सोच

नीतू रानी

(समाज वीकली)

बेटियां बेटों के बराबर है ,हमें  उन्हें उनके अधिकार से वंचित नहीं रखना चाहिए, लड़के और लड़की में कोई फर्क नहीं होना चाहिए और यह फर्क हमें रखना भी नहीं चाहिए, लड़कियों को भी लड़कों जितना ही सम्मान और अधिकार देने चाहिए। इतना कहते हुए  पूरा हाल तालियों की आवाज से गूंज उठा।इतना कहते हुए ,श्रीमती स्मिता बंसल स्टेज पर अपनी कुर्सी पर विराजमान हो गई। स्मिता बंसल जो की महिला मंडल की अध्यक्ष है। आज उन्होंने बेटी बचाओ और नारी सशक्तिकरण पर अपने विचार रखें, जो की बहुत ही सराहनीय थे। सभी उनकी बहुत प्रशंसा कर रहे थे।इस कार्यक्रम में उनका बेटा सुशील और उनकी बहू राधिका भी मौजूद थी जो कि अपनी मां की सोच को देखकर बहुत खुश हो रहे थे। फिर वह सभी कार्यक्रम समाप्त होने पर घर वापस लौट आए, घर आते ही स्मिता ने अपने बेटे सुशील को आदेश दिया कि मैंने  डॉक्टर विजय से बात कर ली है ,कल तुम्हें उनके क्लीनिक जाना है और राधिका की जांच करवानी है ताकि हमें पता चल सके कि हमारे घर को वंश मिलने वाला है या नहीं। क्योंकि हमें पहले लड़का ही चाहिए हमारे परिवार को पोता ही चाहिए पहले। स्मिता के मुंह से यह बात सुनकर उसका बेटा और बहू एक दूसरे की ओर देखने लगे।
नीतू रानी
गणित अध्यापिका 
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