(Samaj Weekly)
– Vidya Bhushan Rawat
A wide ranging conversation with author, editor, activist Ramji Yadav ji on the current socio-cultural and political conditions in the Hindi heartland particularly Uttar Pradesh and Bihar. Where does our literature stand. The state of our media, our social movements and why political parties remain silent on major issues. A lot of ideas and food for thought. Though there were some technical glitches, I hope you will find time to listen to this conversation and respond to us.
श्री रामजी यादव, हिंदी भाषी क्षेत्र मे साहित्य जगत मे जाना पहचाना नाम है. इस सम्वाद मे उन्होने समा, साहित्य, मीडिया, सामाजिक अंदोलनो, संस्कृति के प्रश्नो पर अपनी बेबाक राय रखी है जिन पर व्यापक बहस होनी चाहिये ताके उत्तर भारत मे बहुजन आंदोलन ने केवल राजनैतिक तौर पर मज़बूत बने लेकिन ये कार्य मज़बूत बहुजन सांस्कृतिक और साहित्यक आंदोलन के बगैर नही सम्भव है. बहुजन राजनीति को बहुजन सांस्कृतिक और साहित्यिक अंदोलन से सम्वाद करना होगा तभी वे सफल हो पायेगे. तकनीके की सम्सयाओ के बावजूद ये बहुत अच्छा सम्वाद रहा और उम्मीद है के आप इसे सुनने का समय निकाल पायेंगे और अपनी राय से हमे अवगत करवायेंगे.
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