बिहार: कैमूर में आदिवासियों पर हुई गोलीबारी की सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस ने की निंदा

Photo Credits: Twitter/CJP/YouTube
(समाज वीकली)
सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने आदिवासी समुदाय के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर बिहार पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी की निंदा की है। बिहार पुलिस की इस कार्रवाई में तीन प्रदर्शनकारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। यह घटना 10 और 11 सितंबर को कैमूर जिले के अधौरा ब्लॉक में हुई थी। इसके साथ ही कैमूर मुक्ति मोर्चा से जुड़े आधा दर्जन से अधिक आदिवासी कार्यकर्ताओं गलत तरीके से गिरफ्तार भी किया गया है।
दरअसल, कैमूर मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने जल, जंगल और जमीन पर कानूनी अधिकार की मांग के लिए 10 और 11 सितंबर को धरना-प्रदर्शन किया था। लेकिन पुलिस प्रशासन और वन विभाग ने उनकी मांगों को नहीं सुना। अपनी आवाज को उन तक पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं ने प्रतीकात्मक तरीके से वन विभाग के गेट पर ताला लगा दिया। लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के बजाय पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और गोलियां भी चलाईं। पुलिस ने कैमूर मुक्ति मोर्चा के कार्यालय — डॉ. विनयन आश्रम — पर हमला किया और ताले तोड़ दिए।
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इस घटना में सराय नर, बरकट्टा और चफना के तीन लोग घायल हुए हैं जबकि कैमूर मुक्ति मोर्चा के आधा दर्जन से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए हैं। पुलिस ने कैमूर मुक्ति मोर्चा कार्यालय के ताले भी तोड़ दिए और वहां छापेमारी की।
अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी संघ, बुंदेलखंड दलित आदिवासी अधिकार अभियान, कैमूर मजदूर किसान महिला संघर्ष समिति और थारू आदिवासी महिला किसान मजदूर मंच के साथ सीजेपी भी बिहार पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा करती है और कहती है, ”अपने अधिकारों की मांग कर रहे दलितों और आदिवासियों पर गोलीबारी करना एक क्रूर कार्रवाई के साथ-साथ संविधान का उल्लंघन भी है।”
उल्लेखनीय है कि सीजेपी एक मानवाधिकार आंदोलन है जो सभी भारतीयों की स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों को कायम रखने और बचाव करने के लिए समर्पित है। वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता अनिल धारकर सीजेपी के अध्यक्ष हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित मानवाधिकार रक्षक तीस्ता सेतलवाड़ इसकी सचिव हैं।
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