लखनऊ (समाज वीकली)- उत्तर प्रदेश के अंदर रोजगार के सवाल पर एक संगठित आंदोलन खड़ा करने के लिए गठित छात्र -युवा रोजगार अधिकार मोर्चा की बैठक विधानसभा के सामने डीवाईएफआई कार्यालय लखनऊ में हुई.
इस मीटिंग में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक यूथ ऑर्गेनाइजेशन (AIDYO), ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन (AIYF), डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन आफ इंडिया(DYFI), रिवॉल्यूशनरी यूथ एसोसिएशन(RYA), ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (AIDSO), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन( AISA), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन(AISF), इंकलाबी छात्र मोर्चा (ICM), स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया(SFI), विद्यार्थी युवजन सभा, यूथ फॉर स्वराज, नौजवान भारत सभा, राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच, भारत नौजवान एकता मंच युवा शक्ति संगठन, समाजवादी युवजन सभा, शिक्षक भर्ती न्याय मोर्चा के पदाधिकारी व शिक्षक भर्ती समेत कई आंदोलन के छात्र शामिल हुए.
बैठक से जारी छात्र – युवा रोजगार अधिकर मोर्चा की अपील
दो करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने की लुभावने वादे के साथ वर्तमान भाजपा सरकार 2019 में सत्ता में पुनः काबिज़ होते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य , रेल, डाक आदि क्षेत्रों में निजीकरण का रास्ता पूरी तरह से देश के उद्योगपतियों के लिए खोल दिया है।
रेल सुधार के नाम पर वर्तमान भाजपा सरकार, जो रेलवे क्षेत्र देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोज़गार देता है, रेलवे कर्मचारियों की जबरन छटनी कर व लाखों- लाख पद को ख़त्म कर इस बड़े सरकारी क्षेत्र को निजी हाथों में सौंप कर इस क्षेत्र में भयंकर सरकारी रोजगार का संकट पैदा कर रही है। 2019 लोकसभा चुनाव से पूर्व रेलवे भर्ती का आवेदन निकाला गया जिसमें देश के 02करोड़ 42लाख लोगों ने रुपए 500 की भारी फीस देकर आवेदन किया लेकिन उनकी नियुक्ति अभी तक नही हो पाई, देश की गरीब जनता को नौकरी के नाम पर लूटने का कुत्सित कृत्य लगातार जारी है। इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी पीछे नही है, पिछले 4 साल में खुद आवेदन निकाल कर एक लाख भी सरकारी नौकरी न देने वाली सरकार प्रदेश की जनता के बीच रोजगार देने में अव्वल होने के ढोंग का प्रचार जोर- शोर से कर रही है।
बड़े प्रशासनिक सुधार के नाम पर प्रदेश सरकार क्लोजर मर्जर नीति के तहत 10,000 प्राथमिक विद्यालय को बंद करने व सिंचाई विभाग में 10,000 पदों को समाप्त करने के साथ ही 95 विभागों को 54 विभागों में समाहित करने व समूह ग की भर्ती में 05 साल संविदा तथा नियुक्ति पाने की अधिकतम उम्र 40 वर्ष से घटाकर 30 वर्ष करने की योजना लागू कर प्रदेश के सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के लाखों पदों को समाप्त करने की योजना तैयार कर रही है, जिससे प्रदेश में सरकारी क्षेत्रों में रोजगार पाने का संकट और भी गहरा हो जायेगा। राजकीय डिग्री कॉलेजों को विश्वविद्यालयों को सौंपकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है और इन क्षेत्रों में स्थाई पदों को समाप्त कर ठेका-संविदा के आधार पर रोजगार देने का रास्ता खोल रही है।
उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस 24 जनवरी के अवसर पर ‘उद्यम सारथी ’ ऐप लांच कर प्रदेश की योगी सरकार दावा कर रही है कि वह प्रदेश के नौजवानों को रोजगार के खूब अवसर उपलब्ध करा रही है. इसके तहत रोजगार के नाम पर स्वरोजगार करने के लिए कर्ज उपलब्ध कराने की बात सरकार बोल रही है इस बात से ये स्पष्ट है कि सरकार स्थाई सम्मानजनक रोजगार देने के बजाय कर्ज देने को ही रोजगार देने के रूप में प्रचारित कर रही है।
योगी सरकार द्वारा नियुक्ति पत्र बाँटने का दिखावा व भ्रष्टाचार खत्म कर पारदर्शिता के तमाम दावों के बावजूद प्रदेश के सभी आयोगों, बोर्डों में न सिर्फ नौकरियां कम हुई है बल्कि परीक्षाओं में अनियमितता, भ्रष्टाचार व समुचित आरक्षण का न मिलना आम बात होती जा रही है। सभी संस्थाएं समय से परीक्षा,परिणाम व नियुक्ति देने में अक्षम हो गई है । यूपीएसएसएससी भर्तियों की संख्या के लिहाज से प्रदेश का सबसे बड़ा आयोग है। पिछली सरकार में लंबित 22 से अधिक भर्तियां अभी तक अधर में हैं। योगी सरकार द्वारा विज्ञापित की गई एक भी भर्ती इस आयोग द्वारा अभी तक पूरी नहीं की गई है। पीईटी (PET) के नाम पर भर्तियों को लटकाने व नौजवानों को अयोग्य साबित करने का कुत्सित काम जारी है।
प्रधानमंत्री महोदय छह माह में नियुक्ति देने की बात करते हैं लेकिन छह साल में भी नियुक्ति पूरी होती नहीं दिखाई देती। भर्तियों को पूरा न करना, भर्तियों में भ्रष्टाचार,आरक्षण में अनियमितता,न्यायालय में मामला लंबित होने की झलक विडिओ भर्ती, एसएससी (SSC ) में नार्मलाइजेशन ,एलटी,यूपीपी व दरोगा, 69000 शिक्षक भर्ती मामला आदि. इन हालात से नौजवान ठगे से महसूस कर रहे हैं। आज सरकार मेडिकल के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा नीट (NEET )हो व ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर लेटरल एंट्री के द्वारा नियुक्ति कर लोकसेवा आयोग की स्वायत्तता व संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था खत्म कर रही है, जो संस्था के साथ संविधान पर चोट है. उ. प्र. की राजधानी लखनऊ में रोजग़ार की मांग कर रहे नौजवानों को गाली, लाठी और जेल में डालकर कैरियर बर्बाद करने की धमकी मिल रही है. नौकरी पाने का दबाव इतना बढ़ रहा है कि नौजवान आत्महत्या करने पर मज़बूर है।
शिक्षा के निजीकरण, व्यापारीकरण, व्यवसायीकरण व सांप्रदायिकरण का ब्लूप्रिंट राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP -20) का आधार प्रधानमंत्री का सबसे मशहूर जुमला “आत्मनिर्भर” होने का है यानि सरकार शिक्षा के खर्च की मूलभूत जिम्मेदारी उठाने के बजाय शिक्षा को निजी क्षेत्रों के हवाले, निजी तथा सार्वजनिक-परोपकार की साझेदारी के नाम पर सौंप रही है। NEP-20 निजी कंपनियों और सरकार को सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए उनको जवाबदेह नहीं ठहराती है। इससे सामाजिक एवं आर्थिक रूप से हाशिए पर रह रहे जन समुदायों को प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इस शिक्षा नीति से समावेशी, समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का सवाल ही गायब हो जायेगा। अतः सही इंसान बनने की प्रक्रिया को बाधित करने वाली इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को अविलंब रद्द की जाय। आज महिलाओं, गरीबों, आदिवासियों व शोषितजन के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य , सुरक्षा व अपने अधिकार पाने के विषय में सोचना – बोलना अपराध हो चुका है।
कोरोना महामारी काल में जब पूरे देश की अर्थव्यवस्था बदहाल हो गई तो आपदा को अवसर बनाने की कुत्सित कला दिखाते हुए देश के 100 धन्नासेठों की संपत्ति में 14 प्रतिशत वृद्धि हुई है. इस कमाई वृद्धि में अकेले मोदी के चहेते मुकेश अंबानी की संपत्ति में वृद्धि का हिस्सा 73 प्रतिशत है, जिसने कोरोना काल में 37.3 बिलियन यानी 373 अरब रूपये अपनी कमाई में जोड़े हैं.
देश के 63 अरबपतियों के पास 2018-19 के 24,42,200 करोड़ रूपए के आम बजट की तुलना में अधिक संपत्ति है. ऑक्सफैम इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ बेहर ने कहा, हमारी अक्षम अर्थव्यवस्थाएं आम लोगों की कीमत पर अरबपतियों और बड़ी कंपनियों की जेबें भर रही हैं. अगर 01 प्रतिशत सर्वोत्तम धनिकों पर आधा फीसदी अतिरिक्त कर लगा दिया जाय तो अगले 10 वर्षों में 11 करोड़ 70 लाख नौकरियां पैदा होगी. इस तरह सरकार 01ः टैक्स बढ़ाकर नौजवानों को रोजगार दे सकती है, जब तक रोजगार न दे सके तब तक सरकार रु.10,000/माह बेरोजगारी भत्ता देने की गारंटी करे.
आज जब किसान विरोधी कानून रद्द कराने, देश बचाने के लिए किसान आंदोलन संघर्ष की नई मिसाल कायम किया है. किसान आंदोलन से प्रेरणा लेते हुए रोजगार अधिकार आंदोलन को तेज करने के लिए कई छात्र -युवा संगठनों ने मिलकर छात्र-युवा रोजगार अधिकार मोर्चा का गठन किया है।आंकड़ों में मत उलझाओ, रोजगार कहाँ है ये बतलाओ!, सम्मानजनक रोजग़ार नहीं तो, प्रतिमाह 10000रूपये भत्ता दो ! उत्तर प्रदेश में रिक्त पड़े 25 लाख पदों को शीघ्र भरो, हर जिले में बंद पड़े फैक्ट्रियों, कारखानों को चालू कर नौजवानों को रोजगार दो. की मांग के साथ चल रहे अभियान का हिस्सा बनें। ‘छात्र- युवा रोजगार अधिकार मोर्चा’ उत्तर प्रदेश के सभी छात्रों- नौजवानो से अपील करता है कि रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने हेतु प्रदेशव्यापी जन आन्दोलन खड़ा करने के संघर्ष में जुड़कर इस अभियान को मज़बूत करें।
बैठक से उत्तर प्रदेश में चल रहे नौजवानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए उनकी मांगों को तत्काल पूरा करने, मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में आरक्षण खत्म करने का विरोध करते हुए ओबीसी आरक्षण लागू करने का प्रस्ताव पारित किया गया.
मीटिंग में नीरज यादव, हरिशंकर, शैलेश कुमार, विवेक कुमार, राकेश सिंह, ज्योति राय, अजीत कुमार,सागर यादव, राजीव यादव, लालचंद, रामसागर, शशांक शेखर सिंह, शिवम सफीर, आयुष श्रीवास्तव, पुष्कर पाल, उदय भान चौधरी, शाइस्ता जमाल वारसी, यादवेंद्र, गायत्री मोदनवाल, वीरेंद्र त्रिपाठी, आदर्श शाही, रोबिन सिंह, अतुल कुमार, तुषार, निखिल, निखत, ज्योति यादव, प्रदीप कुमार, राजीव गुप्ता, शामिल रहें. संचालन छात्र -युवा रोजगार अधिकार मोर्चा के संयोजक सुनील मौर्य ने किया.