– विभूति मनी त्रिपाठी
देश में इस समय चुनाव का माहौल अपने चरम पर पहुंच चुका है, हर एक राजनीतिक दल अपने अपने चुनावी घोषणा पत्र को देश की आम जनता के सामने रख रहा है । घोषणा पत्र का चुनाव में बहुत ही अहम स्थान होता है क्यूंकि घोषणा पत्र के जरिये ही राजनीतिक दल अपनी बात देश की आम जनता के सामने रखते हैं और घोषणा पत्र का आकलन करके ही देश की जनता अपने मत का उपयोग करती है ऐसे में घोषणा पत्र की अहमियत बहुत बढ जाती है। अभी हाल ही में देश की सबसे पुरानी पार्टी (कांग्रेस पार्टी) द्वारा अपने घोषणा पत्र को पेश किया गया, लेकिन घोषणा पत्र को देख कर यह स्पष्ट नही हो पा रहा है कि इस घोषणा पत्र से देश की सबसे पुरानी पार्टी देश का विकास करना चाहती है या देश का विघटन करना
चाहती है, क्यूंकि पार्टी के घोषणा पत्र में कई सारे ऐसे वादे किये गये हैं जो बहुत ही गंभीर और चिंतनीय है और अगर वाकई कांग्रेस पार्टी ने ऐसा कुछ किया तो देश में विघटनकारी तत्वों के पलने बढने का पूरा मौका मिल जायेगा और ऐसे फैसले देश के लिये आत्मघाती साबित होगें । आज के समय में , जब देश को विकास की पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा है, ऐसे में वे मुददे जो कि बहुत ही ज्वलनशील हैं और देश के सुरक्षा की नजर से बहुत ही संवेदनशील हैं, उनको अपने घोषणा पत्र में मुख्य स्थान देकर कांग्रेस पार्टी क्या साबित करना चाहती है यह अनवेषण का विषय है ।
घोषणा पत्र में जम्मू और कशमीर को लेकर जो प्रमुख बातें की गई हंै उनमें धारा 370 को बरकरार रखना, अ.फ.स.प.अ. कानून में परिवर्तन करना और सेना की संख्या में कटौती करना मुख्य है, ये वो चुनावी वादे हैं जिसके बहुत ही दूरगामी परिणाम होगें और ऐसे फैसलों का जम्मू और कश्मीर पर क्या असर पङेगा, यह केवल समय ही बता पायेगा ।
हम सभी इस बात से अच्छी तरह से अवगत हैं कि कशमीर में विकास की सबसे बङी बाधा धारा 370 ही है और उसको बरकरार रखने की बात का मतलब यह है कि राजनीतिक लाभ के लिये जम्मू और कश्मीर को जान बूझकर पिछङा बनाये रखने की साजिश हो रही है, रही बात सेना की संख्या में कटौती और अ.फ.स.प.अ. को लेकर, तो यह अब स्पष्ट हो गया है कि कश्मीर में शांति कायम रखने की आङ में, वहां के अलगाववादियों और दहशतगर्दों के सामने खुद को आत्मसर्मपण करने की तैयारी कुछ राजनीतिक दलों के द्वारा कर ली गई है ।
कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र को देख कर इसमें कोई शक नही कि पार्टी जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक दलों और अलगाववादियों का मूक सर्मथन कर रही है और वहां सेना द्वारा आतंकवादियों और उनके पनाहगारों पर बनाये गये दबाव को कम करने की पूरी तैयारी कर ली गई है, जिससे वहां के दहशतगर्दों को खामोशी से अपने नेटवर्क को और मजबूत बनाने का मौका मिल जायेगा और इसका दुष्परिणाम देश की आम जनता को झेलना पङेगा।
अगर बात कश्मीर को छोङ कर अन्य मुद्दों की बात की जाये तो कांग्रेस की घोषणा पत्र में एक और बहुत ही गंभीर बात का जिक्र किया गया है और वह है देश द्रोह के कानून को खत्म करना…ऐसे में अब ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर हमारे देश के राजनेता और राजनीतिक दल क्या साबित करना चाहते हैं ??? क्यूंकि कश्मीर को लेकर जो भी बात की जा रही है वह बहुत ही गंभीर है और उसका बहुत ही बुरा प्रभाव हमारे देश की सेना के मनोबल पर पङेगा और रही सही कसर देशद्रोह की धारा को हटाने की बात करके पूरी कर दी गई है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, आखिर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के सामने ऐसी क्या मजबूरी आ गई जिसकी वजह से उसको अपने घोषणा पत्र में इन सारी बातों का जिक्र करना पड़ा । कभी कभी तो ऐसा लगने लगता है कि आखिर वोट और सत्ता के लिये क्या हमारे देश की राजनीतिक पार्टीयां देश की शांति और सुरक्षा से समझौता कर लेगीं और ऐसी कोई भी स्थिति देश के लिये बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण होगी । ऐसा कोई भी कानून जिससे देश की सुरक्षा, संप्रभुता और शांति पर नकारात्मक असर पड़े, उसको अपने घोषणा पत्र में शामिल करना, कांग्रेस पार्टी की मनोदशा को स्पष्ट कर रही है ।
भारतीय कानून संहिता की धारा 124ए में देशद्रोह की दी हुई परिभाषा के मुताबिक, अगर कोई भी व्यक्ति सरकार विरोधी सामग्री लिखता है या देश के विरोध में अपने विचार व्यक्त करता है या फिर किसी भी ऐसी सामग्री का समर्थन करता है जिसका प्रभाव देश की शांति व्यवस्था पर पङे या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करने के साथ भारतीय संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसे आजीवन कारावास या तीन साल की सजा हो सकती है ।
देशद्रोह की धारा हटाने की बात की जाये तो यह सवाल उठना जरुरी है कि क्या किसी वर्ग विशेष के वोट को प्रभावित करने के लिये ऐसी बात की जा रही है और अगर ऐसा है तो यह बहुत ही गलत है, क्यूंकि अगर इतिहास और आंकङों की बात की जाये तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि देशद्रोह के अपराध से किसी भी वर्ग विशेष का कोई भी वास्ता नही है और देशद्रोह से संबंधित जो भी मामले आज तक कानून की नजर में आये हैं उनमें समाज के किसी भी एक वर्ग विशेष का हाथ नही पाया गया है । देश की सबसे बङी और पुरानी राजनीतिक दल के द्वारा इस तरह की घोषणा करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को बयां कर रहा है, इस बात में कोई संदेह नही कि इस तरह की बातें देश की एकता और अखंडता से संबंध रखती हैं और इस तरह की घोषणा करने से देश विरोधी और समाज विरोधी ताकतों को बल मिलेगा और ऐसे ताकतों के पलने बढने से हमारा पूरा समाज खतरे में आ जायेगा और समाज के हर वर्ग के अंदर असुरक्षा की भावना आ जायेगी ।
आज के राजनीतिक माहौल को देखकर हमारे देश के लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की आत्मा रो रही होगी, क्यूंकि एक वो वीर सेनानी थे जिन्होने अपना सब कुछ देश की आजादी में कुर्बान कर दिया था और दूसरी तरफ हमारे राजनेता हैं, जो अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिये किसी भी हद तक जा सकते हैं।
आज कल के राजनीतिक परिदªश्य के बारे में बात की जाये तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि विरोधाभास अपने चरम पर पहुंच चुका है , क्यूंकि कुछ राजनीतिक पार्टीयां देश के लिये अपना सब कुछ कुर्बान कर देने वाले और देश के लिये शहीद हो जाने वाले भारत माता के वीर सपूतों को अपना मार्ग दर्शक बताकर वोट मांग रही हैं और दूसरी तरफ वहीं राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में ऐसी बातों का उल्लेख करते हैं जिससे देश में अलगाव वादी विचारधारा रखने वालों लोगों को बल मिलेगा ।
अंत में यही कहना चाहूंगा कि यह देश हम सभी का है, इसलिये हर एक राजनीतिक दलों को यह विचार करना चाहिये कि राजनीति तभी संभव है जब देश सुरक्षित रहेगा, कोई भी राजनीतिक दल और राजनेता, कुर्सी और सत्ता के लोभ में पङ कर कोई भी ऐसी बयानबाजी और वादे न करें जिसका प्रभाव देश की सुरक्षा और भारतीय सेना के मनोबल पर पङे ।