मानव कल्याण हेतु डॉ. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया – भंते दर्शनदीप महाथेरो

डॉ. अंबेडकर ने अछूतों को वास्तविक आजादी दी – डॉ. विरदी

जालंधर (समाज वीकली) अंबेडकर मिशन सोसाइटी पंजाब (रजि.) द्वारा अंबेडकर भवन ट्रस्ट (रजि.) और अखिल भारतीय समता सैनिक दल, पंजाब इकाई के सहयोग से 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में डॉ. अंबेडकर ने  हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने की ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण घटना को समर्पित ‘धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस’ पंजाब की ऐतिहासिक भूमि अंबेडकर भवन में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर पंजाब के महत्वपूर्ण बौद्ध केंद्र तक्षशिला महा बुद्ध विहार, लुधियाना के भिक्खु संघ के प्रमुख विद्वान भंते दर्शनदीप महाथेरो और भंते प्रज्ञा बोधि थेरो ने त्रिशरण पाठ के बाद धमदेशना दी। भंते दर्शनदीप महाथेरो ने उद्बोधन देते हुए कहा कि  68 साल पहले वर्ण और जाति व्यवस्था पर आधारित हिंदू धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म अपनाने के डॉ. अंबेडकर के फैसले का उद्देश्य समानता, स्वतंत्रता और समुदाय पर आधारित भारतीय समाज का निर्माण करना था। यह मानव कल्याण के लिए उनके द्वारा की गई एक महान पहल थी। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ब्रिटेन की प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘फेडरेशन ऑफ अंबेडक्राइट एंड बुद्धिस्ट ऑर्गेनाइजेशनज़  (एफएबीओ)’ के संयोजक डॉ. हरबंस विरदी ने कहा कि 1947 की राजनीतिक आजादी के बाद 14 अक्टूबर 1956 को लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना कर  डॉ. अंबेडकर ने सदियों से मानसिक रूप से गुलाम बने अछूतों को हिंदू धार्मिक ग्रंथों की आज्ञाओं और प्रतिबंधों से मुक्त करके वास्तविक स्वतंत्रता प्रदान की। डॉ. विरदी ने श्री लाहौरी राम बाली जी के नेतृत्व में लगभग 70 वर्षों तक अंबेडकर भवन द्वारा अंबेडकर विचारधारा के प्रचार-प्रसार में किये गये योगदान की सराहना की। इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ. हरबंस विरदी के अलावा अंबेडकर भवन ट्रस्ट के चेयरमैन सोहन लाल, सोसायटी के संरक्षक डॉ. जीसी कौल, अखिल भारतीय समता सैनिक दल के पंजाब इकाई के अध्यक्ष एडवोकेट कुलदीप भट्टी और हिमाचल प्रदेश से आए विशिष्ट अतिथि सुभाष मुसफर ने भी समारोह को संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि समानता, स्वतंत्रता, मित्रता, आपसी प्रेम और न्याय की भावना के तहत समाज की स्थापना करके ही एक सामंजस्यपूर्ण भारतीय समाज की स्थापना की जा सकती है और इस उद्देश्य के लिए बौद्ध धर्म की तार्किक सत्यता अपना विशेष योगदान दे सकती है। आज से 68 साल पहले संवैधानिक नैतिकता और तथागत बुद्ध की विचारधारा ही डॉ. अंबेडकर द्वारा शुरू की गई सांस्कृतिक क्रांति को पुनर्जीवित करके राजनेताओं द्वारा बनाई गई भयानक और विस्फोटक स्थिति से भारत को बचा सकती है। सोसायटी के उपाध्यक्ष प्रोफेसर बलबीर  ने बुद्ध धम्म पर अपने विचार प्रस्तुत कर सभी का धन्यवाद किया तथा मंच संचालन सोसायटी के अध्यक्ष चरण दास संधू ने बखूबी किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि डॉ. हरबंस विरदी (लंदन) द्वारा लिखी गई चार पुस्तकों ‘जात मिटायोगे तां तुहानू मिटाया जावेगा ‘, ‘महानमानव बुद्ध जीवन और संदेश’ (पंजाबी), ‘महानमानव बुद्ध जीवन और संदेश’ (हिंदी) और ‘बोधि किरणां’ के नए संस्करण लोकार्पण किये गए। अंबेडकरी विद्वान गौतम बोध ने ‘बुद्ध धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस’ से संबंधित दुनिया के एक सौ प्रतिष्ठित विद्वानों के शोध प्रबंधों (थीसिस) का एक सेट अंबेडकर भवन ट्रस्ट लाइब्रेरी को प्रस्तुत किया। नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा मार्मिक कविताएँ प्रस्तुत की गईं।मिशनरी पुस्तक स्टॉल विशेष आकर्षण रहे। इस अवसर पर अन्यों के अलावा परमिंदर सिंह खुतन, जसविंदर वरियाणा, बलदेव राज भारद्वाज, तिलकराज, निर्मल बिनजी, महिंदर संधू, राजदूत रमेश चंद्र, चमन चहल यूके, हरमेश जस्सल, प्रोफेसर अरिंदर सिंह, बलदेव राज जस्सल, रूप लाल, डॉ. केएस फुल, कमलशील बाली, मैडम सुदेश कल्याण, मंजू, कविता धांडे, हरि सिंह थिंड, हरि राम ओएसडी, हरभजन निमता, सूरज विरदी, राजेश विरदी, ज्योति प्रकाश, शंकर नवधरे, अवधूत रॉय, राहुल धावने आदि मौजूद थे। यह जानकारी अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने एक प्रेस बयान के माध्यम से दी।

 

 

 

 

बलदेव राज भारद्वाज

महासचिव

अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.)

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