हरविंद्र सिंह कल्याण —यूथ कांग्रेस से हरियाणा विधानसभा के स्पीकर तक का सफर :एक विश्लेषण

Harvinder Singh Kalyan

डॉ. रामजीलाल

(समाज वीकली) भारतीय लोकसभा अथवा प्रांतीय विधानसभा के अध्यक्ष (सभापति) को अंग्रेजी भाषा में स्पीकर के नाम से संबोधित किया जाता है. इंग्लैंड के हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर की भांति भारतीय लोकसभा अथवा विधानसभा का स्पीकर एक प्रमुखतम व्यक्ति होता है तथा वह सदन में प्रथम दर्जे का सदस्य होता है. वह सदन के गौरव, सम्मान, इज्जत का प्रतिनिधित्व करता है. जवाहरलाल नेहरू ने प्रतिनिधि सदन के स्पीकर के संबंध में कहा ‘’स्पीकर सदन का प्रतिनिधित्व करता है. वह सदन के गौरव तथा स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि सदन एक विशेष रूप में राष्ट्र का प्रतीक है तथा स्पीकर राष्ट्र की स्वाधीनता और स्वतंत्रता का प्रतीक है.’ हमारा अभिमत है कि लगभग यही बात विधानसभा के स्पीकर पर भी लागू होती है.

 हरियाणा की स्थापना 1 नवंबर 1966 को हुई थी. सन् 1966 से सन् 2024 तक हरियाणा विधानसभा के 15 चुनाव संपन्न हो चुके हैं. विधानसभा का कार्यक्रम सुचारु रूप से संचालित करने हेतु अध्यक्ष की आवश्यकता होती है .विधानसभा के अध्यक्ष को अंग्रेजी भाषा में स्पीकर के नाम से पुकारते हैं परंतु वास्तव में स्पीकर वह व्यक्ति होता है जो विधानसभा में सबसे कम बोलता है . सन् 1966 से सन् 2024 तक विधानसभा  के 20 व्यक्ति स्पीकर रह चुके हैं. हरियाणा विधानसभा का प्रथम स्पीकर ( भारत में विधानसभा का प्रथम महिला स्पीकर) होने का श्रेय श्रीमती शन्नो देवी (कैथल) को जाता है जो 6 दिसंबर 1966 से 17 मार्च 1966 तक इस पद पर आसीन रहीं है . कैथल ज़िले की स्थापना 1 नवंबर, 1989 को हुई थी. इससे पहले, यह करनाल ज़िले का एक उपमंडल था. करनाल जिले से प्रथम स्पीकर होने का श्रेय भी श्रीमती शन्नो देवी  को जाता है. हरियाणा जैसे तत्कालीन समाज में यह एक अद्भुत उपलब्धि दिखाई देती है क्योंकि इसके पश्चात आज तक हरियाणा में महिला को स्पीकर निर्वाचित नहीं किया गया है .इस समय हरियाणा की विधानसभा में 13 महिला विधायक है परंतु एक भी महिला को स्पीकर अथवा डिप्टी स्पीकर नहीं चुना गया . 25 अक्टूबर 2024 को घरौंडा के विधायक हरविंद्र सिंह कल्याण को सर्व सम्मति से स्पीकर चुना गया  . हरविंद्र कल्याण विधानसभा का स्पीकर निर्वाचित होने वाले करनाल जिले से तीसरे व्यक्ति हैं.

यहां यह बताना पड़ा जरूरी है कि करनाल जिले से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से श्रीमती शन्नो  देवी व चौ. ईश्वर सिंह के अतिरिक्त कुछ स्पीकर का संबंध रहा है .उदाहरण के तौर पर स. तारा सिंह(विधायक शाहाबाद— निवास स्थान करनाल— 24 जून 1982- 9 जुलाई 1987-, स. हरमोहिंदर सिंह चट्ठा (विधायक पिहोवा –दयाल सिंह कॉलेज ,करनाल  के पूर्व विद्यार्थी –9 जुलाई 1987 से 9 जुलाई 1996 तथा 28 अक्टूबर 1909 से 28 जनवरी 2011 तक) स्पीकर के पद पर रहे हैं .इसी प्रकार चौ. ईश्वर सिंह (विधायक पुंडरी– 9 जुलाई 1991 से 22 जुलाई 1996) ,कुलदीप शर्मा (विधायक गन्नौर, निवास स्थान एवं वकालत करनाल –4 मार्च 2011 से 2 नवंबर 2014)  आसीन रहे हैं.

हरविंद्र सिंह कल्याण की राजनीतिक पृष्ठभूमि

हरविंद्र सिंह कल्याण का संबंध करनाल जिले के प्रसिद्ध राजनीतिक घराने से है. इनके दादा चौ. मुल्तान सिंह साढ़े चार दशक पूर्व हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं. चौ. मुल्तान सिंह का संबंध तत्कालीन राष्ट्रीय नेताओं–महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू,सर छोटूराम, रणवीर सिंह हुड्डा ,देवीलाल , लाल बहादुर शास्त्री ,श्रीमती इंदिरा गांधी से रहे हैं. जवाहरलाल नेहरू ने भारत-चीन युद्ध(सन् 1962) के समय श्रीमती इंदिरा गांधी को चौ. मुल्तान सिंह से मिलने के लिए भेजा था. चौ. मुल्तान सिंह विनोबा भावे के नेतृत्व में चलाए गए भूदान आंदोलन के   हरियाणा क्षेत्र में एक चर्चित और प्रसिद्ध भू -दानी रहे हैं . कल्याण के पिताजी  चौ.देवीसिंह भी राजनीति के  खिलाड़ी रहे हैं .उनके व्यक्तिगत संबंध हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री  भजनलाल से थे. चौधरी देवी सिंह (हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (हरियाणा सरकार) के पूर्व अध्यक्ष) थे.  हमारे कहने का अभिप्राय यह है कि राजनीति हरविंदर कल्याण के डीएनए में समाई हुई है.बात केवल यही तक सीमित नहीं है अपितु इनकी धर्मपत्नी श्रीमती रेशमा कल्याण भी महाराष्ट्र के प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार से है व इनकी इकलौती पुत्री ऐषना की शादी भी महाराष्ट्र के राजनीतिक परिवार में हुई है. इनकी धर्मपत्नी श्रीमती रेशमा के पिताजी मनोहर राजूसिंह नाइक महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के एक प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय राजनीतिज्ञ हैं.नाइक परिवार ने 1952 से पुसाद (Pusad -विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) निरंतर विजय प्राप्त की है  और मनोहर नाइक 1995 से 1999, 2004-2009, 2009-2014, और 2014-2019 तक चुनाव जीत चुके हैं और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी चुके हैं. वे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक के भतीजे और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुधाकरराव नाइक के भाई हैं.हमारे कहने का अभिप्राय यह है कि कल्याण को अपनी धर्मपत्नीऔर बेटी का समर्पित सहयोग राजनीति में सक्रिय रूप में प्राप्त है.

निजी जीवन

हरविंद्र सिंह कल्याण (जन्म 15 जनवरी 1967) करनाल जिले के पुलिस ट्रेनिंग,कॉलेज मधुबन के पास कुटैल गांव में चौ. देवी सिंह कल्याण (हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड -हरियाणा सरकार- के पूर्व अध्यक्ष) के घर हुआ वह इस समय हरियाणा विधानसभा के घरौंडा निर्वाचन क्षेत्र (करनाल जिला )का प्रतिनिधित्व करते हैं. सन् 1985 में, हरविंद्र सिंह कल्याण ने महाराष्ट्र के पुसाद (यवतमाल जिला) शहर से बाबासाहेब नाइक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुसाद (बीएनसीओई, पुसाद–Pusad -) से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (सिविल इंजीनियरिंग) की डिग्री के लिए दाखिला लिया और  बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (सिविल इंजीनियरिंग) की डिग्री ग्रहण की. यद्यपि शिक्षा से   सिविल इंजीनियर हैं ,परंतु राजनीति में सोशल इंजीनियरिंग के करनाल जिले के प्रसिद्ध हस्ताक्षर हैं. कल्याण विराट व्यक्तित्व के धनी हैं. इनका व्यक्तित्व आकर्षक,हंसमुख और चुंबकीय है.स्वभाव से बहुत सज्जन,ईमानदारऔर लोकप्रिय है. मेरी उनके साथ अनेक राजनीतिक मामलों पर   बातचीत हुई है जिससे स्पष्ट लगता है कि वह वास्तव में राजनीति व्यवसाय के लिए नहीं अपितु जन कल्याण के लिए करते हैं. उनकी तीन बार(सन्2014,सन्2019 व सन्2024) चुनावी विजय इस बात को सिद्ध करती है.

हरविंद्र सिंह कल्याण का राजनीतिक सफर

हरविंद्र सिंह कल्याण का राजनीतिक सफर यूथ कांग्रेस से प्रारंभ हुआ. राजनीतिक जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मुख्य शर्त यह है कि राजनेता को अपने चुनाव क्षेत्र की जनता की समस्याओं और लोगों की जानकारी होनी चाहिए. कल्याण ने इस जानकारी को प्राप्त करने के लिए सन् 2004 में 104 गांवों की पदयात्रा की व आम आदमी से सम्पर्क स्थापित किय़ा. घरौंडा चुनाव क्षेत्र में इस समय 108 गांव और 250 पोलिंग बूथ हैं. कल्याण को अपने चुनाव क्षेत्र के गढी खजूर से हसनपुर अथवा खोरा खेड़ी  तक प्रत्येक गांव की सम्पूर्ण जानकारी है. वह निरंतर गांवों का दौरा करते रहते हैं. सन् 2009 में बहुजन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. परंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई.लकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और निरंतर जनसंपर्क जारी रखा.परिणाम स्वरूप सन् 2014, सन् 2019औरसन् 2024में वह भारतीय जनता पार्टी   के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत गए.

हरविंद्र सिंह कल्याण की सफलता : गैर -सरकारी संगठन–  वरित्र की भूमिका  

 हरविंद्र सिंह कल्याण की सफलता के पीछे गैर -सरकारी संगठन –वरित्र(Varittra ) की भूमिका भी है  . सन् 2018 में उनकी बेटी ऐषणा तथा बलजीत यादव के द्वारा –‘वरित्र’ की स्थापना  की गई .यह दोनों इस संगठन के संस्थापक डायरेक्टर हैं . ऐषणा ने इंग्लैंड से डेवलपमेंटल स्टडीज में अध्ययन किया है तथा बलजीत यादव ने टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज मुंबई   से सोशल वेलफेयर में अध्ययन किया है. यह दोनों इस संगठन को बखूबी समाज कल्याण के लिए चला रहे हैं. लेखक इस संगठन के वरिष्ठ मानद डायरेक्टर हैं. इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सरकारी स्कूलों में सुधार करना , पुस्तकालयों की स्थापना करना,   शाम के समय बच्चों के लिए कोचिंग क्लासेज़ चलना , और महिला सशक्तिकरण व आत्मनिर्भर बनाना है . सन् 2018 से सन् 2024 तक इस संगठन के द्वारा घरौंडा चुनाव क्षेत्र के 20 से अधिक स्कूलों में पुस्तकालयों की स्थापना की है और चित्रों के माध्यम से स्कूलों का सौंदर्यकरण करके विद्यार्थियों को समझने का प्रयास किया है. छुट्टी के बाद शाम को निशुल्क कोचिंग क्लासेज़ लगाई जाती है तथा बच्चों को पढ़ाने के लिए गांव के शिक्षित युवाओं और युवतियों की भर्ती की जाती है इनको योग्यतानुसार मानदेय भी दिया जाता है. यह वचित्र  किंतु सत्य यह है कि इस समय ग्रामीण क्षेत्र में भी ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट युवक और युवतियां बेरोजगार हैं. घरौंडा चुनाव क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण व आत्मनिर्भरता हेतु 100 सिलाई केंद्रों में 1,000 से अधिक महिलाएं सिलाई सीख चुकी है अथवा सिलाई सीख रही है .केवल यही नहीं अपितु सन् 2023 –सन् 2024 में 13,000 से अधिक बच्चों की आंखों का नेत्र विशेषज्ञों के द्वारा परीक्षण करवाया जा चुका है तथा 1,000 से अधिक बच्चों में मुफ्त चश्मे बांटे गए .इन केंद्रों  में वार्षिक सम्मेलन में किए जाते हैं जिनमें आसपास के गांव के लोगों को भी आमंत्रित किया जाता है. परिणाम स्वरुप इन केंद्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक चेतना भी इलाके फैलती है. वरित्र विभिन्नता में एकता के आधार पर धर्मनिरपेक्षता का प्रचार करता है. इससे हरविंद्र सिंह कल्याण की पुत्री समाज में चर्चित चेहरा है. लाखों रुपए महीने की मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर इस कार्य में संलग्न रहना एक मान और सम्मान की बात है.निर्वाचन के समय  उनकी पुत्री की अग्रणीय भूमिका रहती है . मेरा राजनेताओं से अनुरोध है कि वह अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में गैर -सरकारी संगठनों के द्वारा जनहित के कार्य करें ताकि उनकी लोगों के दिलों में पैंठ बन सके.

हरविंद्र सिंह कल्याण की मुख्य प्राथमिकताएं:

हरविंद्र सिंह कल्याण विधानसभा को ‘लोकतंत्र का मंदिर ‘मानते हैं . सन 2014 से सन 2024 तक वह विधानसभा के सदस्य होने के कारण उन्हें संसदीय प्रणाली के नियमों का अत्यधिक ज्ञान प्राप्त है .परिणाम स्वरुप उम्मीद की  जाती है कि वह निष्पक्ष रूप से कार्य करेंगे और उन्होंने यह वादा भी किया है कि वह सभी विधायकों को बोलने का अवसर प्रदान करेंगे. उनकी प्रथम, प्राथमिकता विधानसभा के सदस्यों के लिए ओरिएंटेशन क्लास और वर्कशॉप लगाना है ताकि नवनिर्वाचित 40 विधायकों को संसदीय प्रणाली की जानकारी और विधानसभा के नियमों से अवगत कराया जा सके, दूसरी ,प्राथमिकता हरियाणा विधानसभा के नए भवन का निर्माण करवाना है क्योंकि बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ विधानसभा के सदस्यों की संख्या भी बढ़ेगी और वर्तमान विधानसभा उसके लिए छोटी रहती है. तीसरी, प्राथमिकता यह है कि वह करनाल जिले में और विशेष तौर से अपने चुनाव क्षेत्र में अधिक से अधिक  योजनाएं लाने का प्रयास करेंगे ताकि युवा वर्ग को रोजगार प्राप्त हो सके . परंतु उनके सम्मुख सर्वाधिक महत्वपूर्ण चुनौती विधानसभा के सदस्यों को नियमित और अनुशासित करना है. अंततः हमारी मनोकामना है कि हरविंद्र सिंह कल्याण जन भावनाओं पर खरा उतरेंगे तथा स्पीकर के पद की गरिमा को बढ़ाएंगे.

डॉ. रामजीलाल, सामाजिक वैज्ञानिकपूर्व प्राचार्यदयाल सिंह कॉलेजकरनाल (हरियाणा-भारत)
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