सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न –कर्पूरी ठाकुर से स्वामीनाथन तक :एक विश्लेषण
डॉ. रामजीलाल,
सामाजिक वैज्ञानिक, पूर्व प्राचार्य ,दयाल सिंह कॉलेज, करनाल हरियाणा Email.drramjilal1947@ gmail.
(समाज वीकली)- भारत रत्न राष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री नागरिक सम्मान हैं.यह सम्मान राष्ट्रीय सेवाओं-कला ,साहित्य ,विज्ञान व खेल में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए जाते हैं.भारत रत्न प्रदान करने की संतुति प्रधानमंत्री के द्वारा राष्ट्रपति को की जाती है.प्रत्येक वर्ष यह सम्मान अधिकतम तीन व्यक्तियों को दिया जा सकता है.संविधान के अनुच्छेद18(1) के अनुसार यह सम्मान प्राप्त कर्ता प्रत्यक्ष रूप में अपने नाम के साथ प्रयोग नहीं कर सकता. भारत रत्न देने की शुरुआत सर्वप्रथम 2 जनवरी 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के द्वारा की गई. भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की संस्तुति पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के द्वारा भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल राजगोपालचारी, भारत के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन,, प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ.चंद्रशेखर वेंकट रमन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया..एक वर्ष के पश्चात् सन् 1955 में एक नया प्रावधान जोड़ा गया. इस प्रावधान के अनुसार मरणोपरान्त भी महान विभूतियों को भारत रत्न से सम्मानित किया जा सकता है.
भारत रत्न के संबंध में कुछ रोचक पहलू :
प्रथम, यद्यपि भारत रत्न भारतीय नागरिकों को दिया जाता है. यह सम्मान भारतीयों के अतिरिक्त विदेशियों को भी दिया गया है.अभी तक तीन विदेशियों – मदर टेरेसा,खान अब्दुल गफ्फार खान (“फ्रंटियर गांधी” – पाकिस्तान), नेल्सन मंडेला(दक्षिण अफ्रीका) इस सम्मान से नवाजे गए हैं.
दूसरा , नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सन् 1992 में सम्मान प्रदान किया गया .परंतु उनकी मृत्यु के बारे में विवाद था .इसलिए भारत सरकार ने इस सम्मान को वापस ले लिया.अन्य शब्दों में यह एक मात्र ऐसा उदाहरण है जब सम्मान देकर वापस लिया गया.
तृतीय, स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को भारत रत्न देने की बात आयी तो उन्होंने इसका विरोध किया और भारत रत्न लेने से मना कर दिया .क्योंकि वे भारत रत्न की संस्तुति करने वाली चयन समिति के सदस्य थे. कालांतर में उनकी मृत्यु के पश्चात सन्1992 में उनको भारत रत्न दिया गया था.
चतुर्थ, यह सम्मान प्रतिवर्ष नहीं दिया गया. उदाहरण के तौर पर सन् 2019 के बाद सन् 2024 में दिया गया. यद्धपि नियमानुसार एक वर्ष में केवल तीन व्यक्तियों को सम्मानित किया जा सकता है. सन् 1999 में चार व्यक्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. सन् 1999 के बाद सन् 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच व्यक्तियों को भारत रत्न प्रदान करने की घोषणा की .
सन् 2024 में पांच महान विभूतियों को सम्मान
सन् 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पांच महान व्यक्तियों – कर्पूरी ठाकुर((24 जनवरी 1924–17 फरवरी 1988), मरणोपरान्त), लालकृष्ण आडवाणी (1927—), चरण सिंह (23 दिसंबर 1992 – 29 मई 1987, मरणोपरान्त ), पीवी नरसिम्हा राव (28 जून 1921 -23 दिसंबर 2004, मरणोपरान्त) और स्वामीनाथन (7 अगस्त1925 -28 सितंबर2923, मरणोपरान्त )को भारत रत्न प्रदान करने की घोषणा की गई है.
भारत रत्न का सर्वोच्च पुरस्कार: राजनीतिक समीकरण
पांच महान हस्तियों को भारत रत्न से परिष्कृत करना एक अच्छी बात है परंतु राजनीति के जानकारों का मानना है कि बिहार से तमिलनाडु तक जिन महान व्यक्तियों को सम्मानित किया गया और एक ‘सिंबल के आधार पर राजनीतिक समीकरण प्रस्थापित’ करने का प्रयास किया गया है.
प्रथम , कर्पूरी ठाकुर (पूर्व मुख्यमंत्री): राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने के पश्चात बिहार की राजनीति और अगामी चुनाव में लाभ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा इस बात का प्रतीक है कि वह इसके लिए एक सुयोग्य पात्र है. उनकी राजनीतिक सोच के कारण मुंगेरीलाल आयोग (दिसम्बर 1971) की संस्तुतियों को लागू किया गया था. बिहार की कुल जनसंख्या का 27%प्रतिशत पिछड़ा वर्ग और 36%अति पिछड़ा वर्ग है. पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की कुल संख्या बिहार में 63 फ़ीसदी है .ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा के पश्चात बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया और नीतीश कुमार एक बार फिर इंडिया गठबंधन को छोड़कर राजग के साथ आ गए.नीतीश कुमार भारत के वह मुख्यमंत्री हैं जो खुद ही त्यागपत्र देते हैं और खुद ही मुख्यमंत्री बन जाते हैं. अभी तक अपने कार्यकाल में उन्होंने नौ बार और वर्तमान कार्यकाल में तीन बार पाला बदला है. अक्टूबर -नवंबर 1990 में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा राम रथ यात्रा शुरू की थी और यह ‘मंडल बनाम कमंडल’ की शुरुआत थी. परंतु कार्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर’ मंडल बनाम कमंडल’ की अपेक्षा ‘मंडल जमा कमंडल’ की राजनीति की शुरुआत ही गयी. कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा के पश्चात एक तीर से कई निशाने मारे गए. यदि एक ओर नीतीश कुमार ने पाला बदला तो दूसरी ‘प्रतीकात्मक’ रूप में समस्त भारत में यह संदेश देने का प्रयास किया कि बीजेपी पिछड़े वर्गों की हितैषी है. इस समस्त प्रकरण का इंडिया गठबंधन को एक बहुत बड़ा 440 वोल्ट का झटका लगा है. भारतीय जनता पार्टी को अगामी सन् 2024 के लोक सभा के चुनाव में कितना लाभदायक होगा यह चुनाव परिणाम बताएंगे.
द्वितीय, लालकृष्ण आडवाणी( पूर्व उप- प्रधान मंत्री) :भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी नेतृत्व में सोमनाथ के मंदिर से लेकर अयोध्या तक ‘राम रथ यात्रा’ का आयोजन किया गया. 23 अक्टूबर1990 को आडवाणी की गिरफ्तारी के पश्चात भारतीय जनता पार्टी ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया और 7 नवंबर1990 को वीपी सिंह की सरकार के विरुद्ध लोक सभा में अविश्वास का प्रस्ताव पास हो गया. परिणाम स्वरूप वीपी सिंह की सरकार को त्यागपत्र देना पड़ा. सन् 1985 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को केवल दो सीट थी.परंतु रामरथ पर सवार होकर सन् 2019 में लोकसभा चुनाव में 303 सीटें प्राप्त करने में कामयाब हो गई.लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के संस्थापक, वरिष्ठतम नेता व भारत के पूर्व उप- प्रधान मंत्री है. परंतु इनको 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर उपेक्षित करने की आलोचना हुई.अत: यह संदेश देने के लिए कि बीजेपी का नेतृत्व अपने वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करता है. परिणामस्वरूप, लालकृष्ण आडवाणी का मान– सम्मान करने से आलोचकों का मुंह बंद हो गया. इसका चुनाव में कितना लाभ होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है.
तृतीय, चौधरी चरण सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री): चौधरी चरण सिंह का जन्म नूरपुर में हुआ .उस समय कोई यह भविष्यवाणी नहीं कर सकता था कि यह ‘नूरपुर का नूर’ एक दिन ‘भारत का नूर’ (प्रधानमंत्री) बन कर भारत रत्न से सम्मानित होगा. चौधरी चरण सिंह, देश के पाँचवें तथा प्रथम किसान प्रधानमंत्री(28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक) थे तथा प्रधानमंत्री होते हुए संसद में नहीं गए. इससे पहले वह देश के उपप्रधानमंत्री, गृहमंत्री और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. पीएम मोदी ने चौधरी चरण सिंह के संबंध में एक पोस्ट में कहा, ‘हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा … ‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की. वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे.’ इसमें कोई दो राय नहीं है कि चौधरी चरण सिंह धरती पुत्र होते हुए भारत रत्न से सम्मानित हुए हैं.
चौधरी चरण सिंह को सम्मानित करने के पीछे महत्वपूर्ण राजनीतिक कारण दृष्टिगोचर होता है.चौधरी चरण सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश,राजस्थान,दिल्ली व हरियाणा में सामान्य तौर पर किसानों, कृषि श्रमिकों और विशेष तौर से जाटों के हृदय सम्राट हैं. जाट बिरादरी का इन चारों राज्यों में 40 सभा सीटों पर आधिपत्य है.इसके अतिरिक्त चौ.चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी व राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से यह घोषणा होने से पूर्व बातचीत कर रहे थे कि यदि उनको मंत्री पद और उनके दादा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दे दिया जाए वह भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने के लिए तैयार होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की उस पर प्रतिक्रिया करते हुए जयंत चौधरी ने कहा ‘दिल जीत’ लिया .विशेषज्ञों का यह मानना है कि केवल दिल ही नहीं अपितु भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल को भी जीत लिया .ऐसा प्रतीत होता है की जयंत चौधरी का भारतीय जनता पार्टी नीत राजग के साथ आना वोटों के समीकरण को प्रभावित करेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि लगभग 55% भारतीय मतदाताओं का मत व्यवहार जातिवाद पर आधारित है. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का प्रभाव किसान आंदोलन(13 फरवरी 2024) पर भी पड़ेगा ऐसा राजनीतिक टीकाकारों का मत है. क्योंकि किसान दिल्ली चलो के उद्घोष के साथ आंदोलन की ओर अग्रसर हैं.इसलिए यह प्रभाव उतना नहीं है जितनी की उम्मीद की जाती थी.
चतुर्थ, पीवी नरसिम्हा राव (सन् 1991 से सन् 1996 पूर्व प्रधानमंत्री): भूतपूर्व सोवियत यूनियन(वर्तमान रूस) के भंग होने के पश्चात विश्व में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की आंधी(सुनामी) ने सारी दुनिया को लपेट लिया. भारत को अपवाद नहीं था, भारत में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव तथा वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह के द्वारा भारत में उदारीकरण की नीतियों को लागू किया गया और विनिवेशीकरण का युग प्रारंभ हुआ. आने वाली सभी सरकारों ने विनिवेशीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काल में विनिवेशीकरण की प्रक्रिया उच्च शिखर पर है. नरसिम्हा राव के आलोचकों के अनुसार 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा विध्वंश हुआ उस समय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ‘मूक दर्शक व निष्क्रिय’ थे. नरसिम्हा राव की विनिवेशीकरण की नीति और विवादित ढांचे के विध्वंस में निष्क्रियता के कारण भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के धुरंधर विरोधी तथा कांग्रेस के नेता मणि शंकर अय्यर ने नरसिम्हा राव की आलोचना करते हुए उनको भाजपा का “पहला प्रधानमंत्री” तक कहा था.
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हुआ और 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हो चुका. नरसिम्हा राव सन् 1947 से कांग्रेस पार्टी की राजनीति में सक्रिय रहे हैं.नरसिम्हा राव आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ,भारत के शिक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और गृहमंत्री भी रहे तथा सन् 1991 से सन् 1996 तक वह भारत के प्रधानमंत्री के पद पर आसीन रहे. नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह का योगदान यह है कि भारत में ‘समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता’ के मुहावरे राजनीतिक वाद– विवाद में नजर नहीं आते. नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने की घोषणा स्वागत योग्य है परंतु राजनीतिक टीकाकारों का कहना है कि ‘कहीं पर पर निगाहें और कहीं पर निशाना’ है. इसका मुख्य उद्देश्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मतदाताओं को आकर्षित करना है. इस समय भारतीय जनता पार्टी का तेलंगाना औरआंध्र प्रदेश सहित दक्षिण भारत में जन आधार नहीं है. नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने के पश्चात भारतीय जनता पार्टी को 2024 के चुनाव में क्या लाभ होगा यह अनुमान लगाना कठिन है
पंचम डॉ. एमएस स्वामीनाथन (कृषि वैज्ञानिक): डॉ.स्वामीनाथन एक कृषि वैज्ञानिक एवं बुद्धिमान व्यक्ति थे. परंतु भारत में हरित क्रांति का जनक नहीं माना जा सकता जैसा कि आम धारणा है. वास्तव में 16 नवंबर 2004 को कांग्रेस नीत डॉ मनमोहन सिंह की सरकार के द्वारा राष्ट्रीय कृषक आयोग की स्थापना की गई थी. इस आयोग के अध्यक्ष डॉ.स्वामीनाथन थे. इसलिए इस आयोग को स्वामीनाथन आयोग के नाम से भी पुकारा जाता है. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट (2006 )में जो संस्तुतियां की गई उनमें सबसे महत्वपूर्ण सं संस्तुति फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य( MSP) के संबंध में थी. आयोग के फार्मूले के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य( MSP) सीटू +50% (C2 +50%) के आधार पर किया जाना चाहिए. इनको लागू करवाने के लिए किसानों का सन सन् 2020-सन् 2021 में एक ऐतिहासिक आंदोलन हुआ. इस आंदोलन में स्वामीनाथन और एम एस पी ( MSP)पहली बार जनसाधारण को मालूम हुए.
हरियाणा के इतिहास के पन्नों को पलटने से ज्ञात होता है कि भारत में हरित क्रांति का जनक वास्तविक रूप में डॉ. रामधन सिंह हुड्डा (1मई 1891 –17 अप्रैल 1977) हैं. वह कृषि महाविद्यालय एवं कृषि अनुसंधान संस्थान लायलपुर (अब पाकिस्तान)के उच्च पदों पर थे. उनके द्वारा गेहूं, चावल, जौं, गन्ना और दाल इत्यादि फसलों के संबंध में नई-नई वैराइटीज तैयार की गई थी और उनको रहबरे आजम दीनबंधु छोटू राम (तत्कालीन पंजाब के विकास व राजस्व मंत्री) का पूरा सहयोग था. डॉ. रामधन सिंह के द्वारा बासमती 370 तथा गेहूं 306 की नस्ल तैयार की गई जो हरियाणा और पंजाब के क्षेत्र में किसानों के लिए बड़ी लाभदायक रही है. विश्व में हरित क्रांति का जनक नॉर्मन अर्नेस्ट बोरलॉग को माना जाता है उनको इस कार्य के लिए नोबेल प्राइज भी दिया गया था. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देना एक सम्मान की बात है. राजनीतिक टीकाकरों केअनुसार डॉ. एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के पीछे तीन कारण हैं. प्रथम, एक वैज्ञानिक को सम्मान दिया जाना शिक्षित वर्ग में शुभ संकेत माना जाता है. द्वितीय, दक्षिण भारत विशेषतया तमिलनाडु और केरल में इसका अच्छा प्रभाव मतदाताओं पर पड़ने की संभावना दृष्टिगोचर होती है. तृतीय कारण यह भी कहा जाता है कि स्वामीनाथन को सम्मानित करने से किसानों को द्रवित किया जा सकता है. परंतु किसानों पर इसका प्रभाव दृष्टिगोचर नहीं होता यदि ऐसा होता तो किसान इस समय आंदोलन की राह पर ना होते. किसान नेताओं ने कभी भी डॉ.एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की मांग नहीं की.
हमारा मानना है कि सरकार के कार्यों से सभी वर्ग के लोगों को प्रसन्न नहीं किया जा सकता. जिन महान विभूतियों को यह सम्मान मिला है वह राजनीति से प्रेरित हो सकता परंतु वह इसके हकदार भी है. अत: उत्तर प्रदेश काशीराम, हरियाणा में दीनबंधु सर छोटूराम , ताऊ देवीलाल व पंजाब की राजनीतिक की धूरी रहे स. प्रकाश सिंह बादल के लिए भी भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग बार -बार उठती है. हमारा मानना हैकि इस समय भारत की आबादी 140 करोड़ से अधिक है. इसलिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त करने वालों की संख्या में नियम परिवर्तन करके वृद्धि की जाए.