(समाज वीकली)
श्री लालूप्रसाद यादव जी के73 वे जन्मदिन के बहाने ! मैं बिहार आन्दोलन के समय से बिहार मे आना-जाना कर रहा हूँ ! उस समय लालूप्रसाद यादव पटना विश्वविद्यालय के विद्यार्थि संसद के अध्यक्ष थे इस कारण उनको तबसे मै लगातार देख रहा हूँ, 1977 में वो सक्रिय राजनीति में आने के बाद लोक सभा सदस्य फिर विधान सभा और भागलपुर दंगे के बाद 1990 से लगातार पन्द्रह साल मुख्यमंत्रि के रूप में देखा है !
भागलपुर दंगेके बाद से मेरा महिनेमे एक सप्ताह भागलपुर में जाने का सिलसिला जारी था और उसी समय मंदीर-मस्जिद और मंडल आयोग के विवाद परवान पर चल रहे थे हालाकि भागलपुर दंगा 1989 के अक्तूबर में रामशिला पुजा जुलुस की देन है उस समय कॉग्रेस्के सत्यनारायण सिन्हा मुख्यमंत्रि थे और केंद्र में राजीव गाँधी प्रधान मंत्री दंगे में पुलिस-प्रशासन की भूमिका बहुत ही भयंकर रही है और इसिको देखकर भागलपुर के एस पी चौबे जी का तबादला राजीव गाँधी ने कर दिया था लेकिन भागलपुर की पुलिस के सिफाहियो ने राजीव गाँधी के प्लेन के रनवे पर जमा होकर उन्हे एस पी का तबादला रद्द करने के लिए मजबूर कर दिया और उसके कुछ दिन बाद हुये चुनाव में जो कॉग्रेस बिहार से बाहर हूई तो दोबारा आज 30 साल बाद भी उसे अपने अस्तित्व के लिए जमिन तलाश करने की कोशिश करने पड रहीं हैं ! और वह भी लालूप्रसाद यादव की मदद से !
उसके बाद से लगातार लालूप्रसाद यादव 2005 तक पन्द्रह साल मुख्यमंत्रि रहे हैं ! उसके कारण मेरे हिसाब से बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा यह अन्ग्रेजी का काऊबेल्ट शेकडो सालो से कई ऐतिहासिक कारणो से सामंतवाद की चपेट मे रहा है इसलिए भारत के अन्य हिस्सों की तुलना में दलित, पिछडी जातियाँ और महिला अत्याचार तथा घोर सांम्प्रदायीकता के कारण इन सब समुदाय के खिलाफ तथाकथित ऊँची जाति के लोगो का व्यवहार सदियो से गैर्बराबारी और अन्यायपूर्ण रहा है और इसिलिए उत्तर प्रदेश में जन्मे डॉ राम मनोहर लोहिया ने अगड़ो-पिछडी जातियाँ के लिये कुछ सामाजिक बदलाव के लिए सौ में पावे पिछड़ा साठ जैसे नारे के साथ उन्होने डॉ बाबा साहब आम्बेडकर और रामास्वामी पेरियार के बाद तीसरे राजनेता रहे जिन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय तक दलित, पिछडी और महिला जाति की राजनीति को उभारने की कोशिश की जिसकी पैदायश लालूप्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग राजनीति में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुये !
आज लालूप्रसाद यादव जी के 73 वें जन्मदिन के बहाने मै उन पर मेरा 30 साल से अधिक समय का आकलन करने की कोशिश कर रहा हूँ ! सबसे पहले मैं स्पष्ट कर दूँ की मैं किसी भी राजनीतिक पार्टी का सदस्य नहीं हूँ और आगे भी बनने की संभावना नहीं है लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता के नाते और 40 साल से अधिक समय से बिहार मे लगातार मेरा सरोकार है और उसकी वजह मेरे आदर्श लोगों में से एक आदरणीय एस एम जोशी 70 के दशक में लोक सभा चुनाव पुणे से जितने के बावजूद वे अपने कार्य क्षेत्र के रुप में बिहार मे ज्यादतर समय दिया करते थे उस्मे भी बिहार के सबसे पिछड़े सहरसा, पूर्णिया जैसे जिलो मे ! इस कारण मेरे भीतर बिहार घर करके बैठा था और मनहि मन मैने संकल्प लिया था की अगर आगे चलकर कुछ काम करूंगा तो बिहार मे ही !
तो लालूप्रसाद यादव जी 90 के बाद मुख्यमंत्रि बने और मेरी भागलपुर दंगेके कारण उनसे एक बार ही बंगाल प्रदेश जनता पार्टी के अध्यक्ष प्रो दिलीप चक्रवर्ती जि के कारण मुलाकात हुई थी और मैंने दंगे में भाग लेने वाले लोगों पर कारवाई करने की बात पर उन्होँने तपाक से जवाब मे कहा था की मैं दंन्गे मे भाग लेने वाले लोगों पर बिल्कुल कारवाई नही करूँगा क्योकिं सबके सब पिछडी जाति के लोग हैं ! और भारतीय दंड संहिता के अनुसार वही फासी की सजा पायेंगे! लेकिन मैं आपको आश्वस्त करता हूँ की जब तक मै मुख्यमंत्रि हूँ तब तक अगर कोई दंगा हो तो मुझे आप जिम्मेदार मानते हुए मुझे जवाब तलब कर सकते हो ! हालाकि इस वार्तालाप से मै बिलकुल भी संतुष्ट नहीं था ! हाँ निकलते हुए मैंने उनसे कहा कि अब जो हो गया सो हो गया पर आपसे मेरी प्रार्थना है कि भारत के प्रशासन के सबसे काबिल पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भागलपुर में दिजियेगा जिस कारण दंगे के बाद का काम बगैर किसी भेदभाव से हो सकता है तो उन्होँने उस बात को स्वीकार कर शंकर प्रसाद विभागिय आयुक्त और अतिरिक्त पुलिस उपमहानिदेशक अजित दत्ता को भेजा था और दोनो ने बहुत अच्छा काम किया है !
मुम्बई से एक टिम मेरे कारण भागलपुर दंगे का डाकूमेंटेशन करनेके लिए आइ हूई थी तो हम लोग दंगा ग्रस्त लोगो से लेकर पुलिस-प्रशासन के जिम्मेदार लोगों से बात कर रहे थे तो एक दिन भागलपुर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अजित दत्ता से इंटरव्यु कर रहे थे तो अन्त मे उन्होने हमारे कैमेरा और रेकोर्ड बंद करने के लिए कहा! हमने उनकी बात मानकर बैठ गए तब वे बोले की आप सामाजिक कार्यकर्ता पुलिस-प्रशासन को लेकर काफी नुख्ताचीनी करते है और किजीये भी मैं भला कौन होता आपको मना करने वाला ! लेकिन एक बात गौर किजीये हमें इस नौकरी में अब तक पाँच मुख्यमंत्री देखने को मिले हैं और लालूप्रसाद यादव यह पहले ही मुख्यमंत्रि देखे जिन्होनें अपनी शपथ ग्रहण समारोह के बाद पूरे बिहार के आई ए एस और आई पी एस केड़र की बैठक में शुरुआत ही में कहा कि मैं लालूप्रसाद यादव आज से बिहार का मुख्यमंत्रि पद पर आसीन हूआ हूँ और मेरे अपने कार्यकाल के दौरान अगर बिहार मे कही भी दंगा हुआ तो मैं सबसे पहले वहा के कलेक्टर और एस पी के कपडे उतार कर मुह पर कालिख पोत कर गधे पर बैठा कर उसका जुलुस निकालूँगा बादमे देखूँगा की दंगा कौन कीया ! और यह बात बिल्कुल सही हैं लालूप्रसाद यादव जि के कार्यकाल में सिर्फ सीतामढी मे दुर्गा देवी की पूजा के समय छोटा दंगा हुआ तो लालूप्रसाद यादव एक सप्ताह के लिये खुद सीतामढी केम्प करके बैठ कर सक्त कारवाई की थी!
दत्ता साहब ने कहा कि खैरनार साहब यह होता है एक मुख्यमंत्रि का जज्बा जो मैं अपने पूरी सर्विस में पहली बार देख रहा था और फिर तो हम पुलिस वाले कितने खतरनाक होते हैं यह आप भी जानते हैं फिर हम पटना से यह पाठ पढ़ने के बाद हमारे अपने जिले में उनसे ज्यादा तेजतरार भाषा मे हमारे मातहत लोगो को कसते हैं ! फिर वह संघ परिवार से आया हो या कोई और हो ! जब उसे मालूम है कि पटना में बैठे हुए मुख्यमंत्री दंगे की राजनीति के सख्त खिलाफ है तो वह अपनी वर्दी दाव पर नहीं लगायेगा ! और मेरे लिए भी अजित दत्त जी की बात एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाली बात लगी जो मेरे लिए नई थी ! तेरह साल बाद किया गया गुजरात के दंगे को देखकर अजित दत्त जी ने बहुत महत्व की बात की तरफ हमारा ध्यान कभी भी नहीं जा सकता था वह खीचा मेरे लिए तो उस दिन की उनकी मुलाकात जिंदगी भर का सबक सिखाकर गई हैं !
और यह बात बिल्कुल सही है की लालूप्रसाद यादव जी की अन्य खबरें जिसमे उनके खान पान से लेकर पहनावा भी और सबसे हैरानी की बात उनके बाल बच्चे भी मीडिया की खबरों में रहते रहे हालांकि उनके पहले के मुख्यमंत्रि जगन्नाथ मिश्रा जी को भी काफी बच्चे थे ! लेकिन मैंने देखा की किसि भी अगड़ी जातियों नेताओं का इतना चरित्र हनन नहीं हूआ होगा जितना लालूप्रसाद यादव जी को लेकर मुख्य मीडिया में बहुत कुछ चलते रहता है एक तरह से वह भारत के सबसे ज्यादा चर्चित राजनेता रहे हैं और उनके बारे में इतना बढ़ा चढा कर लिखा बोला जाता है की उसका कोई हिसाब नहीं है ! और मेरे हिसाब से यह हमारे सवर्ण मानसिकता के कारण भी किसी दलित, पिछडी जातिसे आनेवाले सभिके साथ कम आधिक प्रमाण मे यह हुआ है ! हमार मीडिया भी अभिजनो के कब्जे में होने की वजह से भी अधिक मात्रा में आलोचना के शिकार हो जाते हैं !
मैने शुरुआत में ही लिखा है की मेरी बिहार मे आवाजाही जेपि की बदौलत शुरु हुई है और वह 70 के दशक का बिहार मे जहा भी कही जाता था तो बिहार का पिछड़ा वर्ग के लोग झुक झुक कर बोलना और हुजूर, मायबाप, सरकार, सर जैसे सम्बोधन के अलावा कभि भी बात करते हुए नहीं देखा रिक्शावाला कभि भी बैठने के पहले मोल भाव करते हुए नहीं देखा रिख्शा पर चढ कर जहा कही जाना हो चले जाईये और आपके हाथ में जो भी रूपया, पैसा आप उसे देने के बाद मैंने कभी भी हुज्जत करते हुए नहीं देखा था ! उल्टा हुजूर मायबाप बोल कर झुक कर सलाम करते हुए ही देखा है ! लेकिन 90 के बाद वह मोल भाव करने लगा और आपने नहीं सुना तो वह अभि आपको जवाब तलब करने लगा है ! यह बदल साधरण बदल नहीं है यह आत्म विश्वास आने के लिये शेकडो साल लग जाते हैं ! बाबा साहब आम्बेडकर ने आज से 100 वर्ष पूर्व दलितो के आत्म विश्वास को लेकर कितनी-कितनी कोशिश की है और बिहार मे कौन आम्बेडकर, फुले हूआ ? लेकिन लालूप्रसाद यादव, कर्पूरी ठाकुर के बाद दूसरे पिछडी जाती के नेता हैं जिनके कारण आज बिहार का पिछड़ा वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार कितना हूआ वह दीगर बात है लेकिन उसके भीतर आत्म सम्मान की भावना निर्माण हूई है और यह बात अकादमिक जगत में शायद आज से 50 साल बाद एम्पोवेर्मेंट ऑफ सबलटन जैसे टायटल से सामाज विज्ञान के क्षेत्र में के विद्वजनों को यह बात माननी पड़ेगी लेकिन हमारे अपने ही कुछ सथियो के जातिगत चरित्र के कारण यह बात स्वीकार करन मे बहुत कठिनाई होती है हमारे कुछ मित्रों को तो लालूप्रसाद बोलने मे भी बहुत दिक्कत होती है कोई ललवा तो कोई लल्लू तक कहते हुए मैंने खुद देखा है ! और भ्रष्टाचार के बारे में उनकी केस को जितना तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है उतना अन्य भ्रष्ट नेताओं की चर्चा नहीं होती उनके आकड़े देखकर आँखे चौंधिया जाती हैं ! उसी चारा घोटाले के मामले में सबसे पहले और सबसे अधिक जिम्मेदार जगन्नाथ मिश्रा आराम से बाहर निकल आते हैं बिजेपि के नेता बन जाते हैं और अन्य नेताओं की बात ही कुछ और है ! लेकिन एक लालूप्रसाद यादव है जिनकी असली गलती आज की तरीख मे भारतीय राजनीति में शायद ही कोई ऐसा नेता हैं जो गुरू गोलवलकर की दोनो चर्चित किताब वुइ और बंच ऑफ थॉट को लेकर लाख लाख लोगों की सभाओं में लोगों को उसमे कितना भयानक लिखा है यह बताने का काम करने वाले एक मात्र नेता लालूप्रसाद यादव ही है ! बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए निकले हुए लालकृष्ण आडवाणी के रथ को रोक कर उन्हे जेल भेजने वाले भी तो लालूप्रसाद यादव ही है !
भारत की राजनीति में कितने नेता हैं जो बिलकुल साफ सुथरी राजनीति कर रहे हैं ? नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोडी तो सभी रेकोर्ड तोडकर राज कर रहे हैं !
मेरे हिसाब से लालूप्रसाद यादव की एक मात्र बात है जो वर्तमान समय की सरकार को नागवार लगती हैं वह उनका सेकुलर और आर एस एस का विरोध अन्यथा कोई हत्याओं को अंजाम देने वाले को देश की कानुन व्यवस्था सह्माल्ने की जिम्मा दिया तो किसी पर एक दर्जन से अधिक क्रिमिनल केसेस के बावजूद भारत के सबसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्रि और कितने खतरनाक करतूत करने वाली सांसद सदस्या !
हमारे मराठी भाषा में एक शब्द है कानफाट्या! लालूप्रसाद यादव 30 सालों से भी ज्यादा समय से भारतीय राजनीति के सबसे बड़े कानफाट्या हमारे महान मीडिया ने बनाया है और अब मीडिया पर बहुत कुछ लिखा बोला जा रहा है इसलिए मैं उस पर ज्यादा कुछ नहीं लिखूंगा !
लालूप्रसाद यादव जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें और बहुत जल्दी से वे स्वाथ्यलाभ लेकर देश की वर्तमान हालत के लिए जिम्मेदार लोगो को बेनकाब करने के लिए मुक्त होकर सक्रिय योगदान करने के लिए स्वागत है !
डॉ सुरेश खैरनार, 12 जून 2020, नागपुर