समाज वीकली
प्रयागराज में जो हुआ उसे बयां करना कठिन है लेकिन यह तो है कि अभी भी जाति प्रथा गरीबों का शोषण कर रही है आज भी दलितों को कमर तोड़ मजदूरी, सीवर टैंक की सफाई, बड़े घरों में झाडू पोछा का कार्य, सर पर मैला ढौना जैसे निचले स्तर के कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है | और उन्हें सवर्ण वर्ग वाले कार्यों एवं सुविधाओं से वंचित रखने का प्रयास जारी है |
सवर्ण इलाकों के मंदिरों में दलितों के पहले पूजा करने से मंदिर को दूषित करने का दोष देना, दलित वर्ग की शादियों में घोड़ी का प्रयोग, डीजे का प्रयोग करने पर दलितों को मारना पीटना, कई मामलों में हत्या कर देना, दलित बेटियों के साथ अत्याचार की बहुत सी घटनाएं तो बाहर ही नहीं आ पाती हैं| और ऐसे मामलों को पुलिस द्वारा भी दबाने का प्रयास किया जाता रहा है |
तो साथियों चाहे प्रयागराज हो, कानपुर में धोबियों का मामला, उन्नाव में दलित को पुलिस चौकी में पीटने का मामला, रायबरेली में दलित लड़की के साथ अत्याचार और हत्या का मामला, श्रावस्ती जिले में दलित युवक को जबदरस्ती पेशाब पिलाने का मामला, बस्ती में एक एसडीएम द्वारा जाति सूचक गालियाँ देने और दलित महिला को पीटने का मामला, दलित छात्र उत्पीडन के मामले, हर तरफ दलित उत्पीड़न के मामले बढ़ रहे हैं और सरकार सिर्फ बुलडोजर का हैंडिल पकड़े बैठी हुयी है गरीब बस्तियों को उजाड़ने के लिए ..
वर्तमान हालात इशारा कर रहे है कि अगर समाज के संतुलन को बनाए रखना है तो दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों को एकजुट होकर मुखर होना होगा नहीं तो तानाशाह का क्रूर तंत्र समाज को निगल जाएगा …
केएम भाई