- करोना की भयानक बीमारी ने बोद्ध समाज के योद्धा की ली जान
- हजारों किताबें प्रिंट करवा कर सहित्य्क श्रेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया
हुसैनपुर , 8 जून (कौड़ा)- बहुजन समाज को बौदिक सत्र पर मजबूत बनाने के लिये सम्यक प्रकाशन के माध्यम से महापुरुषों की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने वाले बौध्दासचार्य शांति स्वरूप बौद्ध 71 वर्ष को करोना की भयानक बिमारी ने अपना शिकार बना लिया है जिस के कारण वह जिंदगी को सदा के लिये अलविदा कहकर बहुजन समाज को जो क्षति हुई है । इस की भविष्य में पूर्ति करना बहुत असंभव है। यह विचार बाबा साहिब डॉ बी आर अंबेडकर सोसायटी रजि. रेल कोच फैक्ट्री , कपूरथला के प्रधान क्रिशन लाल जस्सरल एवं महासचिव धर्म पाल पैंथर के अलावा भारतीय बौध्दं महा सभा पंजाब के प्रधान तेज पाल सिंह बौध्द और महासचिव सुरेश चंद्र बौध्दय ने प्रैस को जानकारी दी गई।
डॉ. अंबेडकर सोसायटी एवं बौध्द महा सभा के पदाधिकारियों ने बताया कि शांति स्वररूप जी ने बहुजन समाज में जागरूकता फैलाने के लिये सम्यक प्रकाशन की स्थापना करके हजारों किताबें प्रिंट करवा कर सहित्य्क श्रेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है। जिसको कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। किताबों के माध्यिम से जमीनी सत्र पर पूरे भारत में बहुत बड़ा अंदोलन खड़ा किया है। मा. शांति जी एक अंबेडकरी विचारधारा के बहुत ही संघर्षशील कार्यकर्ता और बुलंद आवाज के मालिक थे। उन्होनेंअपने विचारों से तथागत बुध्द् और अंबेडकरी विचारधारा को जन जन तक फैलाने के लिये बहुत प्रचार किया। मा. शांति स्वरूप के जाने के बाद बहुजन समाज की आवाज बेशक सदा के लिये खमोश हो गई है। परंतु उनकी योग अगवाई में प्रिंट हुई किताबें बहुजन समाज को मार्ग दिखाती रहेगी।
शांति स्वरूप जी को भावभीनी श्रदांजलि देने में अंबेडकरी चिंतक निरवैर सिंह, संतोख राम जनागल, निर्मल सिंह, पूरन चंद बौध्दे, बदरी प्रसाद, आर. के. पाल, रमेश कुमार पूनिया, समाज सेवक राम पाल, करनैल सिंह बेला, परमजीत पाल, टेक चंद, जवाहर लाल, रजनी नानो मल्लिया, जोगिंदर पाल जलंधर, राजेश कुमार, प्रमोद सिंह एवं गुरदयाल सिंह आदि सभी धम्म बंधुओं ने शोक और परिवार के साथ दुख प्रक्ट किया।
शांतिस्वरूप बौद्धमय हुआ सोशल मीडिया/SHAMBHU’S ON SHANTISWAROOP BOUDH DEATH