समता सैनिक दल ने श्रम कानूनों में बदलाव का किया कड़ा विरोध

प्रदेश अध्यक्ष जसविंदर वरियाणा

 

जालंधर (समाज वीकली): आल इंडिया समता सैनिक दल (रजि.), पंजाब इकाई के प्रदेश अध्यक्ष जसविंदर वरियाणा ने एक प्रेस बयान में कहा कि दूसरे विश्व युद्ध में बाबा साहिब अंबेडकर वॉयसरॉय एग्जीक्यूटिव कौंसिल परिषद के जुलाई 1942 से 1946 तक लेबर मेंबर थे. उन् दिनों बर्तानियाँ के तत्कालीन प्रधान मंत्री सर विंस्टन चर्चिल के साथ उंनका मज़दूरों की भलाई और सुरक्षा की बाबत झगड़ा हुआ. तो भी उनहोंने मज़दूरों की भलाई और सुरक्षा के लिए निम्नलिखत कानून बनाये जो इस प्रकार हैं:

(1). कोयला खानों में औरतों से भूमिगत जगहों पर भी काम करवाया जाता था. डा. आंबेडकर ने इस पर पाबन्दी लगाई. औरतों के लिए ना ना प्रकार  की सुविधाओं का प्रबंध किया. कोयला खानों सम्बन्धी ‘भलाई संगठन’ की स्थापना की गयी. (2). मज़दूरों के लिए ‘भलाई कोष’ कायम किये गए. (3). मज़दूरों के लिए एक आवास योजना बनाई गयी. प्रवासी मज़दूरों के निवास के लिए मकान बनाये. (4). मज़दूरों से एक सप्ताह में 54 के बजाय 48 घंटे और दिन में 10 घंटे की बजाय 8 घंटे काम लेने का कानून 4 अप्रैल 1946 को लागु करवाया. (5) ट्रेड यूनियन को लाज़मी तौर पर मान्यता प्रदान करने का कानून उपबंध किया गया. (6). सभी उद्योगों में न्यूनतम वेतन निर्धारित कराया. (7). कर्मचारी राज्य बिमा की योजना पास की गयी. (8). बीमारी के समय छुट्टिओं का प्रबंध किया गया. (9). त्रिपक्षीय श्रम सम्मलेन नामक एक संगठन स्थापित किया गया जिसमें मालिक, मज़दूर और सरकार, तीनो के प्रतिनिधि भाग लेते और मजदूरों की मांगों और समस्याओं का समाधान करते.

वरियाणा ने कहा कि इस प्रकार बाबा साहिब अंबेडकर ने मज़दूरों की भलाई और सुरक्षा के क़ानूनी तौर पर प्रबंध किये जिनके आधार पर मज़दूरों की भलाई और सुरक्षा  की जाती है. बाबा साहिब ऐसे पहले लेबर लीडर हुए हैं जो कोयला खान में मज़दूरों की हालत देखने के लिए खान में 110 फुट निचे तक गए. उन्होंने संविधान सभा में भी मज़दूरों की भलाई और सुरक्षा को सामने रखा. इसीलिए संविधान की भूमिका (उद्देशिका) में न्याय, समता, बन्धुता और व्यक्ति की गरिमा के सिंद्धांत रखे. आदमी और औरत यदि एक सा काम करते हैं तो उनको वेतन भी एक जैसा दिया जाना चाहिए. वरियाणा ने आगे कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने  बाबा साहिब अंबेडकर  द्वारा मज़दूरों सम्बन्धी भलाई व् सुरक्षा के जो कानून बनाये थे उनको एक ही झटके में ख़तम कर दिया. उदाहरणत: उत्तर प्रदेश ने मज़दूरों सम्बन्धी 38 में से 35कानूनों को मुअत्तल कर दिया. मज़दूरों को ‘बंधक मज़दूर’ बनाने में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही एक मत, एक जुट हैं. यह और भी अफसोसनाक बात है. प्रवासी मज़दूर माल रेल गाडी से कटे, किसी ने उनको कार तले कुचल दिया, कोई पैदल घर जाते हुए पुलिस के जुल्म का शिकार हुआ. कई भूख से मर गए. कोरोना महामारी का जो प्रभाव प्रवासी मज़दूरों पर पड़ा वह दर्दनाक तो है ही, शर्मनाक भी है. मज़दूरों को नेताओं ने बड़े लम्बे संघर्ष के बाद जो बेहतर जीवन के अधिकार ले कर दिए थे वह सब मलियामेट किये जा रहे हैं. आल इंडिया समता सैनिक दल इसका कड़ा विरोध करता है. वरियाणा ने कहा कि ऐसे अत्याचारों के विरुद्ध, शांतमयी ही सही, आवाज़ उठानी चाहिए और संविधान के प्रति निष्ठा रखने वाले हरेक संगठन और भारतीय को उसमें अनिवार्या तौर पर शामिल होना चाहिए.

  • जसविंदर वरियाणा
  • प्रदेश अध्यक्ष 
  • आल इंडिया समता सैनिक दल (रजि.), पंजाब इकाई.
  • Mobile: +91 75080 80709
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