गुरुग्राम, (Samajweekly) – ” बेहतर कल की दिशा में न्यायसंगत एवं सतत समाज के समाधान खोजने हेतु हमें लालच रहित नीडनॉमिक्स को अपनाना होगा ।” ये शब्द आज प्रो. मदन मोहन गोयल कुलपति स्टारेक्स विश्वविद्यालय गुरुग्राम एवं संस्थापक नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट ने कहे । वह सांभराम एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज बेंगलुरु द्वारा आयोजित वर्चुअल फैकल्टी एनरिचमेंट प्रोग्राम में “एक न्यायपूर्ण एवं सतत समाज हेतु नीडोनॉमिक्स” विषय पर ऑनलाइन भाषण दे रहे थे । प्रो. के.सी.मिश्रा प्राचार्य ने स्वागत भाषण दिया और कुलपति प्रो. एम. एम. गोयल की उपलब्धियों का प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।
कुलपति स्टारेक्स यूनिवर्सिटी प्रो. गोयल ने कहा कि न्यायसंगत एवं सतत समाज को सुनिश्चित करने के लिए हमें आवश्यकता-उपभोग के साथ नीडोनॉमिक्स की तनाव-मुक्त शक्ति को समझना होगा, जिसमें कोई लालच नहीं है, जो आतंकवाद, भ्रष्टाचार, भेदभाव और असंतोष सहित सभी बीमारियों का कारण बनता है।
प्रो. गोयल ने कहा कि सतत समाज सुनिश्चित करने के लिए हमें भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा अपने लोगो ‘योगक्षेमं वहम्याहं’ (आपका कल्याण हमारी जिम्मेदारी है) से निकले नीडोनॉमिक्स को अपनाना होगा और स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, क्रिया-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) बनना होगा।
प्रो.गोयल ने बताया कि
प्रो.गोयल ने बताया कि हिंसा से होने वाले सालाना 14.3 ट्रिलियन डॉलर के आर्थिक नुकसान को कम करने और ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) 2020 में 139वें स्थान से बेहतर रैंकिंग के साथ दीर्घकालिक शांति बनाने की कुंजी गीता आधारित नीडोनॉमिक्स से सबक लेना है।
प्रो. गोयल ने कहा कि सतत समाज के लिए चिंता किए बिना काम करने हेतु हमें आत्मा के प्रति सचेत रहना होगा क्योंकि सिर, हृदय और हाथों के उचित ,उत्पादक और व्यावहारिक उपयोग की वास्तविक शिक्षा की आज आवश्यकता है ।
प्रो. गोयल का मानना है कि अर्थव्यवस्था में अंतर्निहित मुफ्तखोरी समस्या आत्म-चेतना के साथ उपयोगकर्ता द्वारा भुगतान सिद्धांत के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कहता है ।
प्रो. गोयल ने कहा कि हमें अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं, उत्पादकों, वितरकों, व्यापारियों, नीति निर्माताओं और राजनेताओं सहित सभी हितधारकों के व्यवहार में बीमारी का पता लगाना है।
प्रो. गोयल का मानना है कि विश्वगुरु बनने हेतु हमें स्वयं के गुरु को आत्मा के रूप में जागृति, जागरूकता और सतर्कता के साथ सीखना होगा।
प्रो.गोयल ने बताया कि सतत समाज के प्रयास में सफल होने हेतु हमें भक्ति की शक्ति को समझकर अनुशासित जीवन शैली के साथ क्षमताओं और क्षमताओं में विश्वास की आवश्यकता है।
प्रो. गोयल ने कहा कि सतत समाज हेतु हमें पांच चरणों के रीच मॉडल की आवश्यकता है जिसमें गीता पढ़ें , प्रबुद्धता के साथ सशक्तिकरण, परोपकारी दृष्टिकोण, प्रतिबद्धता और जरूरतों पर पकड़ शामिल है।