कोरोना, वैक्सीन और हम

 

(समाज वीकली)

– विभूति मनी त्रिपाठी 

जैसा कि हम सभी ये जानते हैं कि, इस समय समूचा विश्व कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है, आज की तारीख में अगर देखा जाये तो लगभग 700000 से ज्यादा लोगों की मौत इस वायरस के संक्रमण से हो चुकी है और अमेरिका में इस वायरस के संक्रमण से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, अमेरिका के साथ-साथ इटली, ब्राजील और कई अन्य देश कोरोना वायरस के संक्रमण से बुरी तरीके से जूझ रहे हैं लेकिन अगर बात अपने भारत देश कि की जाए, तो देश में लाक डाउन लगने से लेकर के आज तक के बारे में अगर देखा जाए तो इस समय औसतन 60,000 मरीज हर दिन निकल रहे हैं जिसको कि कहीं से भी सामान्य ठहराया नही जा सकता ।

यहां पर ये बात भी सोचने योग्य है कि हमारे देश में 50000 के आस पास लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से काल के गाल में समा चुके हैं, हालांकि यहां पर ये कहना कि जनसंख्या की नजर से हमारा देश जितना विशाल है उस नजरिये से ये संख्या कोई मायने नही रखती, लेकिन हम सभी को ये बात याद रखनी चाहिये कि 50000 कोई छोटी संख्या नही है और यहां 50000 का मतलब 50000 परिवारों से है और ऐसी आशंका लगाई जा रही है कि दिन प्रतिदिन इस संख्या में इजाफा होगा और ऐसी किसी भी स्थिति के बारे में सोचने मात्र से ही मन में एक प्रकार का भय का माहौल बन जाता है ।

जैसा कि हम सभी ये जानते हैं कि, कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई भी इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है और जब तक वैक्सीन का निर्माण नहीं हो जाता है, तब तक हम सभी को कायदे कानून के साथ नियम का पालन करना पड़ेगा क्यूंकि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने का कोई और रास्ता हम सभी के पास नही है ।
जैसा कि अंदाजा लगाया जा रहा था कि, 15 अगस्त के दिन भारत सरकार के द्वारा कोई ना कोई घोषणा कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने की वैक्सीन के बारे में किया जाएगा और ऐसा हुआ भी, 74 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा वैक्सीन को लेकर के स्थिति स्पष्ट की गई और यह बात अपने आप में बहुत ही संतुष्टि प्रदान करने वाली है कि, प्रधानमंत्री जी ने अपने संबोधन के दौरान ये कहा कि इस समय हमारे देश के वैज्ञानिक पूरे मनोयोग से वैक्सीन के निर्माण में लगे हुए हैं और यह भी बताया गया कि इस समय अपने देश में तीन अलग अलग वैक्सीन टेस्टिंग के अलग-अलग चरण में है और यहां पर बताना बहुत जरूरी है कि, कोई भी वैक्सीन तभी पूरी तरीके से कामयाब मानी जाती है जब तक कि विभिन्न चरणों में उस वैक्सीन का टेस्ट सफलतापूर्वक ना हो जाये, क्योंकि यहां पर ये देखना बहुत जरूरी होता है कि कहीं वैक्सीन की वजह से शरीर पर कोई बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है और अगर वैक्सीन की वजह से कोई बुरा प्रभाव शरीर पर पड़ रहा है तो फिर उस वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और शायद इसीलिये किसी भी वैक्सीन के निर्माण में कई कई साल लग जाते हैं क्यूंकि शरीर पर किसी भी वैक्सीन के गलत प्रभाव को समझने में लंबा वक्त लगता है और यह अपने आप में एक जटिल प्रक्रिया है।

आज ये बताने में बहुत खुशी हो रही है कि, इस समय हमारे यहां तीन तीन वैक्सीन बनाई जा रही है और बहुत जल्द हमारे देश में वैक्सीन तैयार हो भी जाएगी।
सबसे पहली वैक्सीन जो हमारे देश में बनाई जा रही है उसका नाम है, को-वैक्सीन और इसको आईसीएमआर के सहयोग से भारत बायोटेक कंपनी विकसित कर रही है और यह बताने में बहुत खुशी हो रही है कि, इस वैक्सीन के दो चरणों का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है और अब ये तीसरे चरण में प्रयोग के लिए जा रही है और पहले के चरणों में किए गए परीक्षण का परिणाम बहुत ही सकारात्मक रहा है।

इससे यह उम्मीद बन रही है कि बहुत जल्द यह वैक्सीन बाजार में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी और कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने में मददगार साबित होगी ।
दूसरी वैक्सीन जो हमारे यहां बनाई जा रही है उसका नाम है जायकोव डी , इस वैक्सीन का निर्माण अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला के द्वारा किया जा रहा है और यह वैक्सीन अपने पहले चरण में पूरी तरीके से सुरक्षित पाई गई है और किसी भी तरीके का साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है वहीं तीसरी वैक्सीन जो बनाई जा रही है उसका नाम है कोविशील्ड , यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका के द्वारा विकसित की गई है और इस वैक्सीन का उत्पादन भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया कर रही है, इस समय यह वैक्सीन भी दूसरे चरण के ट्रायल में चल रही है और भारत में इस वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से लांच करने की तैयारी की जा रही है ।

इस तरीके से हम ये कह सकते हैं कि हमारे देश के वैज्ञानिक दिन और रात एक कर के कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उनके मेहनत का परिणाम बहुत जल्द हम सभी के सामने होगा, बहुत जल्द हम सभी के पास वो वैक्सीन होगी जिससे कि कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव हो सके और मानव जीवन को कोरोना वायरस के जानलेवा संक्रमण से बचाया जा सके ।

अपने लेख के अंत में सिर्फ ये कहना चाहंूगा कि, हालांकि इस समय विश्व का शायद ही कोई ऐसा देश हो जो कोरोना वायरस के संक्रमण से बच पाया हो, इसलिये अब वो वक्त आ गया है कि हम सभी ये विचार करें कि, आखिर इस भयानक वायरस का उदगम कहां से हुआ, कोरोना वायरस को अगर प्रयोगशाला में बनाया गया तो आखिर इसके पीछे क्या वजह रही होगी, कहीं इस वायरस को जैविक हथियार के रूप में विकसित तो नही किया गया, इन सभी सवालों के जवाब को ढूढना नितांत जरूरी है क्यूंकि जिस तरीके इस वायरस ने समूचे विश्व समुदाय को खतरे में डाल दिया है उसको किसी भी कीमत पर सामान्य घटना नही कहा जा सकता और जो भी देश इसके पीछे जिम्मेदार हो उसके ऊपर जिम्मेदारी जरूर तय होनी चाहिये।

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