भारतीय संविधान कानूनी विशेषज्ञों की सर्वोत्तम रचना – एडवोकेट रंजीत
संसदीय लोकतंत्र के लिए संविधान की रक्षा जरूरी – प्रो. बलबीर
जालंधर (समाज वीकली): अंबेडकरी संगठनों, अम्बेडकर भवन ट्रस्ट (रजि.), अंबेडकर मिशन सोसाइटी पंजाब (रजि.) और ऑल इंडिया समता सैनिक दल (रजि.) की पंजाब इकाई द्वारा अंबेडकर भवन में ‘भारतीय संविधान को दरपेश मौजूदा चुनौतियाँ और समाधान’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें एडवोकेट रंजीत कुमार, पूर्व अध्यक्ष, जिला बार एसोसिएशन, होशियारपुर और प्रोफेसर बलबीर एम.फिल. एलएलबी, सेवानिवृत्त प्रमुख, स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग, दोआबा कॉलेज, जालंधर ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। प्रधान मंत्री के आर्थिक सलाहकार बिबेक देबरॉय द्वारा भारतीय संविधान को बदलने के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशित लेख पर टिप्पणी करते हुए एडवोकेट रंजीत कुमार ने कहा कि संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, यह भारत के सभी नागरिकों के जीवन में समानता, स्वतंत्रता, न्याय और समानता के सिद्धांत पर आधारित एक कल्याणकारी राज्य प्रणाली की स्थापना का गारंटर है।
ये सर्वश्रेष्ठ कानूनी विशेषज्ञ बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर और उनके सहयोगीओं की सर्वोच्च रचना है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में संवैधानिक कानून राजाओं और राजनीतिक नेताओं के निजी हितों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि देश के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए होते हैं। इस संबंध में भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकार प्रत्येक नागरिक को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं। उनसे पहले प्रसिद्ध विद्वान प्रो. बलबीर ने कहा कि प्रारम्भ में ही निहित ‘प्रस्तावना’ भारतीय संविधान की पहचान एवं एकरूपता को उजागर करती है। धर्मनिरपेक्षता, सभी नागरिकों को सभी क्षेत्रों में समान अवसर, स्वतंत्र जीवन जीने की अवधारणा, विभिन्न संस्कृतियों के बीच पारस्परिक घनिष्ठता स्थापित करने में भारतीय संविधान का विशेष एवं महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान अभी तक पूरी तरह से लागू ही नहीं हुआ है, जबकि निजी हितों की पूर्ति के लिए इसे बदलने की बात होनी शुरू हो गयी है। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे स्पष्ट और विस्तृत कानूनी दस्तावेज़ है। प्रो बलबीर ने कहा कि अमेरिका का संविधान 234 साल पहले 1789 में लागू हुआ था, जिसमें सिर्फ 7 अनुच्छेद हैं, लेकिन वहां के शासकों ने इसे ईमानदारी से लागू किया है। परिणामस्वरूप, अमेरिका को एक बेमिसाल लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद सर्वोच्च (संप्रभु) नहीं है। भारतीय संविधान के अनुसार, न्यायपालिका यानी भारत के सर्वोच्च न्यायालय को अपने द्वारा बनाए गए कानूनों की समीक्षा करने का अधिकार है। भारतीय संविधान ने अत्याचार को रोकने के लिए संसद, कार्यपालिका और न्यायपालिका को एक-दूसरे पर निर्भर बना दिया है।
दोनों सामाजिक चिंतकों एवं बुद्धिजीवी वक्ताओं ने भारतीय संविधान के समक्ष उपस्थित वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए जनहित के लिए जनजागरूकता पैदा करने, तर्कसंगत एवं वैज्ञानिक सोच को बढ़ाने तथा वैकल्पिक जनहितकारी सोशल मीडिया के माध्यम से बाबा साहेब की सोच को विकसित करने पर जोर दिया, जिसे उन्होंने 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा की आखिरी बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्त किया था। डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि संसदीय लोकतंत्र की सफलता के लिए एक मजबूत विपक्षी दल, नायक पूजा से बचना, सुचारू और निष्पक्ष चुनाव प्रबंधन, अमीर लोगों से चुनावी प्रक्रिया की सुरक्षा, वोट के उचित उपयोग की गारंटी और राजनीतिक लोकतंत्र को सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र में स्थानांतरण का प्रावधान लागू करना आवश्यक है। कार्यक्रम के अंत में सेमिनार में शामिल सभी प्रतिभागियों ने हाथ उठाकर हर हाल में भारतीय संविधान की रक्षा करने पर सहमति जताई। मैडम सुदेश कल्याण ने मुख्य वक्ताओं का परिचय दिया और अतिथियों का स्वागत किया। पूर्व डीपीआई (कॉलेजों ) प्रोफेसर सोहनलाल ने सभी को धन्यवाद दिया और डॉ. जीसी कौल ने मंच का बहुत अच्छे से संचालन किया।
इस अवसर पर चरणदास संधू, बलदेव राज भारद्वाज, हरभजन निमता , डाॅ. मोहिंदर संधू, परमिंदर सिंह खुतन, रमेश चंद्र पूर्व राजदूत, परमजीत पम्मी, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. सुरिंदर पाल, प्रो. जोधा मॉल, चरणजीत सिंह, पिशोरी लाल संधू, डाॅ. मोहित, प्रो. अरिंदर सिंह, राजेश बिरदी, बलविंदर पुआर, एमएल डोगरा, कृष्ण कल्याण, इंजीनियर जसवन्त राय, हुसन लाल, राम नाथ सुंडा, राम लाल दास, मलकीत सिंह, सेवा सिंह, मास्टर जीत राम, प्रो. अश्विनी जस्सल, एचएस काजल, विशाल गोरका, इंजीनियर करमजीत सिंह आदि मौजूद थे। यह जानकारी अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।
बलदेव राज भारद्वाज
महासचिव
अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.)
फोटो कैप्शन: अंबेडकर भवन, जालंधर में सेमिनार की कुछ झलकियाँ।