डॉ.बाबासाहब आंबेडकर ने
‘मनुस्मृति का दहन’ किया. हमे EVM का दहन करना है !
वरना मनु पुनर्जीवित हो जायेगा !
Ajay Rawat
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मनुस्मृति में बलात्कार, हत्या, हिंसाचार, शोषण, गुलामी, अन्याय अत्याचार, गैरबराबरी, जैसे अमानवीय तत्व मौजूद है| भारतीय समाज आज भी मनुस्मृति के ब्राह्मणवादी प्रभाव में जी रहा है जिसके कारण हमे समाज में महिलाओं पर अत्याचार, बलात्कार, जातीवाद, हिंसाचार जैसी बुराईयां दिखाई देती है|
मनुस्मृति के विरोध में भारत का संविधान है| भारतीय संविधान महिलाओं तथा कमजोर तबकों को आत्मसम्मान तथा जीने का अधिकार, शिक्षा की स्वतंत्रता और न्यायपूर्ण बहुजनवादी व्यवस्था की हमी देता है| मनुस्मृति यह ग्रंथ महिलाओं के चरित्र का हवाला देकर उन्हें हमेशा कमजोर रखने, उन्हें पर्दे के अंदर रखकर उनका जीवन दुखद रखने की साजिश करता है|
भारत में लोगों की सोच बेहद संकुचित है, भारत के लोग अच्छे आचरण की बड़ी बड़ी बातें करते हैं लेकिन उनका व्यवहार पशुओं जैसा है| एक महिला को वेश्या बताकर जब सभी लोग उसे पत्थरों से मार रहे थे तब बुद्ध ने आगे आकर उन्हें रोका और कहा की जो बचपन से आजतक निष्कलंक है उसे ही उस महिला को मारने का अधिकार है| सभी ने पाया उनके चरित्र पर कुछ न कुछ अनदेखा कलंक जरूर है और फिर सभी लोगों ने बुद्ध से माफी मांगी| जिजस ख्रिस्त ने भी इसी तरह पिडित महिला को बचाया था| बुद्ध और जिजस ने वेश्याओं तथा दासियों को भी अपने भिक्षुसंघ में शामिल कर उन्हें सम्मानजनक जीवन दिलाया था| बुद्ध ने वज्जि राजपुत्रों के आमंत्रण को नकारकर आम्रपाली के आमंत्रण को स्विकार कर महिला सम्मान को सबसे बड़ी तवज्जो दी थी| मनुस्मृति को नकारना मतलब महिलाओं के चरित्र पर उठनेवाले सभी सवालों को खारिज कर उन्हें सम्मानजनक जीवन देना है| विदेशों में इस तरह की खुली सोच वास्तविक जीवन में है, इसलिए उधर महिलाएँ कम कपडों में रात्रि के समय में भी सुरक्षित है, लेकिन भारत में ब्राह्मणवादी विकृत सोच होने के कारण बुर्के के अंदर जीनेवाली महिला दिन में भी असुरक्षित हैं|
भारत के लोगों को मनुस्मृति की विकृत ब्राह्मणवादी सोच को त्यागना होगा और बुद्ध तथा संविधान की खुली सोच को अपनाना होगा| इसलिए, मनुस्मृति को हर रोज जलाओ और संविधान का निरंतर पालन करो|
मनुस्मृति दहन दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ|