– रवींद्र गोयल
पिछले कुछ समय से, खासकर जब से केजरीवाल ने, महिलाओं के लिए बस यात्रा मुफ्त की थी, व्हाट्सअप्प यूनिवर्सिटी पर एक ज्ञान का प्रसार तेज़ी से हो रहा है की जनता को कुछ भी सुविधाएँ निशुल्क प्रदान करना मुफ्तखोरी को बढ़ावा देना है और वो देश के लिए लाभदायक नहीं. हालिया, शाहीनबाग के करंट के बाद, इस ज्ञान के पैरोकारों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है.
यूँ तो मुफ्तखोरी विरोधी ज्ञानी तब से ही दबी जबान से इसके खिलाफ बोलने लगे थे जब से बिजली और पानी की सुविधा गरीबों को रियायती दर पर दी जाने लगी. पर बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा सुविधा दिए जाने के बाद ये स्वर बहुत तेज़ हो गए हैं. शायद इसलिए की महिलाओं को मुफ्त बस सेवा सुविधा उनकी आज़ादी की लड़ाई को मज़बूत करेगी. लेकिन इस पर बहस करने से पहले यह जान लेना जरूरी होगा की बस सुविधा का कुल खर्च सालाना 126 करोड़ रूपया मात्र होने का आकलन है.
ये 126 करोड़ रुपये की सुविधा के खिलाफ बोलने वाले सूरमा न जाने क्यों अरबों की डकैती पर चुप हैं. यदि हम घूसखोरी, जाती/पाती/ धर्म के नाम पर पण्डे मौलवियों की लूट या मोटी सरकारी तन्ख्वाओं द्वारा जन प्रतिनिधियों या बड़े अफसरों की लूट छोड़ भी दें तो सरकारी संरक्षण में खुले आम लूट के कुछ ताज़ा उदहारण देखें
– मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में ( 2014/2019 में ) बड़े पूंजीपतियों का 5,57,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ माफ़ कर दिया था
– मोदी सरकार ने इसके साथ साथ अपने पिछले कार्यकाल में धन्ना सेठों को 4,30,000 करोड़ रुपये की टैक्स रियायत दी थी.
यानि की अपने पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने बड़े पूंजीपतियों को केवल दस लाख करोड़ रुपये की सहायता दी. और इस मुफ्तखोरी/हरामखोरी पर कोई भी ज्ञानी नहीं बोला.
– इस साल के बजट दस्त्वेजों में भी बताया गया है कि केवल इस साल में यानि 2019-2020 के साल में कंपनियों को आय कर में 1,07,000 करोड़ रुपये की रियायतें तथा अन्य आय कर देने वाली इकाइयों को 1,25,000 करोड़ रुपये की रियायतें दी गयी.
– इतनी रियायतों के बाद भी इन धन्ना सेठों को 31 मार्च 2019 तक सरकार को करीबन ग्यारह लाख करोड़ रूपया का बकाया टैक्स देना था. इसमें से हजारों करोड़ रूपया दस साल से भी ज्यादा समय से बकाया है.
– और हमारी जन प्रिय सरकार को इतना साहस नहीं है की इस बकाया राशी को समयबद्ध कानूनी कार्यवाही के जरिये वसूल सके. इसके बजाये सरकार इस साल एक नयी स्कीम ला रही है , ‘विवाद से विश्वास’ तक . इसमें यदि कर देने वाले चाहें तो कम पैसा दे कर अपनी सरकारी देन दारी निपटा सकते हैं.
इसलिए ये मुफ्तखोरी विरोधी सूरमा इस देश के असली मुफ्तखोरों/हरामखोरों पर थोडा भी ध्यान खींचे तो देश का फायदा होगा. सरकारें अगर जरूरत मंद लोगों को कुछ सुविधाएँ देती हैं तो वो उनका कर्तव्य है और लोगों को अधिकार. बे वजह छाती पीटना देश द्रोह है इस देश वासियों के साथ गद्दारी.