आज होगी पुरस्कार वितरण समारोह के साथ नाट्योत्सव की समाप्ति
कपूरथला (ਸਮਾਜ ਵੀਕਲੀ) (कौड़ा)- रेल डिब्बा कारखाना के वारिस शॉल हाल में आज अखिल रेल हिंदी नाट्योत्सव में विभिन्न विषयों से सम्बंधित 8 नाटकों का मंचन हुआ । इस नाटक उत्सव में विभिन्न क्षेत्रीय रेलों तथा उत्पादन कारखानों की 22 नाटक टीमें भाग ले रही हैं, जिसमें लगभग 320 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं । नाट्योत्सव की समाप्ति 14 मार्च को पुरस्कार वितरण समारोह के साथ होगी जिसकी अध्यक्षता मुख्य अतिथि श्री अशेष अग्रवाल महाप्रबंधक करेंगे ।
आज कुल आठ नाटक खेले गए I रेल स्प्रिंग कारखाना ग्वालियर की टीम द्वारा बृजकिशोर दीक्षित के निर्देशन में “तोते का पिंजरा” नाटक खेला गया जिसमें राजा के तोते को पढ़ाने लिखाने के उपक्रम में राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया गया I पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर द्वारा आसिफ जहीर के निर्देशन में “शिजोफ्रेनिया” नाटक का मंचन किया गया I मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति के साथ-साथ यदि हम उसकी देखभाल में सेवारत रहने वाले लोगों पर भी ध्यान दें और उनकी सहायता करें तो शायद हम भविष्य में किसी और को इस प्रकार के मानसिक रोगों से बचा सकते हैं , यही इस नाटक का उद्देश्य था I हावड़ा डिवीजन द्वारा काजोल घोष के निर्देशन में “अंतर दहन” नाटक की प्रस्तुति की गई जिसमें आत्मसम्मान की अभिलाषा को परिभाषित किया गया I दक्षिण रेलवे की पलक्कड़ डिवीजन द्वारा सुभाष कुमार के निर्देशन में “प्रेमी चोर” नाटक का मंचन किया गया जो कि किसी भी इंसान में निहित प्रेम की भावना को एक नए नजरिए से देखने का प्रयास था I
उत्तर रेलवे की दिल्ली डिवीजन द्वारा एस वासुदेवन के निर्देशन में “आजाद लहू” संगीत नाटिका की प्रस्तुति की गई I स्वतंत्रता सेनानियों की देशभक्ति और उनकी निडर तथा बहादुर धारणाओं को इस नाटक के माध्यम से रूबरू करवाया गया I “हम क्यों नहीं गाते” दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की रायपुर डिवीजन द्वारा एल रेडी के निर्देशन में खेला गया जिसमें समाज में फैली कू – व्यवस्था पर अंकुश लगाने की गुहार और चुपचाप अत्याचार सहते रहने के बजाय प्रश्न करना था कि आखिर हम क्यों नहीं गाते ? मुंशी प्रेमचंद की कहानी पूस की रात” पर आधारित मनोज कुमार के निर्देशन में पटियाला रेल इंजन कारखाना द्वारा “पूस की रात” नाटक खेला गया जिसमें एक किसान के जीवन की कठिनाइयों का मार्मिक चित्रण था I रेलवे बोर्ड , नई दिल्ली की नाटक मंडली द्वारा शिवचरण गौर के निर्देशन में “एक था गधा” नाटक खेला गया I इस नाटक के माध्यम से राजनीतिक परिवेश के कारण देश में घट रही मूल्यों की त्रासदी को दर्शना था I
आज नाटक देखने वालों में महाप्रबंधक श्री अशेष अग्रवाल , आर सी एफ महिला कल्याण संगठन की अध्यक्ष श्रीमती सुरभि अग्रवाल , रेलवे बोर्ड के राज भाषा विभाग के निर्देशक डॉ वरुण कुमार , संयुक्त निर्देशक श्री रिसाल सिंह , सहायक निदेशक श्रीमती सुनीता पुराकायस्थ, आर सी एफ के मुख्य राजभाषा अधिकारी श्री अखिलेश मिश्रा, आर सी एफ के वरिष्ठ अधिकारी , राज भाषा अधिकारी श्री विनोद कटोच और भारी संख्या में नाट्य प्रेमी उपस्थित थे I इस नाटक उत्सव के लिए श्री राजेंद्र सिंह ,श्री नीरज कौशिक और मैडम अमिता शर्मा निर्णायक की भूमिका निभा रहे हैं I
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