(समाज वीकली)
कुछ लोग अक्सर समझ कर किसी को भोला भाला।
निकलवा लेते हैं अपनी अक्ल का दिवाला।
क्योंकि सिर्फ भोले का ही समझते हैं अर्थ।
और भाले को मान लेते हैं व्यर्थ।
जब भाला दिखाता है अपनी धार।
और करता है तीखा पलटवार।
फिर सोचते हैं…
ऊफ..! ये तो भोला कम और ज्यादा भाला निकला।
रोमी कम और ज्यादा घड़ामें वाला निकला।
सो भाई अच्छा है ‘जी बोलें और जी बुलवाएं।
वर्ना कहीं’ ‘लेने के देने न पड़ जाएं’।
रोमी घड़ामें वाला ।
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