(समाज वीकली)
– विभूति मनी त्रिपाठी
एक बात सच ही कही गई है कि इस संसार में कब क्या हो जाए , इसके बारे में कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है । इस समय पूरी दुनिया कोरोनावायरस के संक्रमण से जूझ रही है और इस ब्रह्मांड का शायद ही कोई ऐसा देश हो जहां पर कोरोनावायरस ने अपने आतंक से लोगों की जिंदगी को खतरे में ना डाला हो । आज की तारीख में यह कहते हुए बिल्कुल भी अफसोस नहीं हो रहा है कि , मानव जाति जिस तरीके से अपने आप को कोरोनावायरस की वजह से खतरे में पा रही है् , शायद ऐसी अवस्था आज से पहले कभी अनुभव नहीं की गई । अपने भारत देश में कोरोनावायरस के संक्रमण की स्थिति आज ऐसी सीमा पर पहुंच गई है कि जिसके बारे में
कोई भी निष्कर्ष लगा पाना संभव नहीं है । हर तरफ जिधर देखो , जितनी मुंह उतनी तरह की बातें सुनने को आ रही र्है और कहीं-कहीं पर तो इस तरह से मन को विचलित करने वाली बातें सुनाई दे रही हैं , जिसको सुन पाना , जिसको समझ पाना बहुत ही मुश्किल हो गया है । मार्च के महीने में जब जनता कर्फ्यू का आवाहन माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा किया गया था और उसके तुरंत बाद लॉकडाउन के विभिन्न चरणों को क्रमवार पूरे भारत देश में लागू किया गया , उससे एक स्थिति ऐसी स्पष्ट हो रही थी कि , जिस तरह से विश्व के अन्य देश जैसे अमेरिका , ब्रिटेन , ब्राजील , इटली कोरोनावायरस से जूझ रहे हैं , शायद अपने भारत देश में कोरोना वायरस का संक्रमण उस स्तर तक ना पहुंचे । लॉकडाउन के पहले चरण में जिस तरह से देश में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही थी उससे यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि अपना देश कोरोनावायरस के संक्रमण की भयावह स्थिति तक शायद ना पहुंचे , लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन का समय बढ़ता गया , ठीक उसी रफ्तार में मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती गई । आज की तारीख में इस बात को कहने में बिल्कुल भी संकोच नहीं हो रहा है कि , मार्च और अप्रैल के महीने में लगातार यह बात कही जा रही थी कि कोरोनावायरस के संक्रमण में हो रही बढ़ोतरी के पीछे मरकज जिम्मेदार है , उसके बाद दिल्ली और मुंबई से मजदूरों के पलायन को जिम्मेदार माना गया , लेकिन कहीं ना कहीं जो डर मन में बैठा हुआ था वह सामने आ गया और आज जिस तरीके से हर दिन 40 से 45 हजार मरीज निकल कर सामने आ रहे हैं , उसको किसी भी स्थिति में सही नहीं कहा जा सकता । हालांकि यहां पर एक बात जो मन को सबसे ज्यादा संतुष्टि देती है , वह यह है कि , अपने देश में मरीजों के सही होने की दर बहुत ज्यादा है और आज की तारीख में लगभग 70 प्रतिशत मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं , लेकिन एक बात अभी भी जो मन में बैठी हुई है वह यह है कि , जिस तरीके से देश के कुछ राज्यों में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती चली जा रही है कहीं अगर वह सामुदायिक संक्रमण की स्थिति में आ गई तो क्या होगा ? जून के महीने में जब दिल्ली में कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति पकड़ से बाहर हो रही थी ,उस समय केंद्र की सरकार और राज्य सरकार ने मिलकर बहुत अच्छा काम किया और दिल्ली को खत्म होने से बचा लिया । आज दिल्ली में मरीजों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है और बड़ी संख्या में मरीज स्वस्थ होकर घर जा रहे हैं , लेकिन अगर बात बिहार कि की जाए और देश के अन्य राज्यों की बात की जाए जहां पर बड़ी संख्या में मरीज प्रतिदिन निकल कर सामने आ रहे हैं , वहां पर स्थिति कैसे सुधरेगी और कैसे कोरोनावायरस के संक्रमण को नियंत्रित किया जाएगा , ये अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल है और जिसका जवाब ढूंढना बेहद जरुरी है ।
हालांकि एक बात जो बार-बार निकल कर सामने आ रही है और लोगों के द्वारा यह बात कही जा रही है कि सरकार को पुनः एक बार लॉकडाउन लागू करना चाहिए , हालांकि केंद्र सरकार के द्वारा इस संभावना को नकारा जा चुका है , लेकिन यहां पर इस बात को भी समझना बहुत जरूरी है कि , जिस तरीके से मरीजों की संख्या में लगातार बड़ी संख्या में इजाफा हो रहा है यह अपने आप में स्पष्ट कर रहा है कि हमारे यहां कोरोनावायरस का संक्रमण बड़ी तेजी से फैल रहा है , ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर किस तरीके से इस संक्रमण को रोका जाए ? हमें यहां पर यह भी सोचना चाहिए कि विभिन्न माध्यमों के द्वारा बार-बार यह बात कही जा रही है कि ,चेहरे को पूरी तरीके से ढक कर रखें , बार-बार हाथ को धोऐं और सामाजिक दूरी बनाकर रखें , लेकिन हमें ये कहने में बिल्कुल भी संकोच नहीं हो रहा है कि ,शायद हम इन नियमों का पालन पूरी तरीके से नहीं कर रहे हैं और कहीं ना कहीं कोरोनावायरस के संक्रमण में हम सभी अपना पूरा योगदान दे रहे हैं । बीते 3 महीनों में जिस तरीके से देश में कोरोनावायरस के संक्रमण की स्थिति को हम सभी ने देखा है वह बहुत ही भयानक है । हम सभी को ये बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिय कि , हर चीज की जिम्मेदारी सरकार के ऊपर डाल देना कहीं से भी उचित नहीं है , आज हमारा देश जिस स्थिति से जूझ रहा है , आज हमारे देश में , जिस तरीके से संक्रमण की रफ्तार बढ़ती चली जा रही है और जिस तरीके से मरीजों के मरने की दर बढ़ती चली जा रही है , वह अपने आप में बहुत ही चिंताजनक है । अब वक्त आ गया है , हम सभी को जगना पड़ेगा , जिस गहरी नींद में हम सभी सो रहे हैं उससे उठना पड़ेगा और हम सभी को यह निश्चित करना होगा कि हम सभी सरकार के द्वारा समय-समय पर दिए जा रहे निर्देशों का पूरी तरीके से पालन करें और यहां पर यह कहना बहुत ही जरूरी है कि , जब तक देश का प्रत्येक नागरिक अपने आप को इस लड़ाई में शामिल नहीं करेगा , तब तक कोरोनावायरस के संक्रमण को पूरी तरीके से रोका नहीं जा सकता ।