एम्पलाईज यूनियन द्वारा आर.सी..एफ सैमीनार आयोजित

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइप लाइन योजना देश की संपत्तियों का स्पष्ट रूप में निजी करण है -डॉ सुखपाल सिंह

हुसैनपुर  (ਸਮਾਜ ਵੀਕਲੀ) (कौड़ा)-राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना देश के 13 विभागों की सैकड़ों संपत्तियों का स्पष्ट रूप में निजीकरण है। सरकार चाहे कुछ भी कहे परंतु हम जानते हैं, कि देश की संपत्तियों व देश के लोगों को दोनों हाथों से लूटा जाएगा। यह बात डॉक्टर सुखपाल सिंह प्रिंसिपल अर्थशास्त्र व सामाजिक शास्त्र विभाग, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने कही। आरसीएफ एम्पलाईज यूनियन द्वारा आरसीएफ में करवाए गए सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का दावा है यह संपत्तियां बेची नहीं जा रही बल्कि 25 वर्ष के लिए लीज पर दी जा रही है और पूंजीपति इनका विकास कर बाद में सरकार को वापस लौटा देंगे यह सरेआम झूठ है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आप किसी को अपना मकान किराए पर देकर देखिए किराएदार उसका क्या हश्र करते हैं।

डॉक्टर सुखपाल सिंह ने कहा दरअसल भारत समेत पूरी दुनिया का आर्थिक ढांचा गंभीर संकट में है परंतु भारत सरकार विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन आदि संस्थाओं के दबाव के चलते संकट के असल कारण को जानते हुए भी उल्टे रास्ते पर चल रही है। जिससे संकट और गहरा होता जा रहा है। उन्होंने भारतीय रेलवे व सरकारी संस्थानों के निजीकरण, श्रम कानूनों में बदलाव, कृषि कानूनों आदि पर चर्चा करते हुए कहा कि दरअसल बात उत्पादन बढ़ाने की नहीं है, बात तो उत्पादन को सब में सही रूप में बांटने की है। उन्होंने कहा कि आज देश में अनाज सड़ रहा है परंतु देश के 35 करोड से ज्यादा लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि आज दुनिया की कुल आबादी 7.5 अरब के लगभग है परंतु आज दुनिया में इतना अनाज तथा संसाधन उपलब्ध हैं कि इससे 11 अरब आबादी को मौज करवाई जा सकती है।

डॉक्टर सुखपाल सिंह ने कहा कि हमारे देश के सार्वजनिक क्षेत्र तथा कृषि का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं कर सकता। देश में प्रति एकड़ अनाज की पैदावार दुनिया में सबसे अधिक है इसलिए दुनिया भर की कारपोरेशनें देश की खेती पर काबिज होना चाहती हैं। उन्हीं के लिए मोदी सरकार तीन कृषि विरोधी कानून लेकर आई है। जिसके खिलाफ देश का अन्नदाता किसान दुनिया का बेहतरीन व लंबा संघर्ष लड़ रहा है।

डॉक्टर सुखपाल सिंह राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइप लाइन योजना, रेलवे व सार्वजनिक क्षेत्र के निजी करण, श्रम कानूनों में बदलाव, बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक असमानता आदि के खिलाफ संघर्ष करने का सुझाव देते हुए कहा कि आज किसान संघर्ष ने देश के लोगों को आशा की किरण दिखाई है। अब हमें भी एकजुट संघर्ष की तरफ बढ़ना हमारे समय की मुख्य जरूरत है।

श्री अमरीक सिंह, प्रेस सचिव ने सभी मेहमानों तथा कर्मचारियों का सेमिनार में स्वागत करते हुए सेमिनार के विषय, जरूरत तथा उदेश पर चर्चा की। सरदार परमजीत सिंह खालसा अध्यक्ष ने मुख्य वक्ता डॉक्टर सुखपाल सिंह व उनकी पत्नी, सेमिनार में उपस्थित सभी संगठनों तथा कर्मचारियों का धन्यवाद करते हुए भविष्य के संघर्षों के लिए तैयार रहने की अपील की। स्टेज सचिव की भूमिका नौजवान नेता साथी तलविंदर सिंह, उपाध्यक्ष ने खूबसूरती से अदा की।

सैमीनार में मुख्य रूप में साथी सर्वजीत सिंह, हरविंदरपाल, अमरीक सिंह गिल, बचितर सिंह, मनजीत सिंह बाजवा, नरेंद्र कुमार, तरलोचन सिंह, प्रदीप सिंह, शरणजीत सिंह, संजीव वर्मा, बाबू सिंह, जसपाल सिंह सेखों, साथी दर्शन लाल, एमके भटनागर(आईआरटीएसए), जगदीश सिंह, अशोक कुमार (इंजीनियरिंग एसोसिएशन), उमाशंकर, साथी अशोक (ओबीसी एसोसिएशन), परविंदर सिंह, गुरतेज सिंह, सुखविंदर सुखी, भारत राज, बूटा राम, अवतार सिंह, जगदीप सिंह, अश्विनी कुमार, अनिल कुमार, पवन कुमार आदि हाजिर थे।

 

 

 

 

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