाय — आनन्द कुमार ।