राजीव यादव
आजमगढ़ (समाज वीकली)- नए साल के पहले दिन योगी जी की पुलिस मेरे मम्मी पापा आजमगढ़ शहर में जहां रहते हैं वहां पहुंची और मेरे बारे में पूछताछ की!
पुलिस ने कहा कि चुनाव को लेकर वैरिफिकेशन के लिए आए हैं!
परिजनों ने कहा कि चुनाव लड़े थे तो उसकी सूचना तो सरकार के पास है ही!
जहां माता-पिता रहते हैं उस मकान के बारे में पूछा तो मम्मी ने कहा किराए के मकान में रहते हैं!
इसके पहले 30 दिसंबर 2023 की रात भी जब पुलिस मेरे गांव घिनहापुर गई थी तो जमीन-मकान आदि के बारे में पूछ रही थी!
मेरे गांव पर जो मेरे पिता जी ने मकान बनवाया वो आधा-अधूरा एक कमरे का है शेष परिवार किराए के मकान में रहता है!
आज ही मेरे मोबाइल पर एक इंस्पेक्टर के नाम से फोन आया और पूछताछ करने लगे तो मैंने सवाल किया कि क्यों आप मेरे बारे में जानना चाहते हैं!
उन्होंने किसी कागज के बारे में बताया और मम्मी पापा शहर में जहां रहते हैं उस जगह का जिक्र किया!
मुझे लगा मेरे बारे में फिर मेरे मम्मी पापा से पूछेंगे वे बेवजह वे परेशान होंगे!
सबसे हास्यास्पद तो रहा कि वह पूछे की किस धार्मिक संगठन से हैं!
खैर जन्म की तारीख, किस संगठन से हैं, अभी कहां हैं तो मैंने कहा मुंबई में तो उन्होंने कहा कि वहां अभी कहां हैं!
मैंने उनसे कहा कि पिछला विधानसभा चुनाव निजामाबाद से लड़ा हूं आंदोलनों में रहता हूं मेरी सभी सूचनाएं सार्वजनिक हैं!
इन बातों के साथ उन्होंने मेरा हुलिया और बैंक अकाउंट नंबर पूछा तो मैंने कहा कि आप निजी जानकारियां बिना कोई स्पष्ट कारण बताते हुए पूछ रहे हैं!
कल 31 दिसंबर 2023 को जब शाम एक पुलिस इंस्पेक्टर के नाम से फोन आया तो उनकी बातों में भी था कि कुछ पॉलिटिकल लोगों पर निगाह रखी जा रही उसी सिलसिले में आप पर भी!
अगर इस बात को मान भी लें कि चुनाव को लेकर यह सब हो रहा तो सवाल है कि लोकतंत्र के चुनावी उत्सव में क्यों नेताओं के व्योरे इकट्ठे किए जा रहे हैं!
दूसरा की किसी जानकारी को लेने के लिए देर रात पुलिस क्यों घर आएगी!
और क्या सारे नेताओं से अपराधी की तरह ही यह पूछताछ हो रही है?
जैसा कि मेरे साथ हो रहा!
अगर यह कोई कानूनी प्रक्रिया है तो इसे सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए न कि रात के अंधेरे में परिजनों को पूछताछ के नाम पर मानसिक उत्पीड़न किया जाए!