● आइपीएफ ने मानवाधिकार आयोग को भेजा पत्र
● प्रदूषित पानी पीने से लोगों के विकलांग होने व गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के मामले में कार्रवाई की अपील
(समाज वीकली)- लखनऊ, 24/5/2024, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) ने अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र प्रेषित कर जनपद सोनभद्र के म्योरपुर ब्लाक के तमाम गांवों में प्रदूषित पानी पीने से लोगों के विकलांग होने व गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के मामले को संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई की अपील की है। प्रेषित पत्र में मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में लाया गया है कि आज ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की टीम ने जनपद सोनभद्र के म्योरपुर ब्लाक के डढियारा गांव के किए दौरे में एक ही परिवार के तीन सदस्य सगे भाई कपिल देव यादव उम्र 34 साल, किशुन देव यादव उम्र 31 साल पुत्र धर्मराज एवं उनकी मां मोहनी के फ्लोरोरिसिस के कारण विकलांग होने और इसी गांव की 13 वर्षीय बच्ची खुशबू पुत्री हुकुमचंद की आंखों की 80 फ़ीसद रोशनी जाने का मामला पता चला है। यदि वक्त रहते समुचित ईलाज नहीं हुआ तो बच्ची की आंखों की रोशनी पूरी तरह से जा सकती है। इसी गांव के आइपीएफ से जुड़े सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता इंद्रदेव खरवार भी फ्लोरोरिसिस से प्रभावित हैं। कुसम्हा, रासपहरी, गोविन्दपुर आश्रम समेत जनपद के विभिन्न गांवों में भी फ्लोरोरिसिस के कारण सैंकडों लोग विकलांग पड़े हुए हैं। बेलहत्थी गांव के रजनीटोला समेत कई गांव हैं जहां रिहंद बांध का प्रदूषित पानी पीने के कारण लोगों की मृत्यु होती रहती है। पत्र में जीने के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए शुद्ध पेयजल और गंभीर रूप से बीमार लोगों के समुचित ईलाज की व्यवस्था के लिए सोनभद्र जिला प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।
आइपीएफ जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका ने कहा कि शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के अभाव में इस जनपद में अभी भी लोग चुआड़, बरसाती नालों, कच्चे कुओं, रिहंद बांध के आर्सेनिक मरकरी युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। ऐसे मामलों को आइपीएफ द्वारा पूर्व में भी मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में लाया गया था और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप पर प्रभावित गांवों में शुद्ध पेयजल के लिए आरओ प्लांट लगे और फ्लोरोसिस प्रभावित गांवों में हैंडपंपों के साथ वाटर फिल्टर प्लांट लगाए गए थे। लेकिन आज ज्यादातर आरओ प्लांट और फिल्टर प्लांट खराब पड़े हुए हैं। जिला प्रशासन, जल निगम और उत्तर प्रदेश शासन से बार-बार अनुरोध करने और प्रमुख अखबारों में खबरें प्रकाशित होने के बावजूद भी इनकी मरम्मत नहीं कराई गई। इससे लोगों के विकलांग होने की जो हालात और अकाल मृत्यु की स्थिति पैदा हुई है यह जिला प्रशासन की प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। आगे कहा कि यह क्षेत्र आदिवासी व वनाश्रित बाहुल्य है। ग्रामीण इलाकों में बहुतायत आबादी गरीब हैं। क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं अपर्याप्त हैं और सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मानक के अनुसार विशेषज्ञ डाक्टर व ईसीजी, एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, प्रमुख पैथोलॉजी जांचें आदि का भी अभाव है। परिणामस्वरूप गंभीर रूप से बीमारी की स्थिति में तमाम लोगों की इलाज के अभाव में मौतें भी होती रहती हैं।