अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण

सर्वोच्च न्यायालय
चरण दास संधू ‘प्रधान’
बलदेव राज भारद्वाज ‘महासचिव’

जालंधर (समाज वीकली) अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) के अध्यक्ष चरण दास संधू और महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने एक संयुक्त बयान में कहा कि आरक्षण पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत देश में संविधान लागू होने के लगभग 74 वर्ष बाद भी अनुसूचित जाति एवं जनजाति को पूर्ण रूप से आरक्षण नहीं मिल सका है। प्रशासनिक संस्थाओं, न्यायालयों, विश्वविद्यालयों तथा अन्य उच्च पदों पर इन वर्गों की भागीदारी बहुत कम है। उन्होंने आगे कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वे हैं जिन्हें भारत में सबसे अधिक सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित माना जाता है, और समानता की पहल में सहायता के लिए आधिकारिक तौर पर भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान (अनुसूचित जातियाँ) आदेश, 1950 में 28 राज्यों में 1,109 जातियों की सूची है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 46 के अनुसार, राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है। यह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से बचाएगा। संधू और भारद्वाज ने आगे कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आगे उप-विभाजन द्वारा आरक्षण देना बिल्कुल भी आरक्षण न देने के समान होगा। इसके चलते उन्होंने पुरजोर अपील करते हुए कहा कि इस फैसले में तुरंत संशोधन कर अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण पूरी तरह से लागू किया जाए और बैकलॉग को जल्द पूरा किया जाए।  उन्होंने आगे कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के जो सदस्य बाबा साहेब द्वारा दिए गए संविधान प्रदत्त आरक्षण को लेकर संसद में पहुंचे हैं, उनसे भी पुरजोर अपील की गई है कि वे इन वर्गों के हितों की रक्षा के लिए जोर दें, ता कि इन वर्गों  के अधिकार  सुरक्षित रह सकें।

बलदेव राज भारद्वाज

 महासचिव

अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.)

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