तात्यासाहेब महात्मा जोतीराव फुले पर हिन्दी मे फिल्म = “फुले”

समाज वीकली यू के

तात्यासाहेब महात्मा जोतीराव फुले पर हिन्दी मे “फुले” नाम की फिल्म 11 एप्रिल 25 को रिलीज हो रही थी, उसपर आब्जेक्शन आया है। इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं प्रोफेसर श्रावण देवरे.. उसकी लिंक –

 

इस इंटरव्ह्यू मे आप देखेंगे-

1) निर्माता अनंथ महादेवन की “फुले” सिनेमा को मार्च महिने मे ही सेन्सार बोर्ड ने मान्यता का सर्टिफ़िकेट दे दिया था और उनके शेड्यूल से 11 एप्रिल 2025 को यह फिल्म पुरे देश में रिलिज होनेवाली थी।।

2) लेकीन पुणा के चार ब्राह्मणो ने ब्राह्मण महासंघ बनाकर “फुले” फिल्म को विरोध किया हैं और केवल 4 ब्राह्मणों के कहने पर सेन्सार बोर्ड ने फिल्म पर रोक लगाई है।

3) सेन्सार बोर्ड ने फिल्म मे 12 संशोधन करने के लिए कहा गया है।

4) अगर जातीव्यवस्था समाज मे है और जाती के नाम से “ब्राह्मण महासंघ” स्थापित हो सकता है, तो फिल्म मे “जाती” शब्द और जाती के नाम क्यों नही दिखा सकते?

5) क्रांतीज्योती सावित्रीमाई फुलें पर गोबर फेकने वाले ब्राह्मण लडके का दृष्य फिल्म से निकाल देने से ब्राह्मणों का बुरा इतिहास बदल जाएगा?

6) फिल्म का विरोध करके” गोबर” फेकने का ही काम दोहरा रहे हैं आज के ब्राह्मण ।

7) ब्राह्मणों को बुरा काम करते वक्त आनंद मिलता है, लेकिन वही बुराई फिल्म मे दिखाना बुरा लगता है।

8) सातार के राजे प्रताप भोसले स्वंयम ब्राह्मणो से डरते थे और छिपछिपकर पढाई करते थे, वो लडकीयों का स्कूल निकालने की हिम्मत कर सकते हैं क्या?

9) हम सेन्सार बोर्ड से अपील करते हैं की फिल्म मे कोई संशोधन ना करते हुए पुरे देश मे वही फिल्म दिखाई जाय जो 11 एप्रिल को प्रदर्शित होने वाली थी।

  संपादक – विवेक राणा, Bahujan 85 Channel

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