माता सावित्री बाई फुले के जन्मदिवस को समर्पित  संगोष्ठी अंबेडकर  भवन में 3 जनवरी को मुख्य वक्ता होंगे डाॅ. सुनीता सावरकर, सहायक प्रोफेसर

मीडिया को जानकारी देते अंबेडकर मिशन सोसायटी के पदाधिकारी
डाॅ. सुनीता सावरकर की फाइल फोटो

जालंधर (समाज वीकली) : अंबेडकर  मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) द्वारा सोमवार, 3 जनवरी को दोपहर 3 बजे अंबेडकर  भवन, डाॅ. अंबेडकर  मार्ग, जालंधर में  ‘अंबेडकरी आंदोलन में औरतों का योगदान’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।  सेमिनार के मुख्य वक्ता डाॅ. सुनीता सावरकर, सहायक प्रोफेसर, डॉ. बी. आर. अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद होंगे ।  यह निर्णय सोसायटी की आगामी गतिविधियों को लेकर सोसायटी अध्यक्ष चरण दास संधू की अध्यक्षता में अंबेडकर भवन जालंधर में हुई कार्यकारिणी समिति की बैठक में लिया गया। सेमिनार का विषय ‘अंबेडकरी आंदोलन में औरतों  का योगदान’ होगा। यह जानकारी सोसायटी के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने एक प्रेस बयान में दी। बलदेव भारद्वाज ने कहा कि माता सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में पिता खान दोजी नेबसे और माता लक्ष्मी के घर हुआ था। सावित्री बाई की शादी 1840 में 9 साल की उम्र में 13 साल के  ज्योति राव फुले से हुई थी। विवाह के समय सावित्री बाई फुले पूरी तरह से अशिक्षित थीं, जबकि उनके पति तीसरी कक्षा तक पढ़े थे। जिस दौरान वह पढ़ाई का सपना देख रही थीं, उस दौरान दलितों के साथ काफी भेदभाव होता था।  सावित्री बाई फुले ने अपने पति के साथ मिलकर 1848 में पुणे में एक स्कूल की स्थापना की जिसमें विभिन्न जातियों की 9 छात्राएं पढ़ती थीं।  एक वर्ष में सावित्री बाई और महात्मा फुले 5 नये स्कूल खोलने में सफल हुए। उस समय लड़कियों की शिक्षा पर सामाजिक प्रतिबंध था। भारद्वाज ने कहा कि सावित्री बाई फुले ने उस दौरान न सिर्फ खुद पढ़ाई की बल्कि उन्होंने अन्य लड़कियों के लिए भी पढ़ाई की व्यवस्था की। जब सावित्री बाई फुले स्कूल जाती थीं तो लोग उन पर पत्थर फेंकते थे। उन पर गंदगी फेंकी जाती थी, बावजूद इसके उन्होंने लड़कियों के लिए उस समय स्कूल खोला, जब लड़कियों को पढ़ाना-लिखाना उचित नहीं माना जाता था। 10 मार्च 1897 को प्लेग के रोगियों की देखभाल करते समय सावित्री बाई की मृत्यु हो गई। उनका पूरा जीवन समाज के दलित वर्गों, विशेषकर महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता। सावित्री बाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं, जिनके प्रयासों से लाखों महिलाएं शिक्षित होकर समाज की भलाई के लिए अंबेडकरी आंदोलन में योगदान दे रही हैं। अंबेडकर मिशन सोसायटी 3 जनवरी को ‘अंबेडकरी आंदोलन में औरतों का योगदान’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित कर उनकी जयंती मना रही है। सभी विचारशील साथियों को इस सेमिनार में उपस्थित होकर लाभ उठाना चाहिए। इस अवसर पर श्री सोहन लाल, डाॅ. जी. सी. कौल, प्रो. बलबीर, बलदेव राज भारद्वाज, महेंद्र संधू, तिलक राज, परमिंदर सिंह खूटन व निर्मल बिनजी मौजूद रहे।

बलदेव राज भारद्वाज

महासचिव

 अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.)

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