लखनऊ (समाज वीकली)- रिहाई मंच ने पीएफआई पर लगे प्रतिबंध को सरकार द्वारा मुस्लिमों को निशाना बनाये जाने की साजिश करार दिया. कहा कि देश में संविधान की बात करने वालों को चुप कराना सरकार के एजेंडे में है.
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि सरकार ने 21 साल पहले जिस तरह से सिमी को प्रतिबंधित कर मुस्लिम युवाओं को आतंकवाद के नाम पर फंसाया ठीक उसी की पुनरावृत्ति है पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना. लोकतंत्र में अपनी बात रखने की आज़ादी है. 1967 में यूएपीए को लेकर अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि इसका सत्ता द्वारा दुरुपयोग किया जाएगा वही आज उन्हीं की पार्टी सत्ता में आकर कर रही है. पीएफआई की गतिविधियों को जिस तरह आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है ठीक उसी तरह सिमी के प्रतिबंध के समय भी यही आरोप लगाया गया था. सच्चाई है कि सिमी के नाम पर जिनको गिरफ्तार किया गया उसमें अधिकतर बाइज़्ज़त बरी हुए. पर सालों जेल की सलाखों में उनकी कीमती जवानी बर्बाद हो गई. सरकार पीएफआई के बहाने छापेमारी-गिरफ्तारी कर नये सिरे से मुस्लिमों को निशाना बना रही है.
दिल्ली दंगों, नागरिकता आंदोलन या फिर नूपुर शर्मा के बयान के बाद हुए तनाव-विवाद का पीएफआई पर लगाए जा रहे आरोपों पर रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि सरकार बताए कि नागरिकता बिल हो या फिर नूपुर शर्मा का बयान क्या पीएफआई ने दिलवाया अगर नहीं तो यह आरोप क्यों. उन्होंने कहा कि देश में खुलेआम हिन्दू राष्ट्र के पोस्टर, बैनर, कार्यक्रम, प्रस्ताव पारित हो रहे क्या उन संगठनों पर कोई कार्रवाई हुई. संसद मार्ग पर संविधान जलाने वालों या उन देश विरोधी संगठनों को क्या प्रतिबंधित किया गया. राजीव यादव ने कहा कि बिहार के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि जिस तरह से आरएसएस काम करता है वैसे ही पीएफआई भी. पीएफआई पर प्रतिबंध तो आरएसएस पर क्यों नहीं. हाथरस कांड को लेकर पीएफआई पर आरोप लगाया जा रहा क्या दलित बहन की रेप के बाद हत्या के बाद आधी रात में लाश पीएफआई ने जलवाई जिससे तनाव हुआ. अगर नहीं तो आरोप क्यों. सिर्फ इसलिए कि मुस्लिम केंद्रित संगठन का नाम लाकर मूल सवालों से भटकाया जा सके.
-28 सितंबर 2022.
द्वारा-
राजीव यादव
महासचिव, रिहाई मंच
9452800752