नर्मदा बचाओ आंदोलन

नर्मदा सत्याग्रह

न्याय के लिए नर्मदा सत्याग्रहियों का संकल्प!

विस्थापन और विनाश नहीं, पुनर्वास ही न्यायपूर्ण रास्ता!

17 जून, 2024: 16 जून, मध्य प्रदेश के चिखल्दा के खेड़ा मुहल्ला में नर्मदा बचाओ आंदोलन के सत्याग्रह का दूसरा दिन था। दिन की शुरुआत हमेशा की तरह नर्मदा के लिए प्रार्थना के साथ हुई, साथ ही मानवीय मूल्यों और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के साथ-साथ उनके अधिकारों के लिए भी प्रार्थना की गई।

सेमल्दा की सरस्वती बहन, नर्मदा नगर के भगवान सेप्टा, पिछोड़ी की गौरी बडोले और सीता अवस्या अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठी मेधा दीदी के साथ मिलकर अपना 24 घंटे का क्रमिक उपवास शुरू किया।

कुक्षी के तहसीलदार कलेक्टर का संदेश लेकर आए, जिन्होंने नर्मदा बचाओ आंदोलन के कुछ प्रतिनिधियों को जिला मुख्यालय धार में बातचीत के लिए आमंत्रित किया। आपस में बातचीत के बाद, धरने पर बैठे सभी लोगों ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया। मुकेश भगोरिया और मेधा दीदी ने विनम्रतापूर्वक कलेक्टर को बताया कि यह संभव या स्वीकार्य नहीं होगा क्योंकि सभी मुद्दों पर पहले से ही उनके साथ चर्चा की गई है, लेकिन चर्चा का कोई सकारात्मक निर्णय नहीं  हुआ है, इसलिए उन्होंने अपनी अपेक्षा व्यक्त की कि मुद्दे और मांग एक नहीं बल्कि चार जिलों से संबंधित हैं, और इसलिए, आयुक्त (एनवीडीए) को कलेक्टरों के साथ निर्णायक वार्ता करनी चाहिए।

बड़वानी से निर्वाचित प्रतिनिधि विधायक राजन मंडलोई अपना समर्थन देने के लिए सत्याग्रह में आए। उन्होंने बताया कि उन्होंने घाटी के लोगों के संघर्ष को देखा है, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह एकमात्र तरीका है जिससे हजारों लोगों को पुनर्वास प्राप्त करने में मदद मिली है, और यह सरासर अन्याय है कि हजारों लोग पहले और 2023 में बिना पुनर्वास के डूब का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में उनके द्वारा उठाए गए सवालों का सरकार द्वारा कोई  उत्तर नहीं दिया गया और वो इस मुद्दे को आगामी विधानसभा सत्र में भी उठायेंगे। आदिवासी युवा संगठन के प्रतिनिधियों ने भी अपना  समर्थन जाहिर किया, उन्होंने अपने पूर्वज बिरसा मुंडा, तांतिया भील और अन्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत को भी याद किया, जिन्होंने जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी। महाराष्ट्र के दूर दराज के कई जिलों से भारतीय जीवन पृथ्वीरक्षण चळवळ आंदोलन के लोग उपवास स्थल पर अपना समर्थन देने आए |

आज का दिन नर्मदा में लोगों के संघर्ष की कहानियों, अधिकारों के दावे और गीतों से भरा हुआ था, जो हमारे आंदोलन का एक बड़ा हिस्सा है। महाराष्ट्र के धड़गांव के दो छात्रों ने आंदोलन के समर्थन में  “हम होंगे कामयाब” (हम जीतेंगे) यह गीत गाया। सेंचुरी मिल से रातों-रात बेरोजगार हुए, श्रमिक जनता संघ से जुड़े और रोजगार के अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे श्रमिकों ने भी सरदार सरोवर बांध परियोजना से प्रभावित परिवारों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की | सैकड़ों लोग शामिल हुए जो विभिन्न समुदायों और परियोजना प्रभावित परिवारों की श्रेणियों से थे, जैसे किसान, मवेशी चराने वाले, मछली का व्यवसाय करनेवाले, श्रमिक, आदिवासी और मजदूर, जिन्हें अभी तक पुनर्वास का लाभ नहीं मिला है… दिन का समापन आंदोलन की महिलाओं द्वारा संघर्ष और न्याय की उम्मीद के गीतों को साझा करने के साथ हुआ।

सुशीला नाथकैलाश यादवहरि सोलंकीदेवसिंह तोमरकुवरसिंह नरगावेराहुल यादवमुकेश भगोरियाकमला यादवहेमेंद्र मंडलोईमहेंद्र तोमर

संपर्क: 9755544097 / 9179617513/ 8839295127 / 9174181215

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