अंबेडकर भवन में हुआ जागरूकता सेमिनार

अंबेडकर भवन ट्रस्ट और अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) के पदाधिकारी एडवोकेट महमूद प्राचा, डॉ. रितु सिंह और आशुतोष सिंह को सम्मानित करते हुए।

अंबेडकर भवन में हुआ जागरूकता सेमिनार
उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव चिंताजनक घटना – एडवोकेट प्राचा
हम आत्महत्या नहीं करेंगे, अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे – डॉ. रितु सिंह

जालंधर (समाज वीकली): ‘मिशन सेव कॉन्स्टिट्यूशन’ की पंजाब इकाई द्वारा अंबेडकर भवन, डॉ. अंबेडकर मार्ग, जालंधर में जागरूकता कार्यक्रम के तहत ‘उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रीय संयोजक महमूद प्राचा, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट, डाॅ. रितु सिंह, सहायक प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय और संयोजक पंजाब इकाई, भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन के अध्यक्ष आशुतोष सिंह बौद्ध, कानून के छात्र, दिल्ली विश्वविद्यालय ने भाग लिया। अंबेडकर भवन के खचाखच भरे रमाबाई अंबेडकर मेमोरियल हॉल में पंजाब भर से आए बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए आशुतोष सिंह ने कहा कि बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर जी से जुड़े इस ऐतिहासिक स्थान को नमन करने पर इस सत्य का अहसास होता है कि 27 अक्टूबर 1951 को विश्व के महान चिंतक डाॅ. अंबेडकर ने ‘भारत में लोकतंत्र का भविष्य’ विषय पर बोलते हुए भारतीय लोकतंत्र के खतरों के प्रति आगाह किया था और कुछ शंकाएं व्यक्त की थीं, वे आज स्पष्ट रूप से सामने आ रही हैं। आज नायक पूजा, शैक्षणिक एवं सरकारी संस्थानों में पूंजीपतियों का सीधा हस्तक्षेप, चुनावों में धन एवं बल का अत्यधिक प्रयोग, भ्रष्टाचार, दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों एवं पिछड़ी जातियों पर अत्याचार, वोट के प्रयोग के प्रति जागरूकता की कमी ने भारतीय लोकतंत्र को किस हद तक बदल दिया है, एक अधिनायकवादी राज्य की ओर धकेल दिया गया।

पंजाब इकाई के संयोजक, पिछड़े एवं गरीब छात्रों एवं शिक्षकों के साथ हो रहे जातिगत भेदभाव एवं अन्याय के खिलाफ बुलंद आवाज एवं कई वर्षों तक लगातार संघर्षरत, जुझारू, बौद्धिक विद्वान डाॅ. रितु सिंह ने अपने संबोधन में उपस्थित लोगों को सचेत किया और दौलत राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्य एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रोफेसरों की नियुक्तियों को लेकर की गई मनमानी एवं घोटालों के बारे में विस्तार से चर्चा की। याद रहे कि पीड़ित शिक्षकों के पक्ष में आवाज उठाने के कारण दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डाॅ. रितु सिंह को सहायक प्रोफेस्सर पद से हटा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट डॉ. महमूद प्राचा के नेतृत्व में डा. रितु सिंह ने लंबा संघर्ष किया और जीत हासिल की. लेकिन अब यह संपूर्ण दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के संघर्ष का प्रतीक बन गया है। पीड़ितों और पीड़ितों के लिए ‘रोल मॉडल’ बन गए डॉ. रितु ने मानवतावादियों की असंवैधानिक कूटनीतिक रणनीति से पीड़ित और निराश होकर उनके खिलाफ लड़ने की बजाय, मरने की बजाय ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं’ के नारे से ताकत हासिल कर उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अगर दबे-कुचले लोगों के हक के लिए बोलना और उनके हक के लिए लड़ना गुनाह है तो मैं ये गुनाह बार-बार करूंगी। डॉ. रितु सिंह ने बुलंद आवाज में कहा कि मैं मरूंगी नहीं, मैं आत्हत्या नहीं करूंगी, मुझे अन्याय के खिलाफ लड़ना है। सेमिनार के अंतिम चरण में मंच संचालन कर रहे डाॅ. कौल ने जब इस चेतना आंदोलन के प्रमुख समर्थक महमूद प्राचा से उनके भाषण का उत्सुकता से इंतजार कर रहे दर्शकों से रूबरू होने का अनुरोध किया, तो हॉल में उत्सुक चुप्पी व शांति छा गई। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एडवोकेट प्राचा ने लोकतंत्र और भारतीय संविधान का बारीकी और सूक्ष्मता से विश्लेषण किया और कहा कि संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर बेहद गंभीर व्यक्ति थे। उन्होंने सर्वोत्तम संविधान का निर्माण कर पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कहा कि भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव एक चिंताजनक घटना है। डॉ. अम्बेडकर द्वारा दलितों, पिछड़ों, उत्पीड़ित और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए बनाये गये संवैधानिक प्रावधानों को लटका दिया गया है। अपने आप को श्रेष्ठ कहने वाले 10 प्रतिशत लोगों ने देश के सभी संसाधनों और सार्वजनिक संस्थानों पर कब्ज़ा करके देश को हाईजैक कर लिया है। एडवोकेट प्राचा ने कहा कि युवा पीढ़ी एवं विद्यार्थी डाॅ. रितु सिंह की तरह साहसी, बहादुर और जुझारू होने के नाते संविधान में निहित डाॅ. अंबेडकर की विचारधारा को बचाने की जरूरत है। हमारी एक ही मांग है कि देश में संविधान सही मायने में लागू हो. हमारा आंदोलन संविधान बचाने के लिए है। संविधान बचेगा तभी हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा। इस मौके पर एडवोकेट प्राचा ने भारत में चल रहे तीन प्रमुख आंदोलनों, संविधान बचाओ, ईवीएम से चुनाव का विरोध और किसान संघर्ष का पुरजोर समर्थन करने की अपील की।

मैडम करमजीत कौर सेवानिवृत्त डीपीआई (कॉलेजों) ने अपने संबोधन में कहा कि आज उच्च शिक्षण संस्थानों में बड़े पैमाने पर दलित छात्रों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। सरकार या प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. अंबेडकर भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री सोहन लाल सेवानिवृत्त डीपीआई (कॉलेजों) ने दिल्ली के बौद्धिक विचारकों और जुझारू साथियों सहित पूरे पंजाब से आए दर्शकों को धन्यवाद दिया और इस बात पर जोर दिया कि विद्यार्थी वर्ग एवं युवा पीढ़ी बाबा साहेब के अथक संघर्ष से अवगत रहें, उत्साह एवं जागरूकता बनाये रखें तथा साहस एवं दलेरी के साथ अन्याय का सामना करते हुए आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन ला सकती है।

इस चर्चा में अंबेडकर भवन ट्रस्ट और अंबेडकर मिशन सोसायटी सरब के सदस्य श्री चरण दास संधू, हरमेश जस्सल, डॉ. चरणजीत सिंह, तिलक राज, प्रोफेसर बलबीर, डॉ. महेंद्र संधू, हरभजन निमता, बलदेव राज भारद्वाज, डॉ. राहुल, डॉ. सुभाष, डॉ. थिंद, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. सुरिंदर, तरसेम लाल कौल यूके, हरि राम ओएसडी, प्रभ दयाल रामपुर, प्रदीप राजा (चेतना चैनल), एनआरआई सभा पंजाब की अध्यक्ष मैडम परविंदर कौर बंगा, गौतम, मैडम कविता, अनिल बाघा, मेहर मलिक, एडवोकेट राजिंदर बोपाराय, मंजीत सिंह, डाॅ. संदीप मेहमी, प्रो. अरिंदर सिंह, पिशोरी लाल संधू, मनोहर महे, राम लाल दास, प्रो. अश्विनी जस्सल, नरेंद्र लेख, एमआर सल्लन, ललित कंगनीवाल सहित बड़ी संख्या में साथी मौजूद रहे।

बलदेव राज भारद्वाज
वित्त सचिव
अंबेडकर भवन ट्रस्ट (पंजीकृत), जालंधर

 

 

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