कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खुला पत्र

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया

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#समाज वीकली 

श्री अमित शाह,

सबसे पहले मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ कि आपने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में भाजपा की वास्तविक राय को खुलकर सामने लाकर आखिरकार सच बोला। संसद में आपके बयान (18-12-2024) ने हमें चौंकाया नहीं हम आपकी पार्टी की असली मानसिकता को पहले से ही जानते थे। लेकिन अब,पूरे देश ने भारतीय संविधान के निर्माता के प्रति आपके अनादर को देखा है।उनके संविधान के तहत चलने वाली संसद में खड़े होकर उनकी याद को “आदत” कहना आपके अहंकार को दर्शाता है।बधाई हो, श्री शाह,इस बेशर्मी भरे कृत्य के लिए!

यह कहकर देश को गुमराह करने की कोशिश न करें कि, “बाबासाहेब के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है और मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।” हम भोले नहीं हैं। अपने शब्दों को स्वीकार करें और देश का सामना करें।

हमारे लिए अंबेडकर कोई “फैशन” नहीं बल्कि एक शाश्वत प्रेरणा हैं।जब तक हम सांस लेंगे, जब तक इस धरती पर सूर्य और चंद्रमा चमकते रहेंगे,अंबेडकर की विरासत कायम रहेगी। आप जितना उनकी यादों को मिटाने की कोशिश करेंगे, उतनी ही वे हमें आगे ले जाने के लिए मजबूत होंगी।भले ही आपके चाटुकार आपके अहंकार पर ताली बजा रहे हों,लेकिन याद रखें इस देश में लाखों लोग,जिन्होंने बाबा साहब की वजह से समानता और सम्मान प्राप्त किया है, वे आपकी निंदा कर रहे हैं।

अगर डॉ.अंबेडकर का जन्म नहीं हुआ होता,तो मुझे आज मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य नहीं मिलता- मैं अपने गांव में मवेशी चरा रहा होता हमारे वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे जी AICC का नेतृत्व करने के लिए नहीं उठे होते वे कलबुर्गी में किसी फैक्ट्री में काम कर रहे होते।हम अपनी प्रगति और सम्मान के हर कदम के लिए बाबा साहब और उनके द्वारा दिए गए संविधान के ऋणी हैं।

सिर्फ मैं ही नहीं-अंबेडकर के योगदान के बिना, आप भी आज गृह मंत्री नहीं होते। इसके बजाय, आप अपने गृहनगर में कबाड़ का कारोबार कर रहे होते आपके सहयोगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी भी रेलवे स्टेशन पर चाय बेच रहे होते बाबा साहब के विजन ने ही हम सभी को ऊपर उठाया है।यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री भी इसे स्वीकार कर सकते हैं, और आपको भी ऐसा करना चाहिए।

इतिहास जानने वालों के लिए अंबेडकर के प्रति आपकी नफरत कोई नई बात नहीं है, आपके वैचारिक माता-पिता, आरएसएस ने बाबासाहेब द्वारा उनके जीवनकाल में लिखे गए संविधान को क्यों खारिज कर दिया? ऐतिहासिक अभिलेखों में हेडगेवार, गोलवलकर और सावरकर जैसे आरएसएस नेताओं के संविधान के खिलाफ बयान दर्ज हैं।आप इन सच्चाइयों को दबाने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन उन्हें मिटाया नहीं जा सकता, संसद में आपकी टिप्पणी उस लंबे समय से चली आ रही आरएसएस विचारधारा का ही विस्तार है।

मुझे आपके लहजे में जवाब देने दें।आपकी पार्टी और उसके वैचारिक परिवार ने अब “मोदी…मोदी…मोदी” जपने का फैशन विकसित कर लिया है।अगर आप मोदी का नाम जितनी बार जपते हैं, उतनी बार भगवान का नाम भी लेते, तो शायद आपको सात जन्मों के लिए नहीं, बल्कि सौ जन्मों के लिए स्वर्ग में जगह मिल जाती,शायद सत्ता से चिपके रहने के लिए किए गए आपके पाप भी माफ़ हो जाते….।

सादर,
सिद्धारमैया
मुख्यमंत्री, कर्नाटक

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