(समाज वीकली)
श्री प्रभाती लाल मीमरोठ
1990 के दशक मे देश भर मे बहुजन समाज मे एक बहुत उथल पुथल का दौर था. नये आंदोलन बन रहे थे और अस्मिताओ का बोध भी बढ रहा था. जैसे जैसे दलित समाज मे आत्म सम्मान और अस्मिताओ के प्रश्न प्रमुख बन रहे थे उन पर सामंती जातिवादी सवर्ण हिंसा भी बढ रही थी. 1992 मे बाबरी मस्जिद के ध्वस से पहले राजस्थान मे जिस घटना ने सवर्ण आतंक का चरित्र दिखाया वह थी कुम्हेर मे दलितो के नरसहार की घट्ना जिसमे 19 दलितो को जिंदा जला दिया गया था. उस समय देश भर से मानवधिकार कार्यकर्ताओ और अम्बेड्करी लोगो ने इस प्रश्न पर सवाल खडे किये और न्यायिक जांच की मांग के लिये संघर्ष किया और उन लोगो को एकत्र करने मे जिस व्यक्ति की सबसे महत्व्पूर्ण भूमिका थी वो है श्री पी एल मिम्रोठ साहेब जो उस समय दिल्ली मे वकालत कर रहे थे और दलितो के हितो के लिये कार्यकर रही बहुत सी संस्थाओ से जुडे हुए थे. बाद मे श्री मीम्रोठ ने सेंटर फोर दलित राइट की स्थापना की और आज वह राजस्थान मे दलितो पर अत्याचार के मामलो मे समुदाय को कानूनी सहायता प्रदान कर रहे है.
राजस्थान के दौसा जिले के बिवाई गांव मे 10 अप्रेल 1939 को जन्मे प्रभाती लाल मीम्रोठ जी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और फिर कानून की पढाई की. 1959 से 1985 तक उन्होने रैलवे मे कार्य किया और फिर स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली. फिर वह सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और महान विद्धिवेता श्री कृश्णा अय्यर के सम्पर्क मे आये और उनकी प्रेरणा से वकालत शुरु की. दिल्ली मे उन्होने दलितो और हासिये के अन्य समाजो के बीच कानूनी मदद के कई कार्य किये. 1990 के दशक मे उन्होने देश भर के मानवधिकार कार्यकर्ताओ, वकीलो, न्यायाधीशो को दलितो के उपर हो रहे अत्याचारो के बारे मे अवगत कराया और सेमिनारो, जनसुनवाइयो, और फैक्ट फाइनडिंग के जरिये सरकारो का ध्यान इस और आकर्षित किया. कुम्हेर हत्याकांड मे दलितो को न्याय दिलाने के लिये उन्होने बहुत प्रयास किये. बाद मे चकवारा मे दलितो को सवर्णो द्वारा सार्वजनिक तालाब से पानी न पीने देने की घटना के विरुद्ध उन्होने जनआंदोल्न और कानूनी प्रक्रिया का सहारा लिया और लोगो को न्याय मिला.
श्री पी एल मीम्रोठ ने दलितो को सम्वैधानिक और कानूनी अधिकारो के जरिये न्याय दिलाने के प्रयास किये है और विशेषकर अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 को राजस्थान और देश के अन्य भागो मे प्रचलित करने के लिये कानूनी सहायता शिविर और ट्रैनिंग कार्यक्रम भी आयोजित किये है.
वह यह मानते है के बाबा साहेब अम्बेड्कर के रास्ते पर चल कर ही दलित बहुजन समाज आगे बढ सकता है और उसके लिये यह भी जरूरी है वे बाबा साहेब के सांस्कृतिक मार्ग यानी धम्म के रास्ते पर चले और अंधविस्वास से भी दूर रहे और अपनी उर्जा शिक्षा मे लगाये.
विद्या भूषण रावत के साथ इस साक्षात्कार मे श्री प्रभाती लाल मीम्रोठ जी ने अपने जीवन के महत्व्पूर्ण और अनछुये पहलुओ को बताया है और मौजूदा दौर के सवालो पर अपनी बेबाक टिप्पणी की जो हम सबके लिये आवश्यक है. इस साक्षात्कार को अवश्य सुने और हमे अपनी राय से अवगत कराये.
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