– विभूति मणि त्रिपाठी
(समाज वीकली)- अपने भारत देश में इस समय कोरोना वाइरस के संक्रमण का दूसरा चक्र पूरी जोरों से चल रहा है, अपने आज तक के जीवन काल में इस तरह की स्थिति मैने कभी नहीं देखी, क्या हो गया हमारेे देश को समझ नहीं आता। जिस तरफ देखो केवल चीत्कार, दर्द, तकलीफ और आंसुओं से सराबोर लोग दिख रहे हैं । आज की स्थिति को लेकर मन में बहुत सारी बातें आ रही हैं लेकिन सोचता हूं उसको करने से कोई फायदा नहीं, क्योंकि जो होना था वह हो चुका है, जो नुकसान होना था वह हो रहा है और जब तक स्थिति सुधरेगी तब तक बहुत कुछ हो चुका होगा ।
मन में एक ही सवाल बार-बार उठ रहा है कि आखिर ऐसा हुआ तो क्यांे हुआ , आज की स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है ??? अपने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि ऑक्सीजन की कमी से इतनी बड़ी मात्रा में लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ेगा। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर आज की स्थिति का आकलन पहले क्यों नहीं किया गया, अगर ऐसा होता तो आज की स्थिति शायद ही कभी हम सभी के सामने आती ।
हम हर चीज के लिए, हर बात के लिए सरकार को दोषी ठहराने लगते हैं, आज की स्थिति पर जितना दोष सरकार का है उतने ही दोषी हम सभी हैं, क्योंकि मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद लोगों के अंदर यह बात आ रही थी कि क्या करना है और क्या नहीं करना है, लेकिन लॉकडाउन खत्म होते ही लोगों को ऐसा लगने लगा कि कोरोना खत्म हो गया है और अब किसी भी तरह के बचाव की जरूरत नहीं है।
इसी का नतीजा रहा कि लोग पहले की तरह रहने लगे, मास्क का प्रयोग बंद कर दिया, लोगों ने सावधानियां करनी बंद कर दीं और ये सोच लिया कि कोरोना वायरस अब पूरी तरह से खत्म हो गया है और उसी का नतीजा है की आज हम सभी कोरोना वाइरस के ऐसे संक्रमण का सामना कर रहे है जिसकी संभावना शायद ही किसी ने व्यक्त की हो ।
जहां तक बात सरकार की है तो आज की स्थिति पर उनकी भी बराबर जिम्मेदारी बनती है, क्योंकि हर एक देश में कोरोना वाइरस के ऐसे संक्रमण की कई लहर देखने को मिल रहे थे और ऐसा महसूस किया जा रहा था कि शायद अपने देश में भी ऐसा हो और इस समय वही हो रहा है । पिछले साल अक्टूबर-नवंबर के बाद जिस तरीके से कोरोना पेशेंट की संख्या में गिरावट हुआ था उसी समय हम सभी को आज की स्थिति से निपटने की तैयारी कर लेनी चाहिए थी ।
आज अपने देश में जिस तरह की स्थिति है उसको शब्दों में बयां कर पाना मुमकिन नहीं है, जिस तरफ देखो केवल मौत की खबर सुनने को मिल रही है, कौन इसके लिए जिम्मेदार है ??? जिस तरीके से पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारी हुई, जिस तरीके से चुनाव की रैली में लाखों की भीड़ इकट्ठा हुई, क्या वह एक वजह नहीं हैै, लेकिन अफसोस इस बात का है कि कोई भी इस सच को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है, विगत कुछ समय में हमारे देश में कई सारे ऐसे बड़े आयोजन हुये जिसके दौरान लाखों की भीड़ इकट्ठा हुई , जिसकी वजह से कोरोना वायरस के संक्रमण में बड़ी मदद मिली लेकिन सवाल फिर वही का वही है कि आखिर इन सब की जिम्मेदारी कौन लेगा ।
हमारे भारत देश का पुराना इतिहास रहा है कि हम किसी भी चीज को लेकर के पहले ज्यादा विचार नहीं करते और जब कोई बड़ी घटना घट जाती है तब बड़े पैमाने पर उस घटना से बचने की तैयारियां शुरू की जाती हैं लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है और ऐसा इस बार भी हो रहा है । जिस तरीके से ऑक्सीजन की कमी से लोग अपनी जान गवां रहे हैं क्या कभी किसी ने सपने में ऐसा सोचा था, लेकिन विश्व के अन्य देशों में जिस तरह की स्थिति सामने आ रही थी उसको ध्यान में रखते हुए पहले से ही आज की स्थिति का आकलन कर लेना चाहिए था और काश अगर ऐसा हुआ होता तो शायद आज की स्थिति हम लोगों के सामने ऐसी ना आती ।
यहां पर हम इस बात को मानते हैं कि पिछले साल हमारे देश में कोरोना वायरस के रोकथाम के नाम पर कुछ भी नहीं था और हम सभी लोगों ने बड़ी तेजी से इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा काम किया लेकिन एक कहावत कही गई है कि खरगोश कितना भी तेज दौड़े वह हार जाता है और हम सभी से यही गलती हुई, जैसे ही कोरोना वायरस के संक्रमण की दर कम हुई हमने अपनी तैयारियों को पूरी तरीके से धीला कर दिया और उसी का नतीजा यह है कि आज देश में हर तरफ हाहाकार मचा हुआ। आज इस बात को कहने में मुझे कोई संकोच नहीं हो रहा है कि जब तक हम स्थिति पर नियंत्रण करेंगे तब तक बहुत बड़ा नुकसान हो चुका होगा, ना जाने कितने घरों के दिये बुझ चुके होंगे, ना जाने कितने बच्चे अनाथ हो चुके होंगे और ना जाने कितने माता पिता के बुढ़ापे का सहारा इस दुनिया से दूर जा चुका होगा । आखिर हम कब तक ऐसा होते देते रहेंगे, हमें इसको बंद करना होगा, हमें अपने विचार को बहुत आगे ले जाना होगा, हमें अपनी तैयारी इस तरह करनी होगी कि हम किसी भी स्थिति का सामना करने में सक्षम हो सकें । “जय हिंद जय भारत”