आर सी एफ ने अपने वेंडर्स के लिए पारदर्शी प्रणाली की शुरुआत की

सप्लायरइंटरफ़ेस को 100% ऑनलाइन करने वाली भारतीय रेल की पहली इकाई बना-महाप्रबंधक रवीन्द्र गुप्ता

कपूरथला (समाज वीकली) (कौड़ा)- आज रेल कोच फैक्‍टरी, हुसैनपुर(कपूरथला) ने पारदर्शी नामक नए पोर्टल की शुरूआत की। इस पोर्टल का उद्धघाटन आर सी एफ के महाप्रबन्‍धक श्री रवीन्‍द्र  गुप्‍ता जी ने किया। यह पोर्टल आर सी एफ़ के आई टी विभाग द्वारा सी.एम.ई आई टी श्री ऐ के सिन्हा के नेतृत्व में विकसित किया गया है।इस पोर्टल के माध्यम से आर सी एफ के साथ जुड़े हुये सभी वैंडरस एवं सप्‍लायरस पूरी तरह मानव रहित प्रणाली द्वारा आर सी एफ के साथ अपना बिज़नेस कम समय, अधिक सुगमता तथा तीव्र गति से कर पायेगें। पहले की व्‍यवस्‍था में  टैंडर भरने से लेकर बिल जमा करने में बहुत से मानवीय चरणों से गुजरना पड़ता था परन्‍तु पारदर्शी के आने से अब यह सब कार्य बड़ी आसानी से ऑन लाइन किये जा सकते हैं।

पारदर्शी पोर्टलस में शामिल सुविधाऍं 

इलेक्ट्रॉनिकडिस्पैच नोट – पहले सप्लाईर को सामग्री वितरण के समय कई कागजी दस्तावेज जमा करवाने पड़ते थे जिसे सुरक्षा टीम  तथा  स्टोर्स द्वारा घंटों चेक किया जाता था लेकिन अब इसे व्यवस्था को पूरी तरह डिजिटल कर दिया गया है और यह क्यूआरकोड द्वारा केवल कुछ सेकंड में  किया जाता है। Supplier अपने  डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से आरसीएफ कंप्यूटर सिस्टम में लॉगिन कर सकते हैं, जो डिस्पैच नोट पर उपलब्ध कराए गए क्यूआरकोड को स्कैन करके कार्यशाला गेट पर सत्यापित की गई सामग्री का विवरण प्रस्तुत करने के लिए भेजते हैं, जो आरसीएफसिस्टम में सभी सूचनाओं को भरता है और रसीद शाखा में गैर-जरूरी देरी से बचने के लिए लॉरी को उतारने के लिए एक अनलोडिंग अनुक्रम उत्पन्न होता है। इससे 100% पारदर्शिता आई है और कम से कम 1-2 घंटे प्रति लॉरी की बचत हुई है।

 

डिजिटल रसीद नोट/रसीद आदेश – डिस्पैच नोट के माध्यम से सामग्री की आपूर्ति करने के बाद और suppliers या उनके प्रतिनिधियों को पहले भुगतान प्राप्त करने के लिए अपने रसीद नोट और रसीद आदेश को ख़ुद RCF आ कर  लेना पड़ता था जिसमे  3 दिनों से 15 दिनों तक का समय भी लग जाता था तथा  कई आरसीएफ अधिकारियों के साथ बातचीत करनी पड़ती थी। अब इन 15 दिनों के समय को 15 सेकंड से भी कम कर दिया गया है जिस से  रसीद ऑर्डर बन कर आपूर्तिकर्ता को ई-मेल पर स्वचालित रूप से चला जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक बिल (ई-वे बिल) – पहले आपूर्तिकर्ता को बिल को खुद आकर जमा करना पड़ता था। यह दूरदराज के स्थानों में स्थित आपूर्तिकर्ताओं के लिए बहुत असुविधाजनक और समय लेने वाली व्यवस्था थी। अब नई कम्प्यूटरीकृत प्रणाली के साथ, जैसे ही वेंडर को रसीद आदेश ई-मेल द्वारा प्राप्त होता है वैसे ही वेंडर अपने बिलों को डिजिटल हस्ताक्षर द्वारा प्रमाणित कर ऑनलाइन जमा करवा सकते है जो कि आर.सी.एफ. वित्त विभाग द्वारा सत्यापित कर बिल का भुगतान कर दिया जाता है।इस प्रणाली के आने से सप्‍लायर या उसके किसी प्रतिनिधी को अब टैंडरिंग से लेकर बिलिंग तक किसी भी चरण में आर सी एफ में आने की आवश्‍यकतानही होगी तथा यह प्रणाली जहा एक ओर 100% कार्य पारदर्शिता को भी सुनिश्‍चित करेगी वहीं सप्‍लायरस को आर सी एफ के साथ बिज़नेस करने में सुगमता प्रदान करेगी। इस तरह का पारदर्शी तथा तीव्र बिज़नेससिस्टम अब नए वैंडरस को भी आकर्षित करेगा। इस प्रकार की शत प्रतिशतऑन लाइन सेवा शुरू करने वाली आर सी एफ भारतीय रेल की प्रथम तथा एक मात्र इकाई बन गया है।उल्लेखनीय है के आऋ.सी.एफ पूर्व में भी अपने सपलाईर के साथंबिज़नेस सुगमता के लिए कई कदम उठाएं  जैसे वेबसाइट पर वेंडर्स के बिलों की स्थिति दर्शाना, मटीरियल की अनलोडिंग क्रम को कंप्यूटराइज्ड करना तथा नए वेंडर्स की इंस्पेक्शन को ऑनलाइन इत्यादि

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