पूना पैक्ट दलितों की राजनीतिक अस्मिता का प्रतीक – प्रो. राजेश कुमार

फोटो कैप्शन: मुख्य वक्ताओं को सम्मानित करते अंबेडकरी संगठनों के नेता

पूना पैक्ट दलितों की राजनीतिक अस्मिता का प्रतीक – प्रो. राजेश कुमार
सदियों के बाद अछूतों में शैक्षिक क्रांति की शुरुआत हुई – डॉ. कोल

जालंधर (समाज वीकली): आल इंडिया समता सैनिक दल (रजि.) पंजाब इकाई की ओर से अंबेडकर भवन ट्रस्ट (रजि.) और अंबेडकर मिशन सोसाइटी पंजाब (रजि.) के सहयोग से बाबा साहेब की चरण-छोह भूमि अंबेडकर भवन जालंधर में पूना पैक्ट दिवस पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार शुरू होने से पहले प्रसिद्ध अंबेडकरवादी, विचारक और भीम पत्रिका के संपादक श्री लाहौरी राम बाली को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।

इस विचार चर्चा में प्रो. राजेश कुमार थानेवाल, प्रमुख स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग, जीकेएसएम गवर्नमेंट कॉलेज, टांडा उरमुर और डॉ. जीसी कौल, पूर्व प्रमुख पोस्ट ग्रेजुएट पंजाबी विभाग, डीएवी कॉलेज, जालंधर ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर प्रो. राजेश कुमार ने सम्बोधित करते हुए कहा कि पूना पैक्ट पर 24 सितम्बर 1932 को भारत के हिन्दू नेताओं एवं डाॅ. अम्बेडकर के बिच एक ऐसा समझौता था जिस द्वारा सदियों से पीड़ित और उत्पीड़ित अछूतों के बीच एक क्रांति की शुरुआत हुयी । यह एक ऐसा दस्तावेज़ है जिसके तहत लगभग बाईस सौ वर्षों के बाद दलितों को राजनीतिक मान्यता मिली, वोट देने के अधिकार के साथ-साथ अछूतों को केंद्र और प्रांतों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अधिकार मिला। उन्होंने कहा कि डाॅ. अंबेडकर द्वारा दलितों के लिए अलग राजनीतिक अधिकार प्राप्त करने के लिए 1917 में साउथबरो कमीशन से लेकर साइमन कमीशन के आगमन और 1930 से 1932 तक लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन तक, ब्रिटिश प्रधान मंत्री रामसे मैकडोनाल्ड ने 17 अगस्त 1932 को सांप्रदायिक निर्णय की घोषणा की। जिस अनुसार भारत के अल्पसंख्यकों के लिए अलग अधिकार मिले जिनमें अछूतों को भी अलग अधिकार शामिल थे। परन्तु गांधी जी द्वारा दलितों को दिये गये चुनावी अधिकार के विरूद्ध 20 सितम्बर 1932 को किये गये आमरण अनशन के फलस्वरूप तत्कालीन हिन्दू नेताओं एवं बाबा साहब डाॅ. 24 सितम्बर 1932 को पूना में अम्बेडकर के समझौते ने बेशक अलग-अलग चुनावी अधिकारों को सामान्य आरक्षित (रिज़र्व) सीटों में बदल दिया, लेकिन इन चुनावी अधिकारों ने सैकड़ों वर्षों के बाद भारत के अछूतों को एक अलग राजनीतिक पहचान दी।

इस अवसर पर डाॅ. जीसी कौल ने कहा कि पूना पैक्ट ने दलितों के बीच एक शैक्षिक क्रांति की शुरुआत की, जिसके परिणामस्वरूप अछूतों को, जिन्हें सदियों से शैक्षणिक संस्थानों से दूर रखा गया था, उच्च शिक्षा प्राप्त करके, बाबा साहब के अथक संघर्षों की बदौलत, वकील, इंजीनियर, डॉक्टर, प्रोफेसर, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, प्रशासनिक अधिकारी बने और यहाँ तक कि राज्यों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों, उच्चायुक्तों, राजदूतों, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों और राष्ट्रपतियों जैसे सर्वोच्च पदों तक भी पहुँचे। उन्होंने देश की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए कहा कि बाबा साहब डाॅ. अंबेडकर ने दलितों के विकास के लिए भारतीय संविधान में जो प्रावधान किये थे उन्हें लगातार संघर्ष के माध्यम से ख़त्म किया जा रहा है। इसके प्रति हम सभी को जागरूक होने की जरूरत है। सेमिनार के दौरान विद्वत श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिये गये। समारोह के दौरान अंबेडकरवादी संगठनों के नेताओं ने मुख्य वक्ताओं को लोई व बुके देकर सम्मानित किया। सेमिनार के प्रारंभ में अंबेडकर भवन ट्रस्ट (रजि.) के अध्यक्ष प्रो. सोहन लाल, सेवानिवृत्त डीपीआई (कॉलेजों) ने मुख्य वक्ताओं एवं श्रोताओं का स्वागत करते हुए बाबा साहब की सभी रचनाओं को पुस्तकों के रूप में प्रकाशित करने के लिए महाराष्ट्र में दल द्वारा किये गये तीव्र संघर्षों के बारे में जानकारी प्रदान की।

सेमिनार के अंत में आल इंडिया समता सैनिक दल (रजि.) पंजाब इकाई के प्रदेश अध्यक्ष श्री जसविंदर वरयाणा ने दर्शकों और मुख्य वक्ताओं को धन्यवाद दिया। मंच संचालन करते हुए दल के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने दल के संगठन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि समता सैनिक दल का गठन स्वयं बाबा साहब ने 13 मार्च 1927 को किया था।. दल का मुख्य कार्यालय नागपुर में है और इसका अपना प्रशिक्षण केंद्र है जहां युवाओं (लड़के और लड़कियों) को मानसिक, शारीरिक और नैतिक प्रशिक्षण दिया जाता है। इस मौके पर हरभजन निमता , एडवोकेट कुलदीप भट्टी, चरण दास संधू, हरमेश जस्सल, एडवोकेट परमिंदर सिंह खुतन, प्रो. बलबीर, डॉ. महेंद्र संधू, बलविंदर कुमार लीर, डॉ. बाघा, सतनाम हीर, रविकांत, पिशोरी लाल संधू, मदन लाल, ज्योति प्रकाश, कृष्णा मेहमी, सतविंदर मदारा, बलविंदर पुआर, हरि राम ओएसडी, मेहर मलिक, डी.पी. भगत, हरि सिंह थिंद, मास्टर जीत कुमार, सेवा सिंह, राम लाल दास आदि उपस्थित थे। यह जानकारी आल इंडिया समता सैनिक दल (रजि.) पंजाब इकाई के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने एक प्रेस बयान के माध्यम से दी।

बलदेव राज भारद्वाज
महासचिव
आल इंडिया समता सैनिक दल (रजि.), पंजाब इकाई।

Previous articleਪੂਨਾ ਪੈਕਟ ਦਲਿਤਾਂ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤਕ ਪਛਾਣ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ – ਪ੍ਰੋ. ਰਾਜੇਸ਼ ਕੁਮਾਰ 
Next articleਸ਼੍ਰੀ ਇਲਮ ਚੰਦ ਸਰਵਹਿੱਤਕਾਰੀ ਛੋਕਰਾਂ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ  ਪੰਜਾਬ ਪੱਧਰ ਦੇ 34ਵੇਂ ਐਥਲੈਟਿਕਸ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਿੱਚ ਮਾਰੀਆਂ ਮੱਲਾਂ