(समाज वीकली)
▪ जय भीम नमो बुद्धाय साथियों,
मैं एडवोकेट सुरेंद्र भारतीय आपको तथागत बुद्ध का एक किस्सा सुनाना चाहता हूं. एक बार बुद्ध से एक व्यक्ति ने पूछा, “भगवन आपने आज तक यह नहीं बताया कि मृत्यु के उपरान्त क्या होता है ”
▪ उसकी बात सुनकर बुद्ध मुस्कुराये, फिर उन्होंने उससे पूछा, “पहले मेरी एक बात का जबाव दो….
अगर कोई व्यक्ति कहीं जा रहा हो और अचानक कहीं से आकर उसके शरीर में एक विषबुझा बाण घुस जाये तो उसे क्या करना चाहिए ? पहले शरीर में घुसे बाण को हटाना ठीक रहेगा या फिर देखना कि बाण किधर से आया है….और किसे लक्ष्य कर मारा गया है ?”
▪व्यक्ति ने कहा, “पहले तो शरीर में घुसे बाण को तुरंत निकालना चाहिए, अन्यथा विष पूरे शरीर में फ़ैल जायेगा ”
▪ बुद्ध ने कहा, “बिल्कुल ठीक कहा तुमने, अब यह बताओ कि पहले इस जीवन के दुखों के निवारण का उपाय किया जाये या मृत्यु के बाद की बातों के बारे में सोचा जाये।”
ऐसा सुनकर उस बालक का जिज्ञासा शांत हो गई….।
▪ मित्रों, बुद्ध ने वर्तमान जीवन की समस्याओं के समाधान को ही तर्कसंगत बताया है…और अनर्गल बातों के बारे सोचकर समय जाया करना निरर्थक…केवल वर्तमान में जियें, वर्तमान का समाधान ही सबकुछ है, केवल वर्तमान के बारे में सोचें यही खुशहाल जीवन का रहस्य है ।
आज हमारी सभी समस्याओं का कारण गुलामी है, इसलिए राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले ने जो किताब लिखी उसका नाम गुलामगिरी रखा। हम समस्याओं से मुक्त तभी हो सकते हैं जब गुलामी को खत्म कर दें।
हमारी गुलामी सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक,राजनीतिक और मानसिक गुलामी है।
मानसिक गुलामी ही सबसे भयंकर गुलामी है, यह सभी तरह कि गुलामी की जड भी है।
मानसिक गुलामी निर्माण होने के बाद ही सभी तरह कि गुलामी थोप दी जाति है।
मानसिक गुलामी से आजादी सिर्फ और सिर्फ विचार परिवर्तन से ही संभव है।
विचार परिवर्तन के लिए हमें निरंतर, अनवरत विचारों का प्रचार और प्रसार करना होगा।
आपने यह मैसेज पूरा पढ़ा उसके लिए एडवोकेट सुरेंद्र भारतीय की तरफ से बहुत-बहुत साधुवाद .
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