नोएडा, यूपी में मैन्युअल स्कैवेंजर्स की मौत

नोएडा, यूपी में मैन्युअल स्कैवेंजर्स की मौत
परिवारों को कोई मुआवजा नहीं मिला
प्राधिकरण एफआईआर दर्ज करने में अनिच्छुक!

(समाज वीकली)- गत एक सप्ताह में, उत्तर प्रदेश में सीवर/सेप्टि क टैंक सफाई कर्मियर्मिों की सफाई के दौरान सेप्टिक टैंक में मौत। 2 मई, 2024 को, लखनऊ के वज़ीरगजं क्षेत्र में एक सीवर लाइन की सफाई करते समय शोब्रान यादव, 56, और उनके पत्रु सशुील यादव, 28, घटुन से हुई मौत। एक और घटना 3 मई 2024 को नोएडा, सेक्टर 26 में एक घर में सेप्टि क टैंक को सफाई करते समय दो सफाई कर्मचर्मारी नूनी मंडल, 36 और कोकन मंडल जिसे तपन मंडल के नाम से जानते हैं, की मौत हो गई।

3 मई को, शाम 7 बजे दोनों कर्मचारियों को नोएडा सेक्टर 26 में एक निजी आवास में सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए बुलाया गया था। सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय दोनों कर्मचारी विषैली (toxic) गैस के कारण मर गए। यह भी ध्यान देने योग्य है कि जब कर्मचारी नाशक गैस के कारण मर गए, तो लंबे समय तक मालिक के परिवार में से किसी ने जांच नहीं की और न ही स्थिति के बारे में जागरूक थे।अभी तक पीड़ितों के परिवार को पुलिस से पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है और ना ही पुलिस द्वारा FIR दर्ज किया गया है। नोएडा के सेक्टर 20 के पुलिस कमिशनरेट ने FIR दर्ज करने में अनिच्छा जताई और दावा किया कि स्वच्छता कर्मचारियों की मौत एक ‘अनपेक्षित परिणाम’ थी। FIR दर्ज न करने के लिए पीड़ितों के परिवार पर निरंकुश दबाव बनाया जा रहा है और इसका कोई सबूत भी नहीं है कि पीड़ितों के परिवार को अधिकारित मुआवज़ा का पैसा प्राप्त हुआ है।

मैनुअल स्कैवेंजिंग 2013 के प्रावधान के तहत एक अवैध अभ्यास है जो निर्धारित करता है जो किसी व्यक्ति को किसी भी तरीके से मानव मल को हाथ से साफ करने, ले जाने या संभालने की अनुमति नहीं देता। कोकन मंडल और नूनी मंडल मैन्युअल स्कैवेंजिंग के पीड़ित थे और उन्हें किसी भी सुरक्षा उपकरण के बिना निजी घर के सेप्टिक टैंक को हाथ से साफ करने के लिए बुलाया गया था। 2013 के एमएस अधिनियम के तहत FIR दर्ज होनी चाहिए।

दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच (दशम) और जस्टिस न्यूज़ संयुक्त बयान जारी कर रहे हैं कि पुलिस द्वारा अनक्रियता अत्यंत अन्यायपूर्ण है। पुलिस परिवार को योग्य मुआवजा देने और उनके उचित पुनर्वास की सुनिश्चित करने में विफल रही है। यह दुखद है कि 2013 के प्रोहिबिशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट एस मैनुअल स्कैवेंजर्स एंड देयर रिहैबिलिटेशन एक्ट, 2013 के 10 वर्षों के बाद भी मैन्युअल स्कैवेंजिंग अब भी मौजूद है और पीड़ितों की न्याय सुनिश्चित के लिए कोई उचित उपाय नहीं है। हम उत्तर प्रदेश में सेप्टिक टैंक में हो रही मौत के बढ़ते हुए आंकड़ों का विरोध करते हैं। हम यह मांग करते हैं कि जल्द से जल्द इन मैन्युअल स्कैवेंजरों की मौत पर कार्रवाई हो ताकि भविष्य में यह हादसा फिर से न दोहराया जाए।

अरुण खोटे, जस्टिस न्यूज़ और संजीव कुमार, दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच (दशम)

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