भारत में लड़ाई सत्ता की है या विचारधारा की ?

राजेंद्र पाल गौतम

नमो बुद्धाय ! जय भीम !
कृपया उपरोक्त बिन्दुओं पर विचार कीजिए :-

(समाज वीकली)-

1. भारत में लड़ाई सत्ता की है या विचारधारा की ?
2. ⁠सत्ता स्थाई है या विचारधारा ?
3. ⁠ताकत/पॉवर का वास्तविक अर्थ क्या है और यह आती कहाँ से है ?
4. ⁠सरकार के राजनीति विज्ञान के हिसाब से तीन किन्तु वास्तव में चार अंग/पॉवर केंद्र हैं :-विधानपालिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व मीडिया ! क्या विधानपालिका व कार्यपालिका को छोड़कर, न्यायपालिका व मीडिया में बहुजनों का प्रतिनिधित्व है ?
5. ⁠बहुजन राजनीति विफ़ल क्यों हुई ?
6. ⁠क्या हमारे विधानपालिका व कार्यपालिका में जो प्रतिनिधि हैं वह सही मायने में बहुजनों का प्रतिनिधित्व करते हैं ?
7. ⁠राजनितिक सत्ता को काबू कौन करता है ? साँसद, विधायक या मन्त्री ? या कॉर्पोरेट ?
8. ⁠बहुजनों की राजनीति के लिए फंड्स का अर्रेंजमेंट कौन करेगा ?
9. ⁠क्या 85% का कॉन्सेप्ट सफल हुआ है ? यदि हो सकता है तो कैसे ?
10. ⁠क्या किसी जाति या सम्प्रदाय का लीडर/नेता यह क्लेम कर सकता है कि उसका पूरा समाज उसके पीछे चलेगा ?
11. ⁠RSS के काम करने के तरीके में व अन्य संगठनों के काम करने में अन्तर क्या है ? क्या उनसे हमें कुछ सीख लेनी चाहिए ?
12. ⁠बहुजन समाज मीडिया, व्यापार, उद्योग व हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में अपना हिस्सा कैसे प्राप्त कर सकता है ?
13. ⁠क्या बहुजन समाज के बच्चों को हम दंगों में शामिल होने से, धार्मिक जुलूसों व काँवड़ आदि अन्धविश्वास फ़ैलाने वाली गतिविधियों में शामिल होने से रोक सकते हैं ?
14. ⁠क्या नई-नई राजनैतिक पार्टियों के बनने के पीछे भाजपा तो नहीं ?

उपरोक्त प्रश्नों का जवाब खोजे बिना बहुजन समाज को एकजुट व ताकतवर नहीं बनाया जा सकता !
⁠कृपया उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर खोजने व बहुजन समाज को एकजुट करने में हमारी मदद करें !

नमो बुद्धाय ! जय भीम !
राजेंद्र पाल गौतम !

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