राजनीतिक विरोधियों और समुदाय विशेष को निशाना बनाना अनुचित
संभल घटना की सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में कराए जांच
लखनऊ, (समाज वीकली) ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने संभल में पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही और 5 लोगों की मौत की कड़ी निंदा की है। एआईपीएफ की राष्ट्रीय कार्यसमिति द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि यह पूरी घटना सरकार के आपराधिक षडयंत्र का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश सरकार को बताना चाहिए कि जब न्यायालय के आदेश पर मंगलवार को ही मस्जिद में सर्वे का काम हो चुका था तो 24 नवंबर को दोबारा सर्वे क्यों शुरू किया गया, साथ ही पुलिस एक बड़ा हजूम लेकर मस्जिद में क्यों पहुंची ?
एआईपीएफ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों और समुदाय विशेष को निशाना बनाने में लगी हुई है। प्रदेश में हालत यह है कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए सवालों को हल करने की बजाय उनके ऊपर भी मुकदमे कायम करके उन्हें जेल भेजा जा रहा है। प्रदेश में कानून का राज खत्म हो गया है और पुलिस प्रशासन का तानाशाहीपूर्ण मनमर्जी का शासन चल रहा है। हाल में हुए उपचुनाव में ही लोगों ने देखा है कि कैसे पुलिस प्रशासन के लोग समुदाय विशेष के लोगों को वोट तक डालने नहीं दे रहे थे और मतदान को प्रभावित किया गया। प्रदेश में कानून के राज के खत्म होने से जो हालात बने हैं इसमें सुप्रीम कोर्ट को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और अपनी निगरानी में संभल घटना की संपूर्ण जांच करानी चाहिए, वहां जारी दमन और उत्पीड़न पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए। एआईपीएफ ने कहा है कि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को सुनिश्चित करना चाहिए कि संसद द्वारा बने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का उल्लंघन न हो। गौरतलब है कि इस एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि 15 अगस्त 1947 में जो स्थितियां पूजा गृह की थीं, उन्हें वैसे ही रखा जाएगा।
एआईपीएफ राष्ट्रीय कार्यसमिति की तरफ से
एस. आर. दारापुरी
राष्ट्रीय अध्यक्ष
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट।